अपनी बात

रघुवर सरकार के रहते राज्य में विधि-व्यवस्था कभी भी ठीक नहीं हो सकती – बाबूलाल मरांडी

झारखण्ड में रघुवर सरकार के रहते कभी भी विधि व्यवस्था ठीक नहीं हो सकती, उसका मूल कारण हैं कि, इस सरकार ने कभी भी विपक्ष और जनता को सरकार का पार्ट माना ही नहीं, लगता है कि इस सरकार ने अपने अधिकारियों और पुलिस सेवा में लगे लोगों को एक मैसेज दे दिया है कि जब भी किसी विपक्षी नेता अथवा जनता का फोन जाये, तो उसके फोन को न तो उठाओ और न ही उनके द्वारा दिये गये दिशा-निर्देशों का पालन करो। ये बाते आज झारखण्ड विकास मोर्चा सुप्रीमो व राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी ने विद्रोही24.कॉम से बातचीत में कही।

उन्होंने कहा कि मेरे पास कई ऐसे प्रमाण है कि मैने जब भी कभी राज्य के प्रमुख प्रशासनिक अधिकारियों या पुलिस सेवा में लगे लोगों को फोन किया, किसी ने हमारे फोन को रिसीव नहीं किया और न ही उधर से रिकॉल किया, और जब हमारे जैसे व्यक्ति का फोन प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस सेवा में लगे लोग नहीं उठाते तो आम आदमी की क्या बिसात?

महेन्द्र प्रसाद सिंह से विचारधारा मेल नहीं खाने के बावजूद, उनकी बाते उनके शासनकाल में प्राथमिकता के आधार पर सुनी जाती थी, पर आज विपक्ष की आवाज दबाई जाती है

बाबू लाल मरांडी कहते है कि आज भाकपा माले विधायक दल के नेता महेन्द्र प्रसाद सिंह दुनिया में नहीं हैं, हम जिस वक्त उस पार्टी में थे, हमारी विचारधारा और उनकी विचारधारा कभी मिलती नहीं थी, फिर भी आप उस समय के मुख्य सचिव वी एस दूबे और जो हमारे उस वक्त प्रधान सचिव थे, आप उनसे पूछ सकते है कि हमने हिदायत दे रखी थी कि जब कभी महेन्द्र प्रसाद सिंह का फोन आये, उनके बातों पर अमल किया जाये।

लोग बोलते भी थे कि उनकी विचारधारा अपने विचारधारा से मेल नहीं खाती, फिर भी उनकी बातों पर अमल क्यों? मैं बराबर कहा करता था कि भले ही हमारी पार्टी से उनकी विचारधारा मेल नहीं खाती हो, पर वो हैं तो जनप्रतिनिधि, वे जो भी समस्याएं लाते हैं, वे जनता के हितों के लिए ही तो होती हैं, इसलिए उनकी बातों पर भी अमल हो, और अगर कोई बात समझ नहीं आये, तो उनसे फोन कर, बात समझने की कोशिश करें, लेकिन आज रघुवर दास के राज्य में हो क्या रहा हैं, विपक्ष को ठिकाने लगाने की बात होती हैं, उनकी बातों को नजरंदाज करने का निर्देश दिया जाता हैं, ऐसे में जनता की समस्याएं तो ऐसे ही रहेगी, ऐसे में विधि-व्यवस्था तो चौपट होगी ही।

हमने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ किया और रघुवर सरकार ने चौपट कर दिया

बाबू लाल मरांडी ने कहा कि एक समय था, जब हमने राज्य में बेहतर शिक्षा के लिए एनसीइआरटी के पाठ्यक्रम लागू किये, स्कूली छात्राओं को साइकिल दिये ताकि उनका मनोबल बढ़े, स्कूलों में शिक्षकों की बहाली कराई और आज क्या हैं, स्कूल बंद हो रहे हैं, स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं, झारखण्ड में तो ऐसे भी छोटे-छोटे कई गांवों पर एक स्कूल हैं, ऐसे में बच्चे का भविष्य ही बर्बाद हो जायेगा।

वे कहते है कि हमने तो अपने समय में बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए बाहर के राज्यों में भी भेजा और उनकी ट्यूशन फीस भी भरवाई, वो तो कोई भी देख सकता है, और आज कांउसिलिंग होने के बाद भी बीएड के नामांकन में आधी सीटे खाली ही रहती है, जब मैं पूछता हूं कि एडमिशन क्यों नहीं हुआ, बच्चे बताते है उनके पास पैसे नहीं हैं।

रघुवर सरकार रक्षाशक्ति विश्वविदयालय खोलती है, जिसकी डिग्री की कोई मान्यता ही नहीं, अब आप ही बताइये कि जो बच्चे यहां पढ़ेंगे तो उनके भविष्य का क्या होगा, वो तो एटीएम गार्ड ही बनेंगे और आठ हजार की नौकरी के लिए बंगलूरु का रुख करेंगे, ऐसे में वे खायेंगे क्या और बचायेंगे क्या?

900 करोड़ खर्च कर दिये विदेश दौरे में, एक रुपये तक का निवेश नहीं, और हाथी उड़ाने में रघुवर सरकार लग गई

बाबू लाल मरांडी कहते है कि राज्य के अधिकारी राज्य में निवेश के लिए विदेश का दौरा करते हैं और 900 करोड़ खर्च कर देने के बावजूद एक निवेश तक नहीं हो पाता, और इसके नाम पर हाथी उड़ाने का नौटंकी किया जाता हैं, क्या ये शर्म की बात नहीं, जबकि उनके शासनकाल में 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी उपलब्ध कराकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को ठीक करने का काम किया जा रहा था।

बाबू लाल मरांडी बताते है कि अच्छी सड़क बनाने का ढोंग करनेवाले रघुवर दास से पूछिये कि रांची से टाटा जानेवाली सड़क का क्या हाल है? उनसे पूछिये कि रांची के रिंग रोड इन पांच सालों के बीत जाने के बाद भी पूरी तरह क्यों नहीं तैयार हुए। सच्चाई यह है कि यह राज्य हर स्तर पर फेल है, इनकी हिम्मत नहीं कि राज्य की जनता की आंखों से आंखे मिलाकर बात कर सकें, पर करें क्या दिसम्बर 18 तक बिजली, वह भी 24 घंटे देने का दावा करने और नहीं पूरा करने पर वोट नहीं मांगने की बात करनेवाले भी जनता के सामने जाकर खड़े हैं तो इसे उनकी महानता कहें या कुछ और, अच्छा रहेगा जनता ही बताएं।

गठबंधन में रहकर ही चुनाव लड़ने की कोशिश, रघुवर सरकार को सत्ता से बेदखल करना ही प्राथमिकता

वे कहते हैं कि उनकी प्राथमिकता राज्य में चल रही सरकार को उखाड़ फेकने की हैं, और उनकी मंशा है कि राज्य का सारा विपक्ष एक होकर चुनाव लड़ें, वे चाहेंगे कि सभी विपक्षी दल इस मुद्दे पर एक हो, क्योंकि झाविमो ने पहले भी मिलकर चुनाव लड़ने की कोशिश की हैं, अब देखिये समय क्या करता हैं,  पर झाविमो का विचार क्लियर हैं कि वह विपक्ष को साथ लेकर चुनाव लड़ना चाहता हैं, ताकि रघुवर सरकार को सत्ता से बेदखल कर, जनहित में सरकार बनाई जाये।