अपनी बात

CM आवास में पिछले चार वर्षों से हर 28 दिसम्बर को मनाये जा रहे “रघुवर पर्व” पर हेमन्त ने लगाया ब्रेक

आज 28 दिसम्बर है, भला कौन भूल सकता है कि आज के दिन रघुवर दास के शासनकाल के दौरान राजधानी रांची में क्या होता था? या पूरे झारखण्ड में आज के दिन को कैसे सेलिब्रेट किया जाता था? मुख्यमंत्री आवास में किस प्रकार के आयोजन होते थे, यानी काम-धाम कुछ नहीं और जनता के सामने ढिंढोरा खूब पीटा जाता था कि रघुवर सरकार ने ये किया, रघुवर सरकार ने वो किया, पर सच्चाई यह है कि जनता हमेशा पीसती रही और इस “रघुवर पर्व” पर होर्डिंग बनाने-बनवानेवाले, अखबार-चैनल के मालिक और सम्पादक मालामाल होते रहे।

राज्य की मुख्य सचिव से लेकर छोटे अधिकारी तक इस प्रकार आज के दिन को सेलिब्रेट करते थे, जैसे इस राज्य में लोकतंत्र नहीं, राजतंत्र हो। सभी के मुख में रघुवर ही हुआ करते थे, पर जनता ने कभी भी इन्हें भाव नहीं दिया। यह भी ध्रुव सत्य है। आज के दिन रांची स्थित मुख्यमंत्री आवास पर विशेष समारोह का आयोजन हुआ करता था, जिसमें राज्य के सभी उच्च प्रशासनिक अधिकारी, पुलिस पदाधिकारी मौजूद होते और सीएम रघुवर दास के आगे नतमस्तक रहते।

मुख्यमंत्री आवास में विशेष मंच बनाया जाता और उस मंच से केवल मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार बर्णवाल को ही बोलने का विशेषाधिकार होता और उसके बाद अगर कोई बोलता तो वे सिर्फ और सिर्फ मुख्यमंत्री रघुवर दास होते, बाकी मंत्री मंच पर मौजूद होने के बाद भी गूंगे-बहरे बनकर बैठे रहते, केवल एक ही मंत्री सरयू राय थे, जिन्हें मैंने देखा कि आम-तौर पर इस प्रकार के कार्यक्रम से दूरियां बनाकर चलते तथा मुख्यमंत्री आवास पर आज के दिन पहुंचते भी, तो तब पहुंचते, जब सारा कार्यक्रम समाप्त हो चुका होता।

आज के दिन मुख्यमंत्री आवास पर विशेष सुस्वादू भोज का भी आयोजन होता था, जिसे जिमने के लिए सभी पत्रकारों को निमंत्रण दिया जाता, पत्रकार इस सुस्वादू भोज तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास के द्वारा अपने आवास में मिल रहे इस प्रकार के भोज से इतने आनन्दित हो जाते कि कुछ पत्रकार सीएम रघुवर दास की भक्ति में झूमने लग जाते, शायरी करने लगते, इन पत्रकारों को भोज दिये जाने के बाद एक पैकेट भी दिये जाते, जिसमें कैलेंन्डर, डायरी तथा कलम आदि मौजूद रहता, जिसे पाकर रांची के पत्रकार परम आनन्द को प्राप्त कर लोगों से यह कहना नहीं भूलते कि आज रघुवर दास ने अपने आवास पर विशेष भोज का आमंत्रण दिया था, हमलोग गये और परम् आनन्द को प्राप्त किया।

इस दिन अखबारों और चैनलों पर भी मुख्यमंत्री खूब धन लूटाते, जमकर अखबारों को मुख्य पृष्ठ पर विज्ञापन देकर, उनकी आरती उतारने को कहा जाता और अखबार वाले खूब आरती उतारते, चैनलवाले तो लोट-पोट हो जाया करते, जिसे देख मुख्यमंत्री रघुवर दास को सुनील कुमार बर्णवाल ये कहना नहीं भूलते कि आज अखबारों-चैनलों ने मुख्यमंत्री रघुवर दास की जमकर भजन गाये हैं, और उसमें उनकी बड़ी भूमिका रही है।

कमाल है, इस दिन एक भी पत्रकार मुख्यमंत्री रघुवर दास से राज्य में गिरती कानून व्यवस्था, भूख से हो रही मौत, बालिकाओं के साथ बढ़ती रेप की घटना, मोमेंटम झारखण्ड के खास्ता हाल, कौशल विकास के नाम पर मची लूट, एक विशेष जाति को मुख्यमंत्री द्वारा दी जानेवाली गालियां तथा नेता प्रतिपक्ष को सदन में अपमानित करने के लिए उन्हें भी दी जानेवाली गालियों से संबंधित सवाल करने से परहेज करते, पर मुख्यमंत्री रघुवर दास की जय-जयकार करना नहीं भूलते।

इसी बीच एक दिन यानी 28 दिसम्बर 2017 को एक पत्रकार यानी विद्रोही24.कॉम ने मुख्यमंत्री रघुवर दास से सवाल कर दिया, जो आइपीआरडी के एक अधिकारी को बहुत बुरा लगा, जो सुनने में आया है कि इस बार आइएएस में उसका प्रमोशन होने जा रहा हैं, उसने 28 दिसम्बर 2018 को ऐसी व्यवस्था कर दी कि हम सवाल ही नहीं पूछ सकें, उसने मुख्यमंत्री आवास पर पहरा बिठा दिया कि मैं सीएम आवास के अंदर न जा सकूं और जनता से जुड़े सवाल न पुछू।

चूंकि संयोग था कि उस दिन मैं दिल्ली में था, नहीं तो रहता तो जरुर जाता, और देखता कि वह जीतता है या वह हारता हैं, क्योंकि मैं तो पत्रकार हूं, मैं तो हर जगह जाउंगा, चाहे तुम बुलाओ या मत बुलाओ और पुछूंगा तो जनसरोकार के सवाल ही, क्योंकि मैं भाट थोड़े ही हुं कि आपकी बिरदावली गाउंगा, जिनको बिरदावली गाना है, वे गाये, मैं तो वहीं करुंगा जो जनहित में करना हैं।

आज खुशी की बात है कि कुख्यात रघुवर शासन का अंत हो चुका हैं, हेमन्त अब मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं, वे हेमन्त जिन्हें जनता ने अखबार व चैनल को देखकर वोट नहीं दिये, वे हेमन्त जिन्हें जनता ने अपने कष्टों से मुक्ति पाने के लिए उन पर विश्वास किया, हमें लगता है कि हेमन्त को अभी मौका दिया जाना चाहिए, साथ ही विश्वास करना चाहिए कि झारखण्ड एक बेहतर दिशा में जायेगा, जहां किसी गरीब की भूख से मौत नहीं होगी, जहां कोई बहू-बेटी के सम्मान से कोई खिलवाड़ करने की जुर्रत नहीं करेगा, जहां कोई पिता जब सीएम से न्याय मांगने जायेगा तो उसे अपमान का घूंट नहीं पीना पड़ेगा।