धर्म

अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य देने विभिन्न नदियों व जलाशयों के समक्ष उमड़ा जनसैलाब, CM हेमन्त भी अपने बच्चों के साथ अर्घ्य देने पहुंचे, राज्य के उज्जवल भविष्य के लिए छठि मइया से की प्रार्थना

पूरे झारखण्ड में अस्ताचलगामी भगवान भास्कर और छठि मइया को अर्घ्य देने के लिए विभिन्न नदियों व जलाशयों के समक्ष जन-सैलाब उमड़ पड़ा। छठि मइया व सूर्य नारायण के मधुर गीतों के साथ पूरा वातावरण आनन्दमय हो उठा। जैसे ही भगवान भास्कर अस्त होने को चले अर्घ्य देने के लिए छठव्रतियों का परिवार भक्ति के सागर में डूबता हुआ नजर आया। उधर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भी अपने बच्चों के साथ रांची के विभिन्न जलाशयों की ओर दौड़े तथा बच्चों के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया तथा छठव्रतियों को प्रणाम कर आशीर्वाद भी ग्रहण किया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने भगवान भास्कर और छठि मइया से राज्य के उज्जवल भविष्य के लिए विशेष प्रार्थना भी की। इस विशेष दिन पर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सोशल साइट के माध्यम से लोगों को बताया कि उनकी धर्मपत्नी कल्पना सोरेन गिरिडीह में चुनाव कार्यक्रमों में भाग ले रही हैं, इसी वजह से वो उनके साथ रांची में नजर नहीं आई। छठि मइया और भगवान भास्कर सभी छठव्रतियों, माताएं-बहनें और उनके परिवारजनों के तप को सफल करें, इसकी उन्होंने कामना भी की।

दूसरी ओर विद्रोही24 ने जब राजधानी रांची के विभिन्न जलाशयों का दौरा किया तो पाया कि विभिन्न छठ समितियों के साथ-साथ नगर-निगम के अधिकारियों-कर्मचारियों ने भी विशेष सफाई व्यवस्था की थी। जिसका लाभ छठव्रतियों और उनके परिवारों को प्राप्त हुआ। राजधानी की सारी सड़कें तथा वे मार्ग जो जलाशयों की ओर जाती थी। वो सारी सड़कें गंदगीमुक्त और साफ-सुथरी नजर आई। विभिन्न सड़कों को विद्युतीय उपकरणों और फूल-पत्तियों से भी सजाया गया था। विभिन्न पारंपरिक वाद्य यंत्रों के साथ घाटों की ओर जाते छठव्रतियों और उनके परिवारों का समूह एक मनोहारि दृश्य उत्पन्न कर रहा था। लोग इन दृश्यों को अपने मोबाइल में कैद कर रहे थे।

छठव्रती के पीछे-पीछे भगवान भास्कर और छठि मइया के गीत गाते हुए काफी संख्या में महिलाएं घाटों की ओर बढ़ रही थी। वहीं उनके परिवार के पुरुष सदस्यों का दल दौरों में रख गये सूपों में लदे फलों और विभिन्न पूजन सामग्रियों को लेकर घाटों की ओर बढ़ रहा था। जैसे ही घाटों पर छठव्रतियों का समूह पहुंचता। वो भगवान भास्कर को प्रणाम करती और जलाशयों में डूबकी लगाकर दोनों हाथों को जोड़कर भगवान भास्कर की ओर ध्यान लगाकर योगमुद्रा में खड़ी हो जाती।

इसी बीच जब उनका ध्यान टूटता तो वो समय भगवान भास्कर को अर्घ्य देने का होता। उनके घर की महिला सदस्य उनके हाथों में पड़े आंचल पर हल्दी का ऐपन लगाती, सिंदूर टिकती तथा उनके माथे पर भी नाक से लेकर सिर तक सिंदूर लगाकर हाथों में फलों से लदी सूप देती और अर्घ्य देना शुरु हो जाता। यह दृश्य इतना सुंदर होता कि जो लोग देखते, देखते ही रह जाते। जैसे ही इधर अर्घ्य का कार्य खत्म हुआ और फिर लोग धीरे-धीरे अपने घर की ओर चल देते। इस भावना के साथ कि कल फिर उदयकालीन भगवान भास्कर को इसी जगह अर्घ्य देने आना है। छठि मइया की आराधना करनी है।