अपनी बात

अंग्रेजों से भी खतरनाक हैं हमारे देश के नेता, आइये इनसे अपने देश को बचाएं

पार्टी कोई हो, नेता सभी एक हैं। ये अंग्रेजों से भी ज्यादा खतरनाक है। आप इनकी तुलना जनरल डायर से भी कर सकते है, जिसने जालियांवाला बाग हत्याकांड कराया था। अंग्रेज तो देशभक्त भी थे, उनसे आप देशभक्ति तो सीख ही सकते हैं। क्या कोई भी व्यक्ति या नेता बता सकता है कि किस अंग्रेज ने अपने देश ब्रिटेन या ब्रिटेन को लोगों के खिलाफ आग उगला या ब्रिटेन के साथ गद्दारी की। उत्तर होगा – नहीं, पर अपने देश के नेताओं को देखिये, उनकी देशभक्ति को देखिये। ये अपने देश के लिए कम, और अपने परिवार,पत्नी, बेटी-दामाद, बेटा-बहू, पोते-पोतियों, नाती-नतनियों, प्रेमिकाओं, मित्रों के लिए जान दे रहे होते है। प्रमाण भरी पड़ी है।

नया प्रमाण देखिये। अगर कोई नेता, अगर एक बार विधान पार्षद बन गया, दूसरी बार विधायक बन गया और तीसरी बार भाग्य ने साथ दे दिया और सांसद बन गया, तो वह तीनों जगहों से पेंशन उठायेगा, पेंशन ही नहीं, फैमिली पेंशन भी उसे प्राप्त होगा, यहीं नहीं वह एक दिन के लिए भी सांसद, विधायक या विधान पार्षद रहा और उसे एक बार वेतन बन गई तो लीजिये, उसका बमबम है, पर आपके माता-पिता या बेटा-बेटी, या बहू-दामाद जिंदगी भर केन्द्रीय कर्मचारी या राज्य कर्मचारी बन कर सेवा देते-देते जान दे देगें, पर उन्हें पेंशन-फैमिली पेंशन नहीं मिलेगी, वे बेमौत मरने के लिए जब तक जीवित रहेंगे, तैयार रहेंगे।

ऐसी घटिया स्तर की नई पेंशन स्कीम योजना की शुरुआत भारत रत्न, पूर्व प्रधानमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता अटल बिहारी वाजपेयी ने की थी, जिसको कंटीन्यू कांग्रेस सरकार यानी मनमोहन सिंह की सरकार ने भी किया। कल ही श्रमिक दिवस था। पूरे देश में श्रमिकों के कल्याण की बात हो रही थी। श्रमिक दिवस के ठीक एक दिन पूर्व दिल्ली के रामलीला मैदान में पूरे देश के करीब एक लाख से भी अधिक कर्मचारी जूटे, और मोदी सरकार को चेतावनी दी कि वह पुरानी पेंशन योजना लागू करें, नहीं तो 2019 का लोकसभा चुनाव में जीत नहीं देख नहीं पायेंगे, पर ये खबर एक सुनियोजित तरीके से भारत के प्रमुख चैनलों (एनडीटीवी को छोड़कर), गोदी मीडिया द्वारा दबा दी गई। किसके इशारें पर ऐसा कुकर्म किया गया, यह बतलाने की जरुरत नहीं, फिर भी देश के विभिन्न सोशल साइटों पर ये समाचार पूरी तरह से वायरल हो रही है।

क्षेत्रीय स्तर पर भी चैनलों और अखबारों के बड़े-बड़े पत्रकारों ने विज्ञापन और उपहार की लालच में अपना जमीर बेचा, और इस समाचार को जगह नहीं दी। अब सवाल उठता है कि जिस देश में, नेता सिर्फ अपनी सोचता है, और देश के लोगों के बारे में नहीं सोचता, वह गद्दार नहीं तो और क्या है? जिस देश का नेता, संसद और विधानसभा में सिर्फ अपने वेतन बढ़ाने, अपने परिवार का फैमिली पेंशन बढ़ाने के लिए ध्वनिमत से विधेयक पारित करवा लेता हैं, वह गद्दार नहीं तो क्या है? और जो वर्षों से विभिन्न विभागों में काम करते-करते मर जाता है, और उसे भगवान भरोसे छोड़ने पर विवश कर देता है, ऐसा नेता गद्दार नहीं तो और क्या है?

30 अप्रैल को दिल्ली के रामलीला मैदान में पहुंचे लाखों कर्मचारी भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा प्रारंभ की गई इस नई पेंशन स्कीम पर उन्हें कितने बद्दुआ देते होंगे, ये समझने की जरुरत हैं। हमें लगता है कि पूरे देश की जनता को नेताओं के इस घटियास्तर की चरित्र पर भी ध्यान देना चाहिए, जो अपने लिए विशेष व्यवस्था करते हैं और दूसरों को घूट-घूटकर जीने पर मजबूर कर देते हैं, साथ ही अपनी गलतियों पर जो पछतावा या अफसोस भी नहीं प्रकट करते। खुशी इस बात की है कि अब पूरे देश में इन नेताओं के खिलाफ एक वातावरण तैयार हो रहा है, जल्द ही इन नेताओं की छठी रात की दूध याद कराने के लिए देश की जनता तैयार हो रही है। अब किसी नेता को ये गुमान नहीं होना चाहिए कि वो जैसे चाहे, वैसे जनता को अपनी ओर मोड़ लेगा।