राजनीति

हद कर दी झामुमो ने, CM हेमन्त से संबंधित ECI के पत्र की प्रतियां पाने के लिए किया सूचना के अधिकार का इस्तेमाल

लगता है कि अभी भी झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का जान उस पत्र में फंसा हुआ हैं, जो पत्र भारत निर्वाचन आयोग ने झारखण्ड के राज्यपाल को सौंपे हैं, जो बताया जा रहा है कि राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से संबंधित है, इस पत्र को पाने के लिए झामुमो ने एड़ी-चोटी एक कर दी हैं और इस क्रम में इस बार झामुमो ने उस पत्र को पाने के लिए सूचना के अधिकार का इस्तेमाल कर दिया है।

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के महासचिव विनोद कुमार पांडेय ने राज्यपाल सचिवालय के जन सूचना पदाधिकारी को एक आवेदन दिया है। जिसमें उन्होंने सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के तहत राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को लेकर भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यपाल को दी गई प्रति की प्रतिलिपि मुहैया कराने को कहा है। इस आवेदन में उन्होंने यह भी लिखा है कि वे दस रुपये का पोस्टल आर्डर भी दे रहे हैं, जरुरत पड़ी तो प्रतियों की फोटोकॉपी के लिए वे राशि भी मुहैया करायेंगे।

आपको ज्ञात होगा कि भारत निर्वाचन आयोग द्वारा राज्यपाल को भेजे गये पत्र को प्राप्त करने के लिए झामुमो का एक प्रतिनिधिमंडल सबसे पहले राज्यपाल से मिला था, उसके बाद स्वयं उस पत्र को प्राप्त करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन भी राजभवन पहुंचे थे और अब झामुमो के महासचिव द्वारा राज्यपाल सचिवालय के जन सूचना पदाधिकारी को भेजा गया आवेदन सब कुछ बता दे रहा है।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हद हो गई है। क्या सचमुच भारत निर्वाचन आयोग का पत्र राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के लिए इतना भारी पड़ रहा है कि वे रह-रहकर उस पत्र को पाने के लिए नये – नये तिकड़म इजाद कर रहे हैं। मुख्यमंत्री को चाहिए कि वे इन सारी बातों को किनारे रखकर जो उनका काम हैं, उस पर ध्यान देना, पर बार-बार विक्रम-वेताल की तरह, वेताल फिर उसी डाल पर पहुंच जा रहा हैं, जो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन और न ही उनकी पार्टी को शोभा देता है।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अच्छा होता कि मुख्यमंत्री इन सारी बातों से बेखबर होकर, राज्य की जनता की सेवा में स्वयं को उपस्थित करते, पर पता नहीं उन्हें कौन बुद्धि दे रहा है, जिसमें वे आकर कुछ ऐसी कार्य-योजना बना ले रहे हैं, जिससे उनकी स्थिति हास्यास्पद हो जा रही हैं, जैसा कि सूचना के अधिकार के तहत उनकी पार्टी के महासचिव द्वारा भारत निर्वाचन आयोग की प्रतियां मांगना है। इधर झामुमो के इस हरकत पर झारखण्ड के कई बुद्धिजीवियों ने व्यंग्यबाण भी छोड़े हैं, पर शायद ही इस व्यंग्य बाण की असर झामुमो या हेमन्त सरकार पर पड़े।