सौर धर्म सम्मेलन काशी के तत्वावधान में एक दिवसीय मग मिलन समारोह संपन्न, देश के कोने-कोने से जुटे मग-बंधु, किये विशेष-विमर्श

17 मार्च को श्री सौरधर्म सम्मेलन काशी के तत्वावधान में मग मिलन समारोह का आयोजन शीतलाघाट में स्थित काशी धर्मशाला में सपन्न हो गया। आगंतुक अतिथियों द्वारा दीप प्रज्जवलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता डा. श्रीदेव मिश्र ने की। मुख्य अतिथि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक रहे श्री नागेन्द्र पांडेय, विशिष्ट अतिथि डा. पतंजलि मिश्र, डा. विष्णुदेव मिश्र तथा राजस्थान में कमिश्नर रही श्रीमती कुसुम हठीला मंच पर विराजमान रही।

कार्यक्रम की शुरुआत सूर्य व गणेश वंदना, मग गीत के साथ संगीत व नृत्यादि से हुआ। संपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष मुख्य अतिथि श्री नागेन्द्र पांडेय ने अपने संबोधन में अपील की कि मग बन्धु शिखा और संध्या के महत्व को समझे। वे शिखा अवश्य रखे और नियमित संध्या करें। गायत्री मंत्र के महत्व पर भी उन्होंने विस्तृत प्रकाश डाला।

श्री उपेन्द्र पांडेय ने सौर वैदिक महाविद्यालय खोलने का प्रस्ताव रखा। राजस्थान से आए श्री सव्यदीप शर्मा ने सूर्य के विभिन्न रूपों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि उदयकालीन सूर्य, मध्याह्न सूर्य व अस्ताचलगामी सूर्य की तरह बंधुओं को अहम्-वहम् के भाव को त्यागना होगा। श्रीमती कुसुम हठीला दहेज उत्पीड़न पर विस्तृत चर्चा की।

श्रीमती कामिनी भोजक ने कहा कि मनुष्य को अपने कर्तव्यों से जीवन के मूल उद्देश्यों को पाना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि अपने कार्यों से उन्हें एक-दूसरे को संतुष्ट भी करना चाहिए। रांची से आये आचार्य मिथिलेश कुमार मिश्र ने रांची में सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा द्वारा किये जा रहे सामाजिक कार्यों पर विशेष जानकारी दी।

डालटनगंज से आये सार्वभौम शाकद्वीपीय ब्राह्मण महासभा के संरक्षक श्री विजयानन्द सरस्वती ने समाज में संवेदनशीलता से संगठन कैसे मजबूत हो, इस पर सभी से जोर देने को कहा। अन्य वक्ताओं में सर्वश्री भगवान पांडेय, आरा, गिरीन्द्र मोहन मिश्र, सुश्री उमा शर्मा, पं. विष्णुदेव मिश्र, श्रीमती मंजू मिश्र, गया, श्रीमती रेखा पांडेय, बनारस, श्रीमती प्रतिभा भारद्वाज, बक्सर, श्रीमती संगीता शर्मा भारद्वाज असम, श्रीमती माया मिश्र बनारस ने भी सभा को अपनी ओर आकृष्ट किया। सभा के समापन अवसर पर अपने संबोधन में डा. श्रीदेव मिश्र ने दहेज उत्पीड़न से हो रही कन्याओं की हत्या पर विस्तृत प्रकाश डाला। मंच संचालन पं. श्री जीवेन्द्र नाथ शास्त्री व समापन भाषण श्री शैलेश पराशर ने किया।