अपनी बात

जनसंगठनों-मिशनरियों ने बढ़ाई भाजपा नेताओं के दिलों की धड़कन, चौकानेवाला परिणाम दे सकता है खूंटी

चुनाव प्रचार थम चुका है, खूंटी में लड़ाई सीधे कांग्रेस और महागठबंधन प्रत्याशी काली चरण मुंडा और भाजपा प्रत्याशी एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से है। शुरुआती रुझानों में जहां अर्जुन मुंडा यहां से बाजी मारते हुए दीख रहे थे, आज की स्थिति यह है कि काली चरण मुंडा को जनसंगठनों और मिशनरियों से मिल रहे जबर्दस्त समर्थन ने उनकी नींद उड़ा दी है।

आज भाजपा प्रत्याशी अर्जुन मुंडा की प्रेस वार्ता और उनके प्रेस वार्ता में नेताओं के बूझे चेहरे स्पष्ट कर रहे थे, कि यहां लड़ाई कोई आसान नहीं है। प्रेस वार्ता में अर्जुन मुंडा ने भले ही खुलकर किसी का नाम नहीं लिया, पर उन्होंने इशारों-इशारों में कह दिया कि राष्ट्र के महान उद्देश्यों को लेकर वे चुनाव मैदान में हैं, भ्रांति से दूर रहकर हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमारी चुनौतियां क्या है? हम विकास के नये आयाम को कैसे छूएं।

उन्होंने यह भी कहा कि यहां कुछ लोगों ने कुछ विषयों को लेकर उलझाने की कोशिश की, पर वे इन सभी विषयों में न उलझकर, खूंटी की विशेषताओं को बरकरार रखने की कोशिश करेंगे तथा भ्रामक मुद्दों को हटाने तथा संवैधानिक विषयों को बिल्कुल निष्पक्षता के साथ, राजनैतिक दृष्टि से नहीं बल्कि आदिवासी भावनाओं की दृष्टि में आदिम संस्कृति और परम्पराओं के जीवंत व्यवस्था को पुनर्स्थापित करने का प्रयास करेंगे।

इधर कल जिस प्रकार से भाजपा के प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने एक धर्म विशेष की रविवार प्रार्थना के दौरान चुनाव आयोग से पर्यवेक्षक व कैमरामैन तैनात करने की मांग करते हुए इसकी निगरानी करने की बात कह दी, उससे राजनैतिक पंडितों को लग रहा है कि खूंटी में भाजपा की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब हो रही है, क्योंकि इसके पहले जितने भी चुनाव हुए, इसकी मांग कभी किसी दल ने नहीं की।

इधर जनसंगठनों से जुड़े नेताओं व मिशनरियों से जुड़े लोगों ने पूरे खूंटी की खाक छान दी है, तथा इस बार भाजपा को हराने के लिए उन्होंने एड़ी-चोटी एक कर दी है। ये जनसंगठन के लोग घर-घर जाकर, लोगों को जगाने का काम कर रहे हैं तथा पत्थलगड़ी के दौरान हुए हिंसक वारदातों तथा राज्य सरकार द्वारा यहां के लोगों पर किये गये देशद्रोह के मुकदमों का हवाला दे रहे हैं, जिसका प्रभाव साफ देखा जा रहा हैं।

हालांकि इसके बावजूद भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल में कोई गिरावट नहीं आया है, वे अपने ढंग से सभी बूथों पर नजर रख रहे हैं, ऐसे में खूंटी की जनता किसे जीत का माला पहनायेगी, ये तो भविष्य बतायेगा, पर राजनैतिक पंडितों की मानें तो उनका साफ कहना है कि भाजपा नेताओं की अचानक शुरु हुई घबराहट भाजपा के लिए ही संदेह पैदा कर रहा हैं और इसके लिए कोई  जिम्मेदार है तो वे हैं राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास, जिनकी करनी का फल आज उन्हें भुगतना पड़ रहा हैं, जो आज खूंटी में भाजपा के प्रत्याशी है।