धर्म

ध्यान हमें सभी समस्याओं से समाधान करने का विकल्प बताने के साथ टूल्स भी उपलब्ध कराता है, जो सद्गुरु और ईश्वर से मिलाने के लिए आवश्यक हैः स्वामी पवित्रानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम में रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी पवित्रानन्द ने कहा कि ध्यान एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम है, जिसके द्वारा आप अपने अंदर पनपनेवाली सारी बुराइयों को परास्त कर आप अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं। उसे एक नई दिशा दे सकते हैं। आप स्वयं को सद्गुरु और ईश्वर की ओर ले जा सकते हैं। इसलिए हमेशा इसे मन में स्थापित कर लें कि ध्यान का कोई विकल्प इस दुनिया में नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि हमारी आदतें जीवन को नियंत्रित करती हैं। ये आदतें अच्छी भी होती हैं और बुरी भी। अच्छी आदतें हमारे जीवन के मार्ग को प्रशस्त करती हैं और बुरी आदतें हमारी जीवन को विनाश की ओर ले जाती है। इसलिए हमेशा अपनी आदतों के मामले में हमें सावधानी बरतनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि जब वे योगदा आश्रम में प्रवेशार्थी के रूप में जुड़े। तब उन्होंने एक दीवार पर एक मकड़े को अपना जाल बूनते देखा। जाल बून चुका मकड़ा स्वयं को जाल के केन्द्र में खुद को स्थापित कर लिया था। जब उन्होंने उसके जाल में एक छोटे से कागज के टुकड़े को फेंका, तो उस मकड़े ने उस कागज के टूकड़े को अनुपयोगी मानते हुए, उसे जाल से बाहर निकाल दिया।

उन्होंने कहा कि ये क्रिया उन्होंने बार-बार दुहराई और बार-बार यही देखने को मिला कि मकड़ा उस अनुपयोगी कागज को अपने जाल से निकाल बाहर करता। ये घटना एक संदेश देता है कि हमें भी जो हमारे जीवन में अनुपयोगी चीजें आती हैं, वो अनुपयोगी चीजें वे आदतें ही क्यों न हो, जो हमें विनाश की ओर ले जाती हैं। उसका त्याग कर देना चाहिए। क्योंकि इसी में हमारी भलाई निहित है।

स्वामी पवित्रानन्द ने कहा कि बुरी आदतें हमारे जीवन के लिए कभी सहीं नहीं रही, इसलिए इससे दूरी बनाये रखें। जैसे ही कोई बुरी आदतें आपके जीवन में दखल देने की कोशिश करें, आप उसे तत्काल रिमूव करें। उन्होंने कहा कि हमारे गुरुजी बहुत ही स्पेशल हैं। वे कहते थे कि नकारात्मक सोच, नकारात्मक भावनाएं और बुरी आदतें हमारे जीवन को नष्ट करने के लिए काफी है। इसलिए इससे बचने का एक ही उपाय है कि लोग ध्यान करें। ध्यान हमें इन सभी प्रकार की बुराइयों से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

उन्होंने एक बहुत ही सुंदर दृष्टांत सुनाते हुए लोगों को समझाया कि अगर आप जंगल में अकेले जा रहे हो और वहां एक बाघ अचानक आपके सामने आ जाये तो आप क्या करेंगे? आप भागने की कोशिश करेंगे। हो सकता है कि भागने के क्रम में आप बच भी जाये और हो सकता है कि आप बाघ के शिकार भी हो जाये।

लेकिन दूसरी घटना पर आप ध्यान दीजिये, आप जंगल में हैं और आपके पास एक बंदूक है और सामने अचानक बाघ आ जाये, आप क्या करेंगे, आप बचने के लिए उस बंदूक का प्रयोग करेंगे। आप बंदूक से बाघ को मारकर स्वयं को बचा लेंगे। आप बंदूक की आवाज से बाघ को डराकर भगा भी सकते हैं और खुद को बचा सकते हैं या बंदूक से बाघ को थोड़ा सा पांव में गोली मारकर उसे घायल कर खुद को बचा सकते हैं। यानी अगर आपके पास बाघ से बचने के लिए टूल्स उपलब्ध हैं तो आप उसका इस्तेमाल कर खुद को बचा सकते हैं। ठीक उसी प्रकार ध्यान एक ऐसा शक्तिशाली माध्यम हैं, जो आपको हर प्रकार की समस्याओं से समाधान करने का विकल्प आपको बताता हैं। वो आपको वो सारी टूल्स उपलब्ध करा देता है, जो आपको सद्गुरु और ईश्वर से मिलाने के लिए आवश्यक हैं।

उन्होंने कहा कि दुर्योधन और अर्जुन जब भगवान कृष्ण के पास पहुंचे थे तो एक ने श्रीकृष्ण से उनकी नारायणी सेना मांगी और एक ने श्रीकृष्ण से श्रीकृष्ण को ही मांग लिया। जब अर्जुन के पास श्रीकृष्ण आ गये तो विजयश्री किसको मिलनी है, वो उसी वक्त तय हो गया था। इसलिए श्रीकृष्ण जहां रहेंगे, तो विजय भी वहीं होनी है। यह सभी को समझ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्यादातर लोग भौतिक संसाधनों में ही सुख तलाशते हैं, लेकिन उन्हें नहीं पता कि जो सुख ईश्वर की प्राप्ति में हैं, वो भौतिक संसाधनों को प्राप्त करने में नहीं।

उन्होंने कहा कि ध्यान आपकी चेतना को नियंत्रित करती है। माया जहां आपको ईश्वर से दूर ले जाने का प्रयास करती है, वहीं ध्यान आपकी चेतना को जागृत करते हुए उसे ईश्वर तक ले जाने का प्रयास करती है। उन्होंने कहा कि ध्यान करने में आलस्य को अपने उपर कभी हावी नहीं होने दें। ध्यान अवश्य करें, क्रिया अवश्य करें, हर हाल में करें। यहीं आपके पूर्व जन्मों के बुरे कर्मों को नष्ट करनें मे सहायक है और वर्तमान आध्यात्मिक पथ को आलोकित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि परमहंस योगानन्द ने कहा था कि आप स्वयं को आत्मसंयमित करिये। आत्मसंयम का मतलब ही है अपनी इंद्रियों और इच्छाओं पर नियंत्रण पाना। अगर आप इसमें सफल हो गये तो फिर बचा क्या?

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