अपनी बात

रांची रेल मंडल के अधिकारियों ने स्वच्छता पखवाड़ा के नाम पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की आंखों में धूल झोंका

इस देश का दुर्भाग्य देखिये। एक ओर जहां देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं हाथों में झाड़ू लेकर स्वच्छता आंदोलन में कूद पड़े। उनके आह्वान पर पूरा देश यहां तक की देश की रक्षा में लगे जवान भी ईमानदारी से जहां बन पड़ा, वहीं से गंदगी हटाने में जुट गये पर रांची रेल मंडल के अधिकारियों व आरपीएफ के अधिकारियों ने क्या किया? इन सब ने मिलकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के आंखों में ही धूल झोंक दिया।

स्वच्छता आंदोलन पखवाड़ा को ही मजाक बना दिया। सिर्फ फोटो सेशन कराये, वीडियो बनाई और वहां से चलते बने। संयोग से जहां ये लोग इस प्रकार की हरकतें कर रहे थे। विद्रोही24 भी वहां मौजूद था और इनकी हरकतों को अपने कैमरे में कैद कर लिया। आप स्वयं देखे। ये कर क्या रहे हैं। इनकी आवाज भी इस वीडियो में कैद हैं।

आप स्वयं समझ जायेंगे कि इन लोगों की नजरों में स्वच्छता पखवाड़ा की क्या हैसियत थी? आश्चर्य यह भी हैं कि वे वहां फोटो सेशन करवा रहे थे, जहां गंदगी थी ही नहीं। ये वहां स्वच्छता पखवाड़ा कर रहे थे। जहां झाड़ू चलाने की कोई जरुरत ही नहीं थी। जबकि रांची जंक्शन के आस-पास ही कई ऐसे इलाके आज भी मौजूद हैं, जहां गंदगियों की अम्बार लगी हुई हैं, उसे इस समय साफ तो कराया/किया ही जा सकता था।

लेकिन इसके लिए दिल में ईमानदारी व अपने अंदर कर्तव्य बोध का होना उतना ही जरुरी है, जितना इस स्वच्छता आंदोलन को लेकर ईमानदारी व कर्तव्यबोध देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व सीमा पर तैनात हमारे वीर जवानों के दिलों में हैं। आप पहले इस वीडियो को देखिये। जो कल यानी गांधी जयंती, दो अक्टूबर के दिन, समय दोपहर बारह बजे का है।

आपने इस वीडियो में देखा कि दो बैनर लेकर रांची रेल मंडल का छोटा चार कर्मचारी खड़ा है। बैनर में, स्वच्छता पखवाड़ा व स्वच्छता ही सेवा लिखा है। साथ ही लिखा है कि स्वच्छ रेल, स्वच्छ भारत। आपने वीडियो में आवाज भी इन रेल अधिकारियों व आरपीएफ के एक अधिकारी और उसके कांस्टेबल की सुनी होगी। क्या आपस में बात कर रहे हैं। बातचीत है –

“स्टेशन आ रहा है। आ गया आ गया स्टेशनो आ गया। अब हो गया न। चलो। आइये देखिये आ गये आइये। आज लास्ट डेट है। ले लो एगो फोटो। हा हा ले लीजिये आप थोड़ा दूर से लेंगे, जरा ये लोग भी आ जायेंगे। आप इधर आ जाइये।”

आपने वीडियो में यह भी देखा कि इनमें से कोई रेल अधिकारी झाड़ू नहीं चला रहा है। सभी झाड़ू लेकर खड़े हैं और फोटो खींचा रहे हैं। ऐसे भी पूरा इलाका साफ है। वहां झाड़ू चलाने की कोई जरुरत भी नहीं। वो तो ऐसे ही साफ है। इतने में एक आरपीएफ का एक अधिकारी आता है। लोग उसे झाड़ू थामने को देते हैं। लेकिन वो इससे इनकार करता है।

लेकिन फोटो सेशन में वो भाग लेने में गर्व महसूस कर रहा हैं और अपने जवानों से फोटो लेने को भी कह रहा है। वीडियो में साफ देखिये कि आरपीएफ के जवान फोटो ले भी रहे हैं। अब सवाल उठता है कि जब आप स्वच्छता आंदोलन में ईमानदारी से भाग नहीं ले रहे हैं तो फोटो सेशन में भाग लेने की इतनी छटपटाहट क्यों? इसका जवाब कौन देगा?

क्या प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इनलोगों को यह दिशा-निर्देश दिया था कि स्वच्छता आंदोलन में स्वच्छता की ओर न ध्यान देकर फोटो सेशन पर सिर्फ ध्यान देना है। अंत में स्वच्छता अभियान कहां चलता है, जहां गंदगी हो वहां या जहां साफ-सफाई पहले से रहती हो वहां। क्या ये अपने कर्तव्यों के प्रति लापरवाही बरतना और अपने देश के आंखों में धूल झोंकना नहीं हैं।

जबकि इसके एक दिन पहले, एक अक्टूबर को रांची के ही जगरनाथ मंदिर, विधानसभा व तिरिल आश्रम को सीआरपीएफ के जवानों ने अपने डीआईजी व कमांडर के साथ मिलकर, वो भी वर्दी में स्वच्छता पखवाड़ा में दिल से भाग लिया और उन सारे इलाकों को चमका के रख दिया, वो भी भारी बारिश के बीच।

अगर नहीं विश्वास हो तो जाकर रांची रेल मंडल प्रबंधक को खुद उन इलाकों को देखना चाहिए। साथ ही रांची रेल मंडल के अधिकारियों के लिए यह सीआरपीएफ के जवानों का फोटो मैं स्वयं ही उपर में दे दिया हूं, खुद देख लें और मंथन करें कि क्या उन्होंने अपने कर्म के साथ न्याय किया?