अपनी बात

इन्दिरा गांधी ने बसाया और मोदी युग में होनहार CM रघुवर उन्हें उजाड़ेंगे, विधायक आवास बनायेंगे

वर्ष 1971 में जिन 16 भूमिहीन परिवारों को इन्दिरा सरकार ने दान में दी 52 एकड़ जमीन, अब उस जमीन को हड़प वहां विधायक आवास बनाने का प्रयास करनी शुरु कर दी है, झारखण्ड की वर्तमान सर्वाधिक होनहार रघुवर सरकार ने। अब सवाल है कि जहां ऐसी दान की गई जमीन पर विधायक आवास बनाये जायेंगे, वैसे जमीन पर राज्य के विधायक रहना पसंद करेंगे, चाहे वे किसी भी दल के विधायक ही क्यों न हो, क्या राज्य के विभिन्न राजनीतिक दलों के वर्तमान विधायकों को इसका विरोध नहीं करना चाहिए और वर्तमान होनहार रघुवर सरकार पर यह दबाव नहीं डालना चाहिए कि वह कोई ऐसी अनैतिक कार्य न करें, जिससे जीवन मूल्य प्रभावित होते हो।

दरअसल चुटु में गत रविवार को विधायक आवास बनाने के लिए जमीन मापी की जा रही थी, जिसे देख ग्रामीणों ने उग्र प्रदर्शन किया, और उनके इस प्रदर्शन को किसी भी प्रकार से गलत भी नहीं ठहराया जा सकता। ग्रामीणों की बात करें तो वे साफ कहते हैं कि जिस कानून के तहत जमीन उन्हें दी गई, वह जमीन उनसे वापस कैसे ली जा सकती है? वे यह भी कहते है कि कांके अंचल के अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट देकर राज्य सरकार के उच्चाधिकारियों को गुमराह किया है। बताया जाता है कि यह जमीन इन्दिरा गांधी के शासनकाल में उन्हें उपलब्ध कराई गई थी।

सूत्र बताते है कि 1970-71 में खाता नंबर 118, प्लाट नंबर 115, रकवा 82 एकड़, 39 डिसमिल जमीन में से करीब 52 एकड़ जमीन 16 भूमिहीन परिवारों को उपलब्ध कराई गई थी। कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद इस जमीन की रसीद भी जारी की जाने लगी। इस जमीन पर भूमिहीन घर बनाकर खेतीबाड़ी कर रहे हैं तथा अपना जीविकोपार्जन चला रहे हैं। गत दो फरवरी को अंचल कार्यालय से संबंधित पदाधिकारी अमीन के साथ पुलिस बल की सहायता से विधायक आवास निर्माण के लिए जमीन की नापी करवा रहे थे, तभी ग्रामीणों को इसकी जानकारी मिली और लीजिये शुरु हो गया ग्रामीणों का आंदोलन तथा ग्रामीणों के उग्र रवैये को देख प्रशासन का हाथ-पांव फूल गया तथा जमीन की नापी रोक दी गई।

इसी बीच इस इलाके के सभी ग्रामीणों ने कल यानी पांच फरवरी को चुटू से कांके अंचल कार्यालय तक रैली निकालने तथा अंचल कार्यालय का घेराव करने की भी घोषणा कर दी है। जिससे एक बार फिर जमीन को लेकर संघर्ष की संभावना बनती जा रही है। आश्चर्य इस बात की भी है, कि जो जनसेवक या जनप्रतिनिधि खुद को बताते हैं, उन्हीं जनप्रतिनिधियों के आवास उपलब्ध कराने के लिए वर्तमान सरकार दान में दी गई जमीन को अपने नाम कराने के लिए जी-जान से जुट गई है।

अब इस होनहार रघुवर सरकार के इस कार्य से स्पष्ट हो जाता है कि ये सरकार कितनी अनैतिक होकर, वो सारे कार्य कर रही है, जिसका नैतिकता से कोई मतलब ही नहीं, अब जनता अपनी जमीन जो उनके हाथों से निकलती हुई दिख रही है, उसे बचाने के लिए सड़कों पर उतरने का निश्चय किया है, अब ऐसे में इस जनता के संघर्ष को बल देने के लिए कौन-कौन सी पार्टी इनके साथ आती है, यह भी देखना है। कही ऐसा तो नहीं कि विधायक आवास की लालच में, ये जनता का साथ न देकर, होनहार रघुवर सरकार की गलत नीतियों के आगे ता-ता, थैया न करने लगे।