अपनी बात

भगवान बिरसा की प्रतिमा के एक हाथ को असामाजिक तत्वों ने तोड़ डाला, पूरे राज्य में भड़का जनाक्रोश

अभी एक सप्ताह भी नहीं हुए, पूरा झारखण्ड गत् 9 जून को भगवान बिरसा मुंडा की पुण्यतिथि मना रहा था, राज्य सरकार और उनके अधिकारी तथा कई भाजपा नेता भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कर रहे थे और सेल्फियां ले रहे थे, उसे फेसबुक पर लगा रहे थे और आज देखिये क्या हो रहा है, रांची के लालपुर स्थित समाधिस्थल कोकर में भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा की हाथ तोड़ डाली गई हैं

ये हाथ ऐसे ही नहीं तोड़ी गई, बल्कि पूरी तरह से यह सुनियोजित साजिश के तहत तोड़ी गई है, ताकि झारखण्ड में जो फिलहाल शांति है, वह शांति सदा के लिए समाप्त हो जाये, लीजिये जिन लोगों ने इस साजिश को अंजाम दिया, क्या वे अपने इस इरादे में कामयाब होंगे, हमें नहीं लगता, क्योंकि निश्चय ही झारखण्डवासी उन साजिशकर्ताओं को अपनी एकता के बल पर उनके मुंह पर एक करारा तमाचा जड़ेंगे।

ये तो रही जनता की बात, और अब सरकार और उनके अधिकारी जवाब दें, कि इतनी बड़ी घटना कैसे हो गई। राज्य सरकार बताएं कि भगवान बिरसा की समाधि के पास बने भगवान बिरसा की प्रतिमा को तोड़ने की हिम्मत, उन्हें क्षतिग्रस्त करने की हिम्मत किस संगठन या किस व्यक्ति को कैसे हो ? वे कौन लोग हैं, जिन्हें प्रशासन का भय नहीं है, वे कौन लोग है जिन्हें शांति पसंद नहीं है, जो रह-रहकर इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देते है?

आखिर इसका पता कौन लगायेगा, उन्हें अपनी गलतियों का ऐहसास कौन दिलायेगा, उन्हें उनके किये की सजा कौन दिलवायेगा, या यह भी अन्य अपराधों की तरह समय बीतने पर अन्य अपराधों की तरह हवा में विलीन हो जायेगा, क्योंकि यह अपराध सामान्य कोटि का नहीं है, यह अपराध कर, अपराधियों ने उन करोड़ों लोगों के भावनाओं के साथ खेला हैं, जो झारखण्ड को अपना समझते हैं, जो भगवान बिरसा को अपने दिलों-जान से भी ज्यादा मानते है, जो सिर्फ सेल्फियों के लिए नहीं, बल्कि उन्हें दिल से आदर करने के लिए उनके समाधिस्थल पर जाकर, श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं।

इधर देखने में आ रहा है कि राज्य में और वह भी खासकर रांची में प्रशासन नाम की कोई चीज नहीं हैं, अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ा हुआ है कि पूछिये मत, ज्यादातर रांची के पुलिसकर्मी जनता और उनके संवैधानिक अधिकारों के प्रति उतनी सजग नहीं, जितनी सजगता सीएमओ और वहां काम कर रहे लोगों के इशारों पर काम करने में दिखाई पड़ती है। राजनैतिक पंडित तो साफ कहते है कि ये पुलिस थाने फिलहाल भाजपा के पार्टी कार्यालय की तरह काम कर रहे हैं, इसलिए इन पुलिसकर्मियों से आशा रखना कि वे संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करेंगे, मूर्खता को सिद्ध करने के बराबर है।

राजनैतिक पंडितों का कहना है कि जिसने भी इस घटना को अंजाम दिया है, उसने चुनौती दे डाली है कि यहां जो कुछ भी होगा, उनके इशारों पर होगा, और पुलिस तथा प्रशासन उनका कुछ बिगाड़ भी नहीं सकती, और सच्चाई भी यही हैं, आप स्वयं देखिये कि आखिर पुलिस उन कुकर्मियों को कब तक पकड़ती है, जिन्होंने ऐसा कुकर्म को अंजाम दिया, अगर पुलिस उन गुनहगारों को जल्द पकड़ने में सफल होती है, तो माना जायेगा कि यहां सब कुछ ठीक-ठाक हैं, और अगर नहीं तो आप समझते रहिये।