राजनीति

सुनो, सुनो, सुनो, राजभवन से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि राज्यपाल बहुत दुखी है, सरकार को सहयोग करना चाहते हैं, पर सरकार…

राज्यपाल रमेश बैस का कहना है कि राज्य के अनुसूचित जनजातियों के कल्याणार्थ राशि की कमी नहीं है, कमी है तो प्रतिबद्धता के साथ योजनाओं के क्रियान्वयन व विजन की। उन्होंने कहा कि यह विडम्बना है कि राज्य के जनजाति आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। केंद्र सरकार से प्राप्त राशि पड़ी है लेकिन उचित योजना बनाकर विभाग व्यय नहीं कर रही हैं। उन्होंने जनजातियों के विकास के लिए विभाग को सही योजनाओं का निर्माण कर उन योजनाओं का ससमय बेहतर क्रियान्वयन का निदेश दिया ताकि केंद्र से प्राप्त राशि का अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले।

राज्यपाल आज राज भवन में अनुसूचित जनजातियों के कल्याण हेतु संचालित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा कर रहे थे। जिसमें राज्यपाल के प्रधान सचिव नितिन कुलकर्णी, कल्याण सचिव  के० श्रीनिवासन, आदिवासी कल्याण आयुक्त लोकेश मिश्रा, विशेष सचिव, कल्याण विभाग राजीव रंजन मिश्रा, निदेशक, डॉ० रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान रणेन्द्र कुमार एवं अन्य वरीय पदाधिकारीगण मौजूद थे।

राज्यपाल का कहना है कि तीन वित्तीय वर्षों में 50% राशि भी नहीं हुई खर्च

राज्यपाल ने समीक्षा के क्रम में 275 (1) के तहत केन्द्र सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि हेतु योजनाओं के निर्माण एवं व्यय पर चिंता व नाराजगी प्रकट की। उन्होंने कहा कि केन्द्र से विगत तीन वित्तीय वर्षों में प्राप्त राशि का 50 प्रतिशत भी व्यय न होना विभाग की शिथिलता को प्रदर्शित करता है। विदित हो कि भारत सरकार द्वारा 2020-21 में 102.78 करोड़ राशि के विरुद्ध 43.49 करोड़, 2021-22 में 122.64 के विरुद्ध 17.90 एवं 2022-23 में 67.48 के विरुद्ध राज्य सरकार अब तक कोई राशि व्यय नहीं कर पाई है।

समीक्षा में मालूम पड़ा कि सी०सी०डी० योजना के अंतर्गत 2020-21 में 1777.29 लाख के विरुद्ध 1019.75 एवं 2021-22 में 1696.93 लाख के विरुद्ध 262.27 लाख ही राज्य सरकार उपयोग कर सकी है जिसके कारण 2022-23 में स्वीकृत राशि 2551.77 लाख के विरुद्ध कोई भी राशि विमुक्त नहीं की गई। राज्यपाल एस०सी०ए० टू टी०एस०पी० योजना की समीक्षा करते हुए आश्चर्य व दुःख प्रकट करते हुए कहा कि भारत सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2020-21 में विमुक्त 7049.64 लाख राशि के विरुद्ध 1311.83 लाख, 2021-22 में 6531.00 लाख के विरुद्ध कोई व्यय नहीं हुआ जिसके

राज्यपाल कहते हैं कि झारखण्ड में साइकिल वितरण योजना प्रभावी नहीं

परिणामस्वरूप 2022-23 में केंद्र सरकार से राशि प्राप्त नहीं हुआ। राज्यपाल ने युवाओं को स्वरोजगार हेतु आर्थिक सहायता, सिलाई वितरण मशीन का वितरण, तालाब निर्माण एवं जीर्णोद्धार आदि योजनाओं के कार्यान्वयन की विफलता पर नाराजगी प्रकट किया। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6415.15 लाख राशि के विरुद्ध व्यय शून्य रही।

राज्यपाल ने योजनाओं के निर्माण व क्रियान्वयन में गति लाने के लिए क्षेत्रीय पदाधिकारियों के साथ निरंतर समन्वय स्थापित कर अनुश्रवण करने का निदेश दिया। राज्यपाल द्वारा अधिकारियों से कहा कि योजनाएँ पूर्व से ही तैयार कर ली जानी चाहिए ताकि केन्द्र सरकार द्वारा राशि प्राप्त होते ही कार्य प्रारम्भ हो जाएँ। केंद्र सरकार को विगत वर्षों की विभिन्न योजनाओं के उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी नहीं भेजे गए हैं जिससे केंद्र द्वारा योजनाओं की आवंटन राशि में कमी आई है।

राज्यपाल ने केन्द्र को ससमय उपयोगिता प्रमाण-पत्र भी प्रेषित करने का निदेश दिया। उन्होंने साइकिल वितरण योजना पर चर्चा करते हुए कहा कि बहुत दुखद है कि राज्य में साइकिल वितरण योजना प्रभावी नहीं है, यहाँ के छात्र/छात्राएँ साइकिल से वंचित हैं और जबकि दो माह बाद उनकी परीक्षा होनेवाली है। इन योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन नहीं होने से राज्य में ड्रॉप आउट की समस्या बढ़ती है। राज्य के छात्र/छात्राओं को साइकिल शीघ्र सुलभ कराने की दिशा में विभाग को कार्य करने हेतु निदेशित किया गया।

राज्यपाल का कहना है कि वे राज्य के विकास के प्रति प्रतिबद्ध है

राज्यपाल ने कहा कि झारखण्ड राज्य 5वीं अनुसूची क्षेत्र अंतर्गत आता है, लेकिन आश्चर्य है कि पिछले 18 महीने में एक बार भी विभाग के अधिकारियों द्वारा आकर विभाग की गतिविधियों से अवगत नहीं कराया गया। राज्य में जनजातियों के हित में संचालित विभिन्न योजनाओं की प्रगति से अवगत होने के लिए आज यहाँ बुलाया गया है।

राज्यपाल ने कहा वे शुरू से कह रहे हैं कि वे राज्य के विकास के प्रति प्रतिबद्ध हैं और सरकार को सहयोग प्रदान करने आए हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा टी०ए०सी० की नियमावली में पुनर्गठन संबंधी प्रस्ताव उनके द्वारा वापस कर दिया गया। पूर्व में राज्यपाल द्वारा टी०ए०सी० में दो व्यक्तियों को नामित किए जाने का प्रावधान था जिसे इस नियमावली के तहत समाप्त किया गया।

सरकार को इस संबंधी पत्र प्रेषित किया गया है लेकिन इसका जवाब अब तक अप्राप्त है। समीक्षा बैठक में पृच्छा के क्रम में भी विभागीय अधिकारियों द्वारा ऐसी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई। राज्यपाल ने विगत दिनों आयोजित टी०ए०सी० की बैठकों एवं इसकी  कार्यवाही की वैधानिकता पर भी प्रश्नचिन्ह उठाया, जिसका जबाव उपस्थित विभागीय अधिकारी नहीं दे पाये। टी०ए०सी० संबंधी राज भवन द्वारा प्रेषित पत्र का अतिशीघ्र जवाब देने का निदेश दिया गया। 

राज्यपाल चाहते हैं कि उत्तीर्ण आदिवासी छात्र दो-तीन माह के अंदर छात्रावास खाली करें

राज्यपाल ने उक्त अवसर पर छात्रावास योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि छात्रावासों की स्थिति बेहतर दशा में हो, इस दिशा में ध्यान दिया जाय। साथ ही उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी उत्तीर्ण हो जाते हैं, उन्हें 2-3 माह समय देकर छात्रावास खाली करने हेतु कहें, आवश्यकतानुसार इसके लिए प्रशासन का भी सहयोग लें। उक्त अवसर पर राज्यपाल ने मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना की समीक्षा करते हुए कहा कि इतने महत्वपूर्ण योजना के कार्यान्वयन में शिथिलता अफसोस का विषय है।

समीक्षा के क्रम में ज्ञात हुआ कि बिरसा आवास योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2262.16 लाख राशि के विरुद्ध 1657.41 लाख, 2021-22 में 2069.76 लाख के विरुद्ध 1370.40 लाख, 2022-23 में 1904.16 लाख के विरुद्ध 454.50 लाख व्यय किया गया।  राज्यपाल ने शहीद ग्राम विकास योजना के तहत कार्य को भी अत्यंत असंतोषजनक बताया। प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना एवं शहीद ग्राम विकास योजना के तहत कार्य की प्रगति के साथ पीवीटीजीएस हेतु संचालित विशेष योजनाओं के कार्यान्वयन सहित विभाग द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की जानकारी प्राप्त की।