अपनी बात

जान लो भाजपाइयों, कोरोना काल और सीमा पर चीन की धमक के दौरान रैली की नौटंकी आपको बहुत महंगी पड़ेगी

भाजपाइयों गरम दूध से भरे बर्तन में निंबू की एक बूंद मत डालो, नहीं तो दुध फट जायेगा, वो पीने लायक नहीं रहेगा। हसुंआ के ब्याह में खुरपी के गीत मत गाओ, गीत वहीं गाओ, जो गाने लायक हो। जब देश कोरोना से लड़ रहा हैं, जब पूरा विश्व कोरोना से लड़ रहा हैं, तो इस कोरोना काल में कोरोना की बात करो, कैसे उससे मुक्ति मिले, इसका प्रयास करो। चीन ने जो किया और आपने जो किया, वह भी देश देख रहा हैं, देश ने हर प्रकार से आपको समर्थन दिया है, पर आप इन सारी समस्याओं को नजरंदाज कर, जो इन दिनों जनसंवाद रैली करने की नौटंकी शुरु की है, वो शर्मनाक ही नहीं, निन्दनीय भी है।

जब देश को राशन चाहिए, जब देश को दवा चाहिए, जब देश को दुश्मनों से मुक्ति चाहिए, उस वक्त आपके नेताओं द्वारा जनता को दिया जा रहा भाषण का डोज आपके लिए आनेवाले समय में खतरे का कारण बनेगा। आप जो समझ रहे हैं कि आपने गजब ढा दिया है, तो शायद आपको मालूम नहीं, इसकी तीखी प्रतिक्रिया जनता में देखने को मिल रही हैं। अभी कोई लोकसभा या विधानसभा का चुनाव नहीं है, अगर होगा भी तो केवल एक राज्य बिहार में, पर आपने जिस प्रकार से जन-संवाद रैली की नौटंकी शुरु की है, वो आम जनता को फूंटी आंख भी नहीं सुहा रहा।

आप जो यह समझने की भूल कर रहे हैं कि आपके सामने कोई विपक्ष नहीं हैं, और विपक्ष के नहीं रहने का फायदा आप हमेशा उठाते रहेंगे तो ये भी गलत है, क्योंकि जनता ही किसी पार्टी को शीर्ष पर पहुंचाती हैं और किसी को रसातल में, फिलहाल जिन पार्टियों को आप सोच रहे हैं कि वे रसातल में चले गये, शायद आपको पता नहीं कि जिस दिन वे एकजुट हो गये और आपके समक्ष एक-एक कैंडिडेट लाकर रख दिये, तो समझ लीजिये, आप कहां होंगे?

हद हो गई, विश्व के सारे देश कोरोना महामारी से लड़ने में दिमाग लगा रहे हैं, विश्व के कई देश अपने यहां उत्पन्न समस्याओं से लड़ने में लगे हैं, पर आप यहां कर क्या रहे हैं, तो जनता को भाषण का घूंट पिला रहे हैं, और भाषण कौन दे रहे हैं, जिनका कोई जनाधार ही नहीं हैं, सच्चाई तो यह है कि स्थिति ये हो गई है कि आपके नेताओं का भाषण भी कोई सुनना नहीं चाहता।

सच्चाई तो यह भी है कि आपके जिन नेताओं को फेसबुक और ट्विटर पर जो पूर्व में रेस्पांस मिलता था, वो धीरे-धीरे अब बंद होने लगा है, और वो सारा रेस्पांस धीरे-धीरे विपक्ष की ओर जा रहा हैं, ऐसे खुद को शूरमा समझने में कोई दिक्कत भी नहीं, आप समझ सकते हैं, आपने जिस प्रकार से कोरोना मामले में काम किया है, लोग भूले नहीं हैं।

सत्ता के लिए मध्यप्रदेश में आपने कोरोना को ठेंगा दिखाकर जिस प्रकार शिवराज सिंह चौहान को कुर्सी दिलवाई, वो जनता को अभी भी याद है। आप ही के झारखण्ड के स्थानीय नेता कैसे सोशल डिस्टैंसिंग की धज्जियां उड़ाते हैं, और अपनी घटिया स्तर की महात्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए खुद को दांव पर लगाकर, स्वयं को महिमामंडित करते हैं, वो किसी से छुपा नहीं, नहीं तो बताइये कि झारखण्ड के ही आपके नेता जो केन्द्र में मंत्री भी हैं, कोरोना काल में क्या किया?

भाषण देने से अच्छा है कि आप जनता के सामने बताइये कि खुद को सर्वाधिक श्रेष्ठ समझनेवाले नेता ने जनता के सामने कौन सा उदाहरण प्रस्तुत किया, जिसकी हम तारीफ कर सकें, अरे इससे अच्छा तो वे भाजपा के वे सामान्य सांसद निकले, जिन्होंने लोगों की सुध ली। इसलिए अनुरोध है, जनता की सुनिये, नहीं तो जनता सुनाने के लिए बेकरार है, अभी लोकसभा का चुनाव हो जाये तो आपकी सारी गर्मी ही खत्म हो जायेगी, क्योंकि झारखण्ड में तो इस बार आपके लिए पहले से शटर गिरा हुआ है? कहां हैं आप? आपको किसने कह दिया कि भाषण देने से जनता आपकी हो जायेगी?

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