“आफिसियली पूछ रहे हैं तो डीजे नहीं बजायेंगे और अनऑफिसियली पूछ रहे हैं तो डीजे बजायेंगे, खूब बजायेंगे, कौन रोक लेगा भैया”

“आफिसियली पूछ रहे हैं तो डीजे नहीं बजायेंगे और अनऑफिसियली पूछ रहे हैं तो डीजे बजायेंगे, खूब बजायेंगे, कौन रोक लेगा भैया, आप ऐसा बोल रहे हैं, रामनवमी की शोभायात्रा में कौन किसको रोक लेगा, सरकार तो बोल रही है कि एक हजार से ज्यादा का जुटान नहीं होना हैं, सौ लोगों से ज्यादा शोभायात्रा में नहीं रहना है, तो क्या ये संभव है, रामजी की बात हैं, भला सौ-हजार में बात होना है, हालांकि हम भी सरकार में ही हैं, पर क्या करें बात राम जी की है।” ये कथन है सत्ता में शामिल एक नेताजी का।

नेताजी विद्रोही24 से बातचीत के क्रम में, ये भी कहते है कि सरहुल में क्या डीजे नहीं बजा था, क्या सरहुल में डीजे बजाना एलाउ था, नहीं न। फिर भी बजा, लोग खुब डीजे का मजा लिये, नाचे गाये, अरे सरकार बहुत कुछ आदेश देती हैं, पर उन आदेशों का जनता क्या करती हैं, वो तो सबको पता हैं, सरकार और उनके अधिकारियों को जो करना हैं करें, रामनवमी में वो सब कुछ होगा, जो एक रामभक्त चाहता है।

चलिए नेताजी तो नेताजी हैं। अब डीजे के मुद्दे पर आम लोग क्या बोलते हैं, आम लोगों का कहना है कि डीजे तो बजना ही चाहिए, हां डीजे में आपत्तिजनक गाने नहीं बजने चाहिए, पर रामजी के भजन सुनने-बजाने में सरकार को क्या आपत्ति हैं, समझ नहीं रहा और हद तो तब हो गई, जब डीजे वालों से अंडरटेकिंग पर्ची भरवा कर मंगवाई जा रही है कि वे थानों को ये बताएं कि वे रामनवमी की शोभायात्रा में किसी को डीजे नहीं देंगे।

राज्य में पहली बार डीजे पर सरकार की पहरेदारी

यानी डीजे की पहली बार स्थानीय प्रशासन द्वारा पहरेदारी हो रही है, इसे दुर्भाग्य ही कहा जायेगा। मतलब नाच न जानें अंगना टेढ़ा। स्वयं की गड़बड़ियों पर ध्यान नहीं, तो दूसरों पर ध्यान दे रहे हैं, दूसरों में मीन-मेख निकाल रहे हैं कि डीजेवाला ही सारी गड़बड़ियों का कारण हैं, इसलिए उससे अंडरटेकिंग पत्र ही ले लो।

आम जनता का तो साफ कहना है कि जब रामनवमी में अंडरटेकिंग पत्र की बात हो रही हैं तो यही सरहुल पर क्यों नहीं लागू हुआ। पिछले चार अप्रैल को कैसे डीजे शोभायात्रा में निकल गया, सरहुल में राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारियों ने अपना शासकीय रुप क्यों नहीं दिखाया।

आश्चर्य तो यह है कि जिन्होंने सरहुल में डीजे का मजा लिया, उन्होंने खुलकर सोशल मीडिया पर इस बात की चर्चा की कि उन्होंने सरहुल की शोभायात्रा में खुलकर डीजे के मजे लिये, नाचे गाये। एक अखबार के फीचर देखनेवाले महाशय ने तो अपने उद्गार व्यक्ति करते हुए साफ लिखा कि सरहुल में खुब डीजे पर लोग थिरके। कई सोशल साइट पर शोभायात्रा में इस्तेमाल किये गये डीजे भी खूब दिखे।

डीजे को लेकर सरकार के आदेश ही दांव पर

अब सवाल उठता है कि जब सरहुल में बज रहे डीजे को देख प्रशासन के अधिकारियों ने अपनी आंखें मूंद ली, क्या रामनवमी की शोभायात्रा में जब डीजे लेकर लोग शोभायात्रा में निकलेंगे तब उस समय भी आंखें बंद करेगी या उस वक्त पैतरे दिखाते हुए प्रशासनिक कार्रवाई करने की बात करेंगी। हालांकि ये तो वक्त बतायेगा। इस पर नजर विद्रोही24 की भी रहेगी, पर इतना तय है कि डीजे को लेकर पूरे राज्य में सरकार और उनके अधिकारियों के दोहरे मापदंड देखने को मिल रहे हैं।

अगर ये दोहरे मापदंड जब दिखेंगे तो लोगों में आक्रोश जन्म लेगा ही। अतः अब जब 10 अप्रैल को रामनवमी की शोभायात्रा में डीजे बजेगा तभी मालूम होगा कि राज्य सरकार द्वारा खुद के दिये गये आदेश का पालन कितना राज्य सरकार के प्रशासनिक अधिकारी करवा पाये, या राज्य सरकार ने अपने आदेशों की खुद हवा निकाल दी।