जिन उद्योगपतियों को झारखण्ड में रुचि नहीं उसे लाने के लिए गणेश परिक्रमा और जो झारखण्ड में पूंजी लगा चुके हैं, उनके लिए CM हेमन्त के पास समय नहीं

एक तरफ राज्य में उद्योग स्थापित करने के लिए/पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री, अपने आइएएस व अन्य राजनीतिज्ञों को लेकर, तथाकथित उद्योगपतियों के साथ दिल्ली के ताज होटल में पिछले दो दिनों तक बैठके करते रहे, उसका क्या परिणाम निकलेगा और इसका असली फायदा किसको प्राप्त होगा, विद्रोही24 को पता है।

पर दूसरी ओर जो उदयोग अर्थात् सिनेमा उद्योग पहले से ही राज्य में रन कर रहे हैं, जिस पर कई परिवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से आश्रित हैं, जिसने कई लोगों को अलग से रोजगार तक उपलब्ध करा रखे हैं, वो पिछले कई सालों से दम तोड़ रहा हैं और कोरोना ने तो इसकी पूर्णाहुति ही कर डाली।

पर इस उद्योग को बचाने में किसी की रुचि नहीं है। कमाल इस बात की भी है कि जिन उद्योगपतियों के आने की संभावना न के बराबर है, उसके आगे राज्य के मुख्यमंत्री, उनके सहगामी राजनीतिक दल के विधायक, आइएएस गणेश परिक्रमा करने को तैयार है, पर सिनेमा उद्योग से जुड़े लोग, जो इस उद्योग को बचाने में लगे हैं, इसके लिए वे मुख्यमंत्री से तीन-तीन बार मिलने का प्रयास किये, पर मुख्यमंत्री को सिनेमा उद्योग से जुड़े लोगों से मिलने के लिए तनिक समय नहीं है।

झारखण्ड सिनेमा प्रदर्शक संघ के अध्यक्ष प्रशान्त कुमार, विद्रोही24 को बताते है कि राज्य में इस उद्योग की स्थिति दयनीय हो गई है। यह उद्योग कई समस्याओं से जूझ रहा हैं, कई परिवार बर्बादी के कगार पर आ गये, समस्या सुलझाने के लिए कई बार उन्होंने मुख्यमंत्री से मिलने की कोशिश की।

पर मुख्यमंत्री को उनके लिए समय नहीं है, जबकि दिल्ली में उद्योगपतियों के साथ बैठक करने को समय है, जबकि सच्चाई यह भी है कि इससे राज्य को कोई भला नहीं होनेवाला, पर जो लोग राज्य में पैसे लगा चुके हैं, वे बर्बाद होने पर तुले हैं और इस बर्बादी से उन्हें बचाने के लिए न तो मुख्यमंत्री को समय हैं और न ही राज्य के आइएएस अधिकारियों को।

प्रशांत कहते है कि उनकी कुछ मांगे हैं। जैसे…

  1. झारखण्ड एकल स्क्रीन सिनेमा व्यवसाय को रुग्ण उद्योग घोषित किया जाये।
  2. इस उद्योग को कम से कम पांच वर्षों के लिए जीएसटी में रियायत मिले, बहुत से राज्यों ने तो इसे जीएसटी से मुक्त भी कर रखा है।
  3. एकल सिनेमा उद्योग को झारखण्ड में अत्यधिक होल्डिंग टैक्स देना पड़ता है, इससे मुक्ति दिलाने का प्रयास किया जाये अथवा पांच वर्ष के लिए राहत सरकार दें।
  4. झारखण्ड में 2020 से सभी सिनेमाघर बंद है। ऐसे में 2020 एवं 2021 का लाइसेंस फीस लिए बिना ही लाइसेंस रिनुअल करें और एकल स्क्रीन सिनेमा को लाइसेंस रिन्युअल फीस से भी मुक्त करें।

पर सच्चाई यही है कि अब तक रघुवर सरकार हो या हेमन्त सरकार, किसी भी सरकार ने उनकी नहीं सुनी, कई बार उनसे मिलने की कोशिश की, पर उनकी परिक्रमा करनेवालों ने कभी मिलने ही नहीं दिया, ऐसे में यहां उद्योग क्या लगेगा, उलटे जो यहां रहेगा वो भी दुसरी जगहों पर जाने को विवश होगा।