रांची के योगदा सत्संग आश्रम में धूमधाम से मना परमहंस योगानन्द जी का 130वां जन्मोत्सव, दस हजार से भी अधिक योगदा भक्तों ने लिया भंडारे में भाग

पूर्व और पश्चिम को क्रिया योग के माध्यम से एकता के सूत्र में बांधनेवाले विश्व के महान आध्यात्मिक गुरु परमहंस योगानन्द जी की आज 130वीं जयंती संपूर्ण विश्व में धूम-धाम से मनाई गई। परमहंस योगानन्द जी के बताये मार्गों पर चलनेवालों का तो आज विशेष दिन था, इसलिए वे उन स्थलों पर देखे व पाये गये, जहां परमहंस योगानन्द जी की जयंती विशेष रूप से धूम-धाम से मनाई जा रही थी।

झारखण्ड के रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम का दृश्य तो अद्भुत व देखनेलायक था। प्रातःकाल से ही योगदा भक्तों का जो रेला आश्रम में आना शुरु हुआ वो संध्याकाल तक जारी रहा। सभी के मुख से सिर्फ और सिर्फ ‘जय गुरु’ ही निकल रहे थे। मन में गुरु के प्रति इतना सुंदर भाव होने के कारण, उन भक्तों का मुख मंडल भी चमक रहा था।

हमें नहीं लगता कि एक भी योगदा भक्त आज के दिन अपने घरों में विश्राम कर रहे होंगे, सभी के सभी योगदा सत्संग आश्रम में ही जुटे थे। अपने पूरे परिवार के साथ अपने प्रिय गुरु परमहंस योगानन्द जी के प्रति समर्पण उनकी भक्ति को आलोकित कर रहा था और ऐसा हो भी क्यों नहीं, आज गुरुजी का जन्म दिन जो था।

योगदा सत्संग आश्रम में परमहंस योगानन्द जी के आज के जन्मदिन का शुभारम्भ सामूहिक ध्यान से हुआ और उसके बाद शुरु आश्रम में ही स्थित शिवमंदिर के पास वैदिक मंत्रों से यज्ञादि व गुरु पूजा संपन्न किये गये, जिसमें योगदा संन्यासियों के साथ-साथ योगदा भक्तों ने भाग लिया। जैसे ही इसी बीच गुरु को समर्पित भजन प्रारम्भ हुआ, लोग आह्लादित हो उठे। खासकर ‘जय गुरु, जय गुरु, जय गुरु जय, जय गुरु, जय गुरु, जय गुरु जय…’ भजन तो जितना भी सुना जाय, लगता तो कम ही है।

आश्चर्य हुआ तब, जब ढाई वर्षों के अंतराल के बाद मनाये जा रहे परमहंस योगानन्द जी के जन्मोत्सव के भंडारे में पता नहीं, कहां से हजारों की भीड़ भंडारे में दिखाई दे गई। लोग पंक्तिबद्ध आते, गुरु प्रसाद लेते और वहीं स्थल पर बैठकर बड़ी श्रद्धा के साथ गुरु प्रसाद ग्रहण करते। बताया जाता है कि इस भंडारे में रांची के आस-पास के करीब दस हजार से ज्यादा लोगों ने भाग लिया और परमहंस योगानन्द जी के जन्मोत्सव पर मिलने वाले प्रसाद से स्वयं को कृतार्थ किया।

ऐसे भी यहां के आस-पास के लोग बताते है कि परमहंस योगानन्द जी के प्रसाद में बहुत बड़ी शक्ति हैं, जो कई प्रकार के बाह्य रोगों व आंतरिक रोगों का शमन कर देती हैं। इसके एक दिन पहले यानी 4 जून को परमहंस योगानन्द जी के जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर योगदा से जुड़े संन्यासियों ने पूरा दिन सेवा में लगाया। रांची के कुष्ठ कालोनियों में जाकर उन्हें भोजन कराया तथा सर्दी से बचने के लिए उनके बीच कंबल भी वितरित किये।

आज भी परमहंस योगानन्द जी के बताये मार्ग पर चलनेवाले लोग इस बात पर गर्व करना नहीं भूलते कि “परमहंस योगानन्दजी ने 1917 में वाईएसएस की स्थापना भारत और पड़ोसी देशों में, क्रिया योग – एक पवित्र आध्यात्मिक विज्ञान जिसका उद्भव सहस्राब्दियों पूर्व भारत में हुआ था, की सार्वभौमिक शिक्षाओं को उपलब्ध कराने हेतु की थी।” अगर आप परमहंस योगानन्द जी अथवा क्रिया योग या योगदा सत्संग सोसाइटी के विषय में अधिक जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप यहां संपर्क करें: yssi.org