अपनी बात

लजायल बिलइया खंभा नोचे की जगह अब बोलिये, बेशर्म पाकिस्तानी मंत्री मोदी गरियाये

भारत में एक लोकोक्ति खूब प्रचलित है, लजायल बिलइया खंभा नोचे, इस लोकोक्ति का अर्थ हैं, जब कोई व्यक्ति किसी चीज को पाने में जी-जान लगा देता हैं और जब उसे उस चीज में सफलता नहीं मिलती, तो वह दूसरे चीजों को भला-बुरा कहना शुरु कर देता है, ठीक यहीं हालत पाकिस्तानी मंत्रियों व नेताओं की हैं और अपने यहां कुछ भारतीय नेताओं या उनके समर्थकों की, जिन्हें केवल मौका मिलना चाहिए, और वे शुरु हो जायेंगे, मोदी को भला-बुरा कहने को।

ये सही है कि लोकतंत्र में विपक्ष की भी अपनी अलग भूमिका है, पर ये भूमिका देश के लिए हो, रचनात्मक हो, तो ठीक है, पर किसी को हरदम नीचा दिखाने के लिए हैं तो वह पूर्णतः गलत है। ये भी सही है कि मोदी की सारी नीतियों से देश को भला ही हुआ है, वह भी सही नहीं हैं, कुछ नीतियों ने भारत का बेड़ा गर्क भी किया है, पर कुछ ऐसी भी मोदी के निर्णय रहे हैं, जो भारत को मजबूती भी दे रही हैं और लोग उन्हें पसन्द कर रहे हैं।

जिन लोगों ने भी कश्मीरी पंडितों के दर्द को देखा हैं, या समझा हैं, वे जानते हैं कि कश्मीर में आतंकवादियों, दहशतगर्दों और उनके समर्थकों ने किस प्रकार उनका जीना हराम किया, उनके बहू-बेटियों के साथ बलात्कार किया, जिंदा जलाया और ये किस कारण हुआ, ऐसा भी नहीं कि लोग नहीं जानते, आज वे धारा 370 और 35 ए की समाप्ति पर खुश है, तथा मोदी पर जान छिड़क रहे हैं, तो आप उसे गलत नहीं कह सकते। अगर मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से जनसंख्या पर जो बातें कही और वे भारत में बढ़ती हुई जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिए, कुछ निर्णय लेते हैं तो उसे भी आप गलत नहीं कह सकते। प्रत्येक भारतीयों के लिए एक राष्ट्रीय स्तर पर पंजिका हो, तो इसमें गलत क्या है? अगर चंद्रयान 2 में हमें असफलता मिलती है और अपने वैज्ञानिकों को सीने से लगाकर, उसे वे धैर्य बंधाते हैं, तो इसमें गलत क्या है?

मैंने कल टीवी पर देखा कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ह्यूस्टन का दौरा कर रहे थे, तब जहां कार्यक्रम होना है, वहां पाकिस्तानी समर्थक कुछ मुट्ठी भर लोगों ने मोदी के विरोध में प्रदर्शन कर डाला, जो पाकिस्तानी मीडिया के लोगों के लिए सुर्खियां बन गई, और सुर्खियां बन गई भारत के उन मीडिया ग्रुप के लिए जिन्हें मोदी विरोध में परमसुख प्राप्त होता है, पर ये भूल गये कि मोदी दूसरे ही मिट्टी का बना है, उसे अपने विरोधियों का जवाब देना आता है।

पीएम मोदी ने भी बड़े ही उदार ढंग से वहां के मुस्लिमों, कश्मीरियों और सिक्खों से मुलाकात की, तथा पाकिस्तानी एजेंडे और भारत में रह रहे उनके विरोधियों की हवा निकाल दी। आश्चर्य है पाकिस्तानी मीडिया और वहां के फवाद हुसैन जैसे मंत्री नरेन्द्र मोदी को गरियाते हैं तो समझ में आती है, कि वे अपने एजेंडे पर काम कर रहे हैं, पर भारतीय भी ऐसा करेंगे तो ये तो शर्मनाक है।

अरे भाई, आप ये क्यों नहीं समझते कि पीएम मोदी ह्यूस्टन में भाजपा के नेता के रुप में नहीं, बल्कि भारतीय प्रधानमंत्री के रुप में हैं, उनका सम्मान पूरे देश और देश की जनता का सम्मान है, हम कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे कि कोई भी व्यक्ति या संगठन, देश के बाहर हमारे प्रधानमंत्री या किसी भी नागरिक का अपमान करें, क्योंकि वहां वह नागरिक कम, देश ज्यादा होता है।

सचमुच जिस प्रकार से ह्यूस्टन मे रह रहे भारतीयों और अमरीकी नागरिकों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का अभिनन्दन किया, उनका सम्मान बढ़ाया, उससे देश की प्रतिष्ठा में चार-चांद अवश्य लगा है। हम चाहेंगे कि भारत का सम्मान इसी तरह बढ़ता रहे, और पीएम मोदी की तरह ही, ऐसे कई नेता भारत को मिले, जो भारत की ताकत व उसके सम्मान को बढ़ाये।

आज पूरे पाकिस्तान के मीडिया में वो खबर दबा दिया गया है, जहां ह्यूस्टन के टेक्सस शहर के एनआरजी स्टेडियम में 50,000 से भी अधिक लोगों की भीड़ पीएम मोदी, अमरीकी राष्ट्रपति ट्रम्प को सुनने आई, जबकि पाकिस्तान छोड़ सभी देशों के प्रमुख अखबारों ने इस खबर को प्रमुखता दी। शर्म उन भारतीयों को आनी चाहिए, जिन्होंने भारत विरोधी प्रदर्शन को सीने से लगाया और इस शानदार कार्यक्रम पर मल-मूत्र बिखरेने में आगे रहे।

क्या ये सही नहीं कि आज से लगभग दस साल पहले, जब अमरीकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन भारत आये थे, तो भारतीय नेताओं व भारतीय उदयोगतियों का दल उनसे सिर्फ हाथ मिलाने के लिए पंक्तिबद्ध हो गया था, और आज जिस नरेन्द्र मोदी को अमरीका ने वीजा देने से इनकार कर दिया था, उस नरेन्द्र मोदी, भारतीय प्रधानमंत्री के आगे सारा अमरीका नतमस्तक है। क्या ये गर्व की बात नहीं कि भारत और अमरीका जैसे लोकतंत्रात्मक देश के राष्ट्रनायक एक साथ, एक मंच पर खड़े हैं और लोग उनकी बातों को ध्यान से सुन रहे हैं, सारा विश्व इनकी ओर आंख गड़ाये हुए है।

क्या ये गर्व की बात नहीं, कि जिस आतंकवाद से जूझते भारत की कभी अमरीका ने कद्र नहीं की, भारत में चल रहे आतंकवाद पर बोलने से कतराया, आज वह भारत ही नहीं बल्कि विश्व के कई देशों में चल रहे आतंकवाद पर अपनी टिप्पणी दे रहा हैं, वह भी भारत के साथ खड़ा होकर। ये भी सही है कि ये सब अचानक नहीं हुआ है। ये निरन्तर उन भारतीय सरकारों के प्रयास के कारण हुआ, ये निरन्तर उन भारतीयों के विश्वास और दृष्टिकोण के कारण हुआ, जिसको लेकर भारतीय जाने जाते हैं, जबकि पाकिस्तान में इन सभी कारणों का अभाव दिखा।

आज भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के प्रधानमंत्री अमरीका में हैं। अमरीका का राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के साथ मंच शेयर कर रहा है, उसके लिए रेड कार्पेट तक बिछा रहा हैं, और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री रेड कार्पेट के लिए तरस रहा हैं, उसे तो कोई अमरीकी अधिकारी भी रिसीव करने नहीं जाता, और इसके लिए किसी को हमें श्रेय देना होगा, तो वह भारत की जनता को मैं दूंगा। जिसने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को इतनी ताकत अवश्य दी है, जितनी ताकत उन्हें मिलनी चाहिए, तभी तो पूरे विश्व का दिमाग अभी घुमा हुआ हैं, नहीं तो सोचिये कश्मीर मुद्दे पर भारत की क्या स्थिति होती?

जरा सोचिये, एक समय था, कि इस्लामिक देशों में पाकिस्तान की तूती बोलती थी, आज इस्लामिक देश भी पाकिस्तान से दूर चले गये, ये सब मोदी की ही तो कृपा है, इसे आप कैसे नजरंदाज कर सकते हैं, ऐसे भी पूरे देश में मोदी के समकक्ष नेता न तो भाजपा में और न ही विपक्षी दलों में नजर आ रहे हैं, इसलिए जब तक दूसरा मोदी की तरह नेता नहीं आ जाये, फिलहाल ये मोदी तो अभी सब पर भारी पड़ रहा हैं, और इसे सब को स्वीकार करना होगा।