नागरिक अभिनन्दन नहीं, अखबारी अभिनन्दन में सम्मानित हुए उप-सभापति हरिवंश

दो दिन पहले से रांची का अखबार प्रभात खबर एक विज्ञापन निकाल रहा था। विज्ञापन में लिखा था – नागरिक अभिनन्दन, हरिवंश, उप-सभापति, राज्यसभा, दिनांक – 24 अगस्त 2018, समय – अपराह्न 3.45 बजे से, स्थान – आर्यभट्ट सभागार, मोरहाबादी, रांची। आप सभी आमंत्रित हैं। निवेदक – प्रभात खबर, एवं पत्रकारिता विभाग, रांची विश्वविद्यालय, रांची और साइड में हरिवंश नारायण सिंह, उर्फ हरिवंश की फोटो लगी थी।

इस कार्यक्रम से पहली बार रांचीवासियों को यह महसूस हुआ कि नागरिक अभिनन्दन कराने के लिए रांची विश्वविद्यालय का उपयोग किया जा सकता हैं, और अखबार तो पैसा, फेंको तमाशा देखो, वाली बात पर चलता हैं, इसका उपयोग तो लेन-देन से चलता है, वो तो नागरिक अभिनन्दन की खबरें छापेगा ही छापेगा।

कल आर्यभट्ट सभागार मंच हरिवंश के फोटो-बैनरों से पटा था। मंच पर प्रभात खबर के मालिक से लेकर प्रधान संपादक तक तथा अखबार से जुड़े लोगों का कब्जा था, और रांची के सम्मानित नागरिक, मंच के नीचे बैठे थे, यानी जिनके नाम पर ये अभिनन्दन कार्यक्रम था, वे नीचे थे और जो निवेदक थे, उपर बैठे थे। निवेदक में रांची विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग का भी नाम था, पर मंच पर रांची विश्वविद्यालय के लोग नहीं दिखाई पड़े, वे भी नीचे की कुर्सियों को खाली देखकर, जहां मौका मिला, बैठ गये।

अखबारवालों ने अपनी अखबारी ताकतों का इस्तेमाल करते हुए अखबारों में नाम छपवानेवाले छपास बीमारी से पीड़ित तथा अपने नाम व संस्थाओं का नाम चमकानेवाली विभिन्न जातीय, सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक, शैक्षिक संस्थाओं से जुड़े हुए लोगों को बड़ी संख्या में बुलाया था, लोग जुटे भी थे, क्योंकि सभी जानते है कि ऐसे कार्यक्रमों में अखबार, एक या दो पेज का विशेष पेज निकालते हैं, जिनमें संस्थाओं के नाम व फोटो लगे रहते हैं, लोगों ने जमकर रुचि ली।

बड़ी भारी भीड़ जुटी, किसी को लग रहा था कि उसकी जाति का आदमी, उप-सभापति बना है, गर्व से सीना ताने, भगवा पगड़ी पहनाने, सेल्फी लेने में जुटा था, कोई माला पहनाने में लगा था, कोई स्मृति चिह्न देने में लगा था, कोई अपना नाम लिखवाने में लगा था कि उसका नाम कहीं, कल के अखबारों में प्रकाशित होने से वंचित न रह जाये, खैर – जैसे-तैसे ये अखबारी अभिनन्दन समाप्त हो गया।

राज्यसभा के सभापति को यह बोध कराने की कोशिश की गई, कि प्रभात खबर आज भी उनका ऋणी है, पुराने एक महारथी को बुलाकर, मंच से हरिवंश की महानता को सिद्ध कराया गया, जबकि वहीं खड़ा एक व्यक्ति 27 जनवरी 2017 के जिमखाना क्लब का दृश्य याद कर रहा था, जब हरिवंश की विदाई की एक औपचारिकता पूरी की गई थी और उस कार्यक्रम में सिर्फ अखबार से जुड़े शीर्षस्थ पदाधिकारियों का एक समूह ही विद्यमान था।

उक्त व्यक्ति यह सोच रहा था कि क्या दुनिया है? कि एक ही व्यक्ति/संस्थान कैसे रंग बदलता है? कैसे संस्थान के लोग, अपनी गोटी फिट करने के लिए, व्यक्ति-विशेष के ताकतवर होते ही रंग बदलते हैं, और नागरिक अभिनन्दन का ढोंग करते हैं, अखबार की बनावटी ताकत पर विभिन्न संस्थानों को बुलाकर सम्मान का ढोंग करते हैं और लोग बड़े ही झूठे और बनावटी चेहरों के साथ, बिना मुस्कान के मुस्कान चेहरे पर बिखेर कर संबंधित व्यक्ति का अभिनन्दन करने का ढोंग करते हैं।

कुछ लोगों का कहना था, देश बदल रहा हैं, अब अखबार के लोग भी नागरिक अभिनन्दन करने लगे हैं, विश्वविद्यालय भी अभिनन्दन करने लगा हैं, निवेदक की भूमिका में आ रहा हैं। मोतिहारी के वरिष्ठ पत्रकार चंद्रभूषण पांडेय के शब्दों में नागरिक अभिनन्दन दूसरी चीज हैं, नागरिक अभिनन्दन नागरिकों के विभिन्न संस्थाओं, जिनका समाज में अपना रुतबा या सम्मान हो या राज्य द्वारा संपोषित हो, वे करें तो सम्मान हैं, बाकी के सम्मान का कोई मतलब नहीं होता। अखबारवाले अपने संपादक या पूर्व के संपादकों का सम्मान करते हैं, तो ये नागरिक अभिनन्दन थोड़े ही हुआ, यह तो एक संस्था द्वारा अपने पदाधिकारियों का सम्मान हुआ, ऐसे आजकल के इस प्रकार के नागरिक अभिनन्दन के मंचन को जनता भी खूब समझती हैं, वो जानती है कि ये आयोजन किसलिए, किसके द्वारा और किसको प्रसन्न करने के लिए किया गया हैं, जनता इतनी भी बेवकूफ नहीं हैं कि 2014 में आप सांसद बनते हैं, 2017 में अखबार से स्वयं को मुक्त करते हैं, अचानक 2018 में उप-सभापति बनते हैं और अचानक आपके उपर प्रेम उमड़ गया और लोग नागरिक अभिनन्दन करने के लिए उतारु हो गये।

विद्रोही 24. कॉम ने इस प्रकार के अभिनन्दन के बारे में पूर्व में ही कह दिया था कि जिस प्रकार से उपसभापति बनने के बाद लोग अपने-अपने फोटो निकालकर, हरिवंश के साथ अपने संबंधों को जोड़ रहे हैं, फेसबुक पर शेयर कर रहे हैं, देखियेगा दिल्ली से रांची आते-आते तक नागरिक अभिनन्दन का ड्रामा भी दिख जायेगा, और वह 24 अगस्त को दिख भी गया।

आम तौर पर, अखबारों में अपना फोटो छपवाने से दूर रहनेवाला व्यक्ति, प्रभात खबर में तो पहले पेज पर और भीतर के एक विशेष पेज पर खूब चमक रहा था, पर रांची से प्रकाशित अन्य प्रमुख अखबारों में उसके नागरिक अभिनन्दन की कहीं कोई खबर आज नहीं थी, ये कैसा नागरिक अभिनन्दन था, जिसकी खबर केवल एक ही अखबार में दिखी और दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर, तथा हिन्दुस्तान जैसे अखबारों ने छापने से इनकार कर दिया, इसका मतलब था कि ये नागरिक अभिनन्दन नहीं, बल्कि एक अखबार का विशुद्ध अखबारी अभिनन्दन था।

यानी एक राज्यसभा का उपसभापति अभी भी एक अखबार से उपर नहीं उठा, वह सभी अखबारों का नहीं बन सका, और किसी ने उसे तवज्जों नहीं दी, दैनिक भास्कर ने थोड़ी चालाकी दिखाई, उसने उपसभापति हरिवंश का साक्षात्कार छापा, ये साक्षात्कार में उपसभापति से पूछे जा रहे प्रश्नों के उतर भी संवाददाताओं को चालाकी भरे मिले, आप स्वयं उक्त अखबार को देखिये, पता लग जायेगा। चलिए नागरिक अभिनन्दन का जिम्मा भी अब अखबार और विश्वविद्यालय उठाने लगे हैं, निवेदक बनने लगे हैं, ये बताता है कि अपना देश बदल रहा हैं।

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