अपनी बात

भूमि घोटाले-यौन उत्पीड़न के आरोपियों को IAS में पदोन्नति देकर CM बनायेंगे न्यू झारखण्ड

झारखण्ड बदल रहा है, ये मुख्यमंत्री रघुवर दास का झारखण्ड है, जो न्यू झारखण्ड के नाम से जाना जा रहा है, इसमें भूमि घोटाला और यौन उत्पीड़न के आरोपियों को आईएएस बनाने का प्रावधान हैं, शायद मुख्यमंत्री रघुवर दास को लगता है कि ऐसे लोग ही झारखण्ड को बेहतर दिशा में ले जा सकते हैं, इसलिए इन्होंने इस बार जो राज्य के 31 आईएएस अधिकारियों को आईएएस में प्रमोशन देने की जो बात की हैं, उसमें करीब एक दर्जन अधिकारी ऐसे हैं, जिन पर जमीन घोटाले तथा यौन उत्पीड़न के आरोप हैं।

झारखण्ड के मुख्यमंत्री कहीं भी जायेंगे, तो भ्रष्टाचार मुक्त एवं पारदर्शी शासन व्यवस्था की खूब बातें करेंगे, उन्हें लगता है कि जनता तो मूर्ख है, वो क्या जाने कि भ्रष्टाचार मुक्त या पारदर्शी शासन क्या होता है? इसलिए वे भाषण देने के समय जीरो परसेंट टोलरेंस, पारदर्शिता, भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन देने की खूब वकालत करेंगे, पर जैसे ही जमीन पर इन बातों को उतारने की बात आयेंगी, ये कनफूंकवों की मदद से वहीं करेंगे, जिससे झारखण्ड के सम्मान को आंच पहुंचती हो।

ताजा मामला हैं, राज्य के 31 प्रशासनिक अधिकारियों के भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति का। रांची से प्रकाशित समाचार पत्र दैनिक भास्कर ने इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया है। अखबार ने कहा है कि जिन 31 प्रशासनिक अधिकारियों को आईएएस में पदोन्नति दी जा रही हैं, उनमें से एक दर्जन ऐसे अधिकारी है, जिन पर गंभीर आरोप है, जो एक माह पहले निंदन की सजा भी पा चुके हैं। अखबार लिखता है कि यूपीएससी ने ऐसे पांच अफसरों को प्रोविजनल रुप से सेलेक्ट किया है, ऐसा उनके खिलाफ चल रहे मामलों के कारण हुआ है।

बताया जाता है कि 27 मार्च को हुई बैठक में यह तय हुआ था कि 31 दिसम्बर तक इन सेलेक्ट अफसरों पर लगे आरोप, अगर 31 दिसम्बर तक खत्म हो जाते है, तो वे आईएएस बन जायेंगे। अन्यथा उनकी वैंकेंसी अगले साल की रिक्ति में जोड़ दी जायेगी। ऐसे में आईएएस में प्रोन्नति की सूची जारी भी होगी तो पांच पद अभी भी खाली ही रहेंगे।

जिन अफसरों पर आरोप है, वे हैं धनबाद के तत्कालीन डीडीसी चंद्र किशोर मंडल, इन पर वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं, जिनमें ये दोषी भी पाये गये और सरकार ने इन पर विभागीय कार्रवाई भी चलाया, 26 फरवरी को इन्हें निंदन की सजा भी मिली। दूसरे अधिकारी है, सरायकेला के तत्कालीन जिला समाज कल्याण पदाधिकारी भीष्म कुमार, इन पर एक सीडीपीओ के साथ छेड़छाड़ का आरोप है। तीसरे आरोपी है धनबाद के तत्कालीन अपर समाहर्ता विनय कुमार राय, इन्हें भूमि अर्जन घोटाले में एसीबी ने अपने अंतरिम रिपोर्ट में दोषी पाया। चौथे अधिकारी है गढ़वा के वर्तमान डीडीसी चंद्रमोहन प्रसाद कश्यप, इनके खिलाफ रामगढ़ कोर्ट में पत्नी के साथ प्रताड़ना और भरण पोषण के लिए मेंटेनेंस का केस चल रहा है। पांचवे अधिकारी है जमशेदपुर के तत्कालीन अपर समाहर्ता गणेश कुमार, जिन पर टाटा लीज की जमीन को रैयती जमीन बता कर उसका लगान निर्धारित करने का आरोप है, जांच में डीसी ने इन्हें दोषी बताते हुए विभागीय कार्यवाही चलाने के लिए प्रपत्र क भरकर सरकार को भेजा था। छठे अधिकारी है देवेन्द्र भूषण सिंह जो यौनाचार के एक मामले में निलंबित हुए थे।  सातवे अधिकारी है राम लखन गुप्ता, इन पर सेना की जमीन का म्यूटेशन रैयतों को करने का आरोप है।

हाल ही में सदन में तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा, पुलिस महानिदेशक डीके पांडेय, एडीजी अनुराग गुप्ता पर लगे गंभीर आरोपों को लेकर सदन ही नहीं चला। दो दिन पूर्व ही एडीजी अनुराग गुप्ता और मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अजय कुमार के खिलाफ खुद मुख्यमंत्री के निर्देश पर जगन्नाथपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई, फिर भी अजय कुमार मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार बने हुए हैं तो फिर ऐसी प्राथमिकी का क्या मतलब? ये तो सीधे-सीधे जनता की आंखों में धूल झोंकना हुआ, ऐसे में क्या जनता को नहीं पता चल रहा कि मुख्यमंत्री के मुख से जीरो टॉलरेंस की बात वहीं लोकोक्ति के समान हैं, कि हाथी के दांत दिखाने के लिए कुछ और, और खाने के लिए कुछ और। राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों का आईएएस बनवाने का प्रकरण तथा एडीजी अनुराग गुप्ता तथा अजय कुमार के खिलाफ हाल में दर्ज कराई गई प्राथमिकी अब सीएम रघुवर दास के क्रियाकलापों की असलियत जनता के सामने पूर्णतः उजागर करके रख दिया, कि आनेवाले समय में झारखण्ड के सीएम रघुवर दास का न्यू झारखण्ड कैसा होगा?