UP पंचायत चुनाव में RPN सिंह के संसदीय क्षेत्र में ही कांग्रेस फिसड्डी, ऐसे में झारखण्ड में कांग्रेस का क्या हाल होगा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद व झारखंड प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह अपने संसदीय क्षेत्र में भी संगठन को सशक्त करने में विफल रहे हैं। इसकी बानगी हाल ही में उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए पंचायत चुनाव में देखने को मिली। जहां अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी खराब रहा। पूरे उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव में विभिन्न पदों पर कांग्रेस के मात्र 71 प्रत्याशी ही जीत हासिल करने में सफल रहे।

वहीं, भारतीय जनता पार्टी के 771 प्रत्याशी, समाजवादी पार्टी के 715 प्रत्याशी, बहुजन समाज पार्टी के 345 प्रत्याशी तथा निर्दलीय व अन्य 859 प्रत्याशियों ने विजय हासिल की। विदित हो कि उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव-2021 में कुल 3050 पदों के लिए चुनाव हुआ था। इसमें ग्राम प्रधान, क्षेत्रीय पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य शामिल हैं। चुनाव के परिणामों को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि कुशीनगर संसदीय क्षेत्र में पंचायत चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन फिसड्डी रहा। बताया जाता है कि कुशीनगर संसदीय क्षेत्र में हुए पंचायत चुनाव में भाजपा, सपा और बसपा सहित अन्य  प्रत्याशियों ने कांग्रेस को धूल चटा दी।

गौरतलब है कि श्री सिंह उत्तर प्रदेश के कुशीनगर संसदीय क्षेत्र (पूर्व में पड़रौना) से सांसद रह चुके हैं। वर्ष 2009 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी स्वामी प्रसाद मौर्य को हराकर यह सीट हासिल की थी। उस समय उन्हें कुल 2,23,954 मत प्राप्त हुए थे। तीसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी विजय कुमार दुबे थे। श्री दुबे को 1,62,189 मत प्राप्त हुआ।

लेकिन वर्ष 2014 में श्री सिंह यह सीट गंवा बैठे। भाजपा प्रत्याशी राजेश पांडे ने उन्हें शिकस्त दे दी। श्री पांडे को 3,70,051वोट मिले। श्री सिंह 2,84,511 वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे। वहीं, वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के ही विजय दुबे ने कुशीनगर सीट से विजय हासिल की। उन्हें कुल 5,97,039 मत प्राप्त हुए। दूसरे स्थान पर समाजवादी पार्टी के नथुनी प्रसाद कुशवाहा रहे। उन्हें 2,59,447 मत मिले। कांग्रेस के आरपीएन सिंह तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें मात्र 1,46,151 मत प्राप्त हुए।  इस प्रकार वर्ष 2014 से पार्टी का जनाधार घटता गया।

तबसे लेकर अब तक कांग्रेस का प्रदर्शन उस क्षेत्र में बेहतर नहीं रहा है। यही नहीं, वर्ष 2017 में कुशीनगर संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीटों के लिए  हुए चुनाव में भी कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। सात में से छह  विधानसभा सीटों पर भाजपा ने कब्जा जमा लिया। कांग्रेस को मात्र एक सीट (तामकुही राज विधानसभा) पर सफलता मिली। इस सीट से इंडियन नेशनल कांग्रेस के प्रत्याशी अजय कुमार लालू विजयी हुए। उन्हें 61,211 वोट प्राप्त हुए थे। इस प्रकार देखा जाए तो आरपीएन सिंह अपने संसदीय क्षेत्र अंतर्गत भी  विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों को जीत दिलाने में नाकाम रहे।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो आरपीएन सिंह संगठन को सशक्त बनाने की दिशा में हर मोर्चे पर फिसड्डी साबित हुए हैं। उनके इस खराब प्रदर्शन के बावजूद पार्टी आलाकमान ने उन्हें झारखंड प्रदेश का प्रभारी मनोनीत किया हुआ है। अभी तक श्री सिंह इस पद पर आसीन हैं। लेकिन बताया जाता है कि झारखंड में कांग्रेस की डगमगाती नैया को वे संभाल नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस की नाव पर सवार लोग एक कुशल और अनुभवी खेवनहार की बाट जोह रहे हैं, जो संगठन को धारदार बनाने के साथ-साथ झारखंड में पार्टी का जनाधार बढ़ाने में भी सफल हो सके।

राजनीतिक पंडितों का यह भी मानना है कि जब से श्री सिंह ने झारखंड प्रदेश कांग्रेस का प्रभार संभाला है, तबसे संगठन मजबूत होने की बजाय और कमजोर ही होता गया। पार्टी में गुटबाजी भी चरम पर है। संगठन के समर्पित और वरिष्ठ कार्यकर्ता हाशिए पर धकेल दिए गए हैं। युवा कार्यकर्ताओं में हताशा और निराशा का माहौल व्याप्त है। कुल मिलाकर कहा जाए तो झारखंड प्रदेश कांग्रेस की डूबती नैया को सशक्त और दमदार खेवनहार की आवश्यकता है। इस दिशा में यदि समय रहते प्रयास नहीं किया गया, तो नाव का डूबना तय है।