अपनी बात

लो जी शिवानन्द, बड़ा हांक रहे थे कि तेजस्वी पटना आयेंगे तो स्थिति स्पष्ट हो जायेगी, तेजस्वी तो यादववाद पर ही मुहर लगा दिये

लो जी शिवानन्द तिवारी, आपके नेता तेजस्वी भी पटना पहुंच गये और उन्होंने आते ही अपने सजातीय भाई व बिहार के नमूने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव की पीठ थपथपा दी, अब बताओ, अब आपके पास बोलने को क्या रह गया? जो राजनीतिक पंडित हैं, वे तो जानते थे कि आगे क्या होनेवाला है, भला जगतानन्द, चंद्रशेखर जैसे लोग जिनकी शिक्षा ही हिन्दू धर्मग्रंथों के नाश पर टिकी है, जिस राजद का बुनियाद ही हिन्दूत्व के विनाश के लिए रखी गई है, जिसका पहला नेता लालू यादव ही हिन्दूओं के खिलाफ 1990 के दशक में जमकर विषवमन किया करता था, उस लालू यादव और उसकी पार्टी तथा तेजस्वी के इस हरकत से लोगों को कोई हैरानी हैं क्या, सभी जानते हैं/थे कि आगे क्या होनेवाला है?

नीतीश को खुब जलील कर रहे राजद के नेता

दरअसल अब बिहार का विनाश होनेवाला है और इस विनाश की पुस्तक पर पहला हस्ताक्षर नीतीश कुमार करेंगे, क्योंकि नीतीश कुमार ने ही तेजस्वी जैसे लोगों को आगे करने का फैसला लिया है और अब चूंकि नीतीश ने फैसला ले लिया, अब उसकी कुछ चल नहीं रही, ऐसे भी भाजपा उससे बिदकी हुई हैं, ऐसे में फिर से भाजपा की ओर जाने की बात भी नीतीश के लिए अंतिम कील ही साबित होगी।

यही कारण है कि राजद का कोई भी नेता वो छोटा हो या बड़ा पूरे बिहार में नीतीश की अच्छी तरह से इज्जत उतार रहा है, खूब उन्हें गालियों से विभूषित कर रहा है और उसके सामने ऐसी हालत कर दे रहा है कि नीतीश और उसकी पार्टी को न तो बोलते बन रहा और न ही निगलते। कहा भी गया है कि जो आप बोते हैं, वही काटते हैं।

ज्यादा दिनों की बात नहीं हैं, कई बार नीतीश कुमार ने भाजपाइयों की इज्जत उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। इस व्यक्ति ने तो जिस अटल बिहारी वाजपेयी ने उसे मुख्यमंत्री पद तक लाया, उस व्यक्ति को भी अपमानित किया। याद करिये भोज का आमंत्रण देकर भोज वापस ले लिया था इसने, जैसे लगता था कि भाजपाई नेता इनके भोज के लिए पटना में भाजपा राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक कराई थी।

नीतीश से सम्मान की अपेक्षा रखना अर्थात् खुद को अपमान कराना है

राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे साफ कहते है कि नीतीश से सम्मान की अपेक्षा रखना, खुद अपना अपमान कराना है, इसलिए नीतीश के साथ जो भी कुछ हो रहा हैं, ये उसकी नियति है। लेकिन नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल एक नमूने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव को जो हिन्दू धर्मग्रंथों को अपमानित कराने का जो कुकर्म किया हैं, इसकी भी सजा उसे ईश्वर अवश्य देगा।

ईश्वर तो लालू यादव को तो दे ही रहा हैं, जगतानन्द व चंद्रशेखर साथ में तेजस्वी को भी आगे देगा, इनकी सारी हेकड़ी बस अगले चुनाव में निकल जायेगी। आश्चर्य हैं, मनोज झा, शिवानन्द तिवारी जैसे लोग जो खुद को ब्राह्मण (पता नहीं ब्राह्मण है भी या नहीं) कहते हैं, इन सभी ने अपनी क्षुद्र महात्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए भारत और भारत की संस्कृति को समूल नष्ट करने का एक तरह से बीड़ा उठा लिया हैं, दुर्भाग्य देखिये ये दोनों ब्राह्मण कुल में जन्म लेकर भारत के मिट्टी में जन्मे धर्म को मिट्टी में मिलानेवाली पार्टी का समर्थन करने से गुरेज नहीं करते।

अब इसका क्या परिणाम निकलेगा

निश्चय ही बिहार में यादववाद उभरेगा और उस यादववाद में बिहार की अन्य पिछड़ी जातियां दबाई जायेगी, कुचली जायेगी। हिन्दू धर्म और उसकी संस्कृति को नष्ट करने के लिए राजद द्वारा अभियान चलाया जायेगा। जिसके लिए यादव बहुल यह राजद पार्टी जमीनी स्तर पर कार्य करेगी। बिहार में इस्लामीकरण का दौर शुरु होगा। सीमांचल के बाद मध्य बिहार में भी इस्लाम का दौर दिखेगा।

ये यादव नेता बिहार के मुस्लिमों को आगे बढ़ाने के लिए खुब दौलत खर्च करेंगे और उनके धर्मप्रचार में हरे रंग का साफा पहनकर हिस्सा भी लेंगे। मतलब देखते ही देखते केरल का दृश्य यहां दिखाई देगा। ब्राह्मणों को अपमानित किया जायेगा और जो लोग इन्हें अपमानित करेंगे उन्हें पुरस्कृत किया जायेगा। इस कार्य में वे भी ब्राह्मण शामिल होंगे जो लालटेन का झंडा ढो रहे होंगे और जाकर लालू यादव और उनके बेटों को दिखायेंगे कि देखिये हमने फलांने ब्राह्मण को उठा-उठाकर पटक दिया।

बस बीस वर्ष, उसके बाद तो बिहार में लालटेन और तीर दिखेगा ही नहीं

राजनीतिक पंडितों की मानें तो इनकी सारी हेकड़ियां बीस वर्षों तक चलेगी, पर जैसे ही बिहार में इस्लाम धर्मावलम्बियों की बहुलता किशनगंज और सीमांचल जैसे इलाकों की तरह हो जायेगी, लालटेन जलानेवाले लोगों की औकात का पता चल जायेगा। कमाल है, जनादेश मिला है, जनता की सेवा करने की, तो ये श्रीरामचरितमानस में खामियां देख रहे हैं।

जिस पार्टी का नेता तेजस्वी नाम रहने के बावजूद पढ़ने में कितना तेज रहा है, वो नमूने चंद्रशेखर का पीठ थपा-थपा रहा है। थप-थपा लो, आखिर कितने दिनों तक? ईश्वर की मार के आगे तो अच्छे-अच्छे जमीदोंज हो जाते हैं, आपलोग किस खेत की मूली हो भाई। हां, मैं देख रहा हूं कि आनेवाला समय बिहार में ब्राह्मणों के लिए खतरों से खाली नहीं है। उन पर वार अब ज्यादा होंगे।