अपनी बात

हेमन्त ने फिर की भयंकर भूल, दिया गैर-जिम्मेदाराना बयान, कहा – कभी भी विकराल रुप ले सकता है कोरोना

कोरोना वायरस से प्रभावित राज्य झारखण्ड को कैसे उबारा जाये? कैसे इससे लड़ा जाये? कैसे इस पर काबू पाया जाये? इन सभी मुद्दों को लेकर राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने आज सर्वदलीय बैठक बुलाई थी। यह सर्वदलीय बैठक संपन्न भी हो गई है। सर्वदलीय बैठक संपन्न होने के बाद संवाददाताओं से बातचीत के क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का यह बयान कि झारखण्ड में कोरोना कभी भी विकराल रुप ले सकता है, यह दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं, बल्कि राज्य की जनता में भय पैदा करनेवाला है।

हमें लगता है कि देश के जिन राज्यों में कोरोना ने भयंकर तबाही मचाई हैं, वहां के मुख्यमंत्री ने भी ऐसे समय में इस प्रकार के बयान देने से बचने का प्रयास किया हैं और उनकी प्राथमिकता जनता में इन विपरीत परिस्थितियों में उनका मनोबल बढ़ाना तथा कोरोना जैसे महामारी से संघर्ष करने का है।

सच्चाई यह है कि झारखण्ड में कोरोना को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति है। सरकार और उनके अधिकारियों को पत्रकारों तक सही समाचार पहुंचाने में भी भय दिख रहा है। खुद सरकार में शामिल मंत्री अधिकारियों की मदद से लॉकडाउन की धज्जियां उड़ा रहा है। एक मंत्री अलग से क्वारेन्टाइन में हैं।

रांची के हिंदपीढ़ी में मुट्ठी भर असामाजिक तत्वों ने इस प्रकार कोरोना वैरियर्स के साथ बदसलुकी की है कि वहां कोई अब अपनी सेवा नहीं देना चाहता, स्वास्थ्यकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार, सफाईकर्मियों पर थूक देना वहां आम बात हो गई है। रांची के हिंदपीढ़ी को पिछले 72 घंटे से सील कर दिया गया है, उसके बाद भी वहां इसका असर नहीं दिख रहा है।

इस मुस्लिम बहुल इलाके में हेमन्त सरकार ने अधिकारियों के दल और वॉलिन्टयर्स भी मुस्लिम ही नियुक्त किये हैं, उसके बाद भी क्या मजाल कि वहां से अच्छी खबर आ जाये। आज का रांची से प्रकाशित कोई अखबार पढ़ लीजिये, बता देगा कि यहां प्रशासन किस प्रकार कुछ मुट्ठी भर असामाजिक तत्वों के आगे सिर्फ वोट बैंक के लिए ताता-थैया कर रहा है।

ऐसे में अब मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का ये गैर-जिम्मेदाराना बयान कि राज्य में कोरोना कभी भी विकराल रुप धारण कर सकता है, से साफ लगता है कि सरकार कोरोना नामक महामारी के आगे नतमस्तक हो गई है, अब जनता भगवान भरोसे हैं, जनता को भगवान की शरण में चला जाना चाहिए, जबकि इसके विपरीत केन्द्र सरकार सब कुछ जानते हुए भी भारत की जनता को मायूस होने नहीं देना चाहती।

जनता का मनोबल बढ़े, इसके लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हर संभव प्रयास कर रहे हैं, कभी जनता कर्फ्यू के दिन सायं पांच बजे जनता से ताली बजवाना, कभी दिये जलाने का आह्वान करना, उसी की कड़ी हैं, पर यहां तो सब धन बाइस पसेरी हो गया, कोरोना विकराल रुप धारण करेगा, मुख्यमंत्री का बयान आ गया है, ऐसे में कल विरोधी दल इनके बयान को लेकर, इन पर टिप्पणी करें तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।

मुख्यमंत्री का ऐसे समय में यह बयान बताता है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन अब गलत लोगों के संपर्क में हैं, नहीं तो इस प्रकार का बयान हमें नहीं लगता है कि आ पाता। हमें यह भी महसूस हो रहा है कि जैसे पूर्ववर्ती रघुवर सरकार में मुख्यमंत्री रघुवर दास के आगे-पीछे करनेवाले लोग सही तस्वीर उनके सामने नहीं प्रस्तुत कर, केवल वहीं बात उन तक पहुंचाते थे, जिनसे उनका स्वार्थसिद्ध होता था, वे करने लगे हैं।

ऐसे में राज्य का बंटाधार और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के भविष्य का भी बंटाधार  होना उतना ही तय है। शायद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को नहीं पता कि उन्होंने कोरोना को लेकर जो बयान दिया हैं, उस बयान से उनका कितना नुकसान होनेवाला है, अगर अभी भी वे नहीं संभले और अपने भूलों पर ध्यान नहीं दिया तो कोरोना संक्रमण समाप्त होने के बाद अपना बोरिया-बिस्तर भी बांधने के लिए तैयार रहे, क्योंकि उन्हें नहीं पता कि भाजपावालों ने कोरोना संक्रमण की समाप्ति के बाद, उनको शासन से हटाने के लिए क्या प्रबंध कर रखे हैं? समझना है, समझिये, नहीं समझना है मत समझिये, हमें क्या? जनता ने बड़ी ही समझदारी से आपको सत्ता सौंपा है, ऐसे में कोई अपने घर को, अपने ही चिराग से जलाना चाहे, तो हम क्या कर सकते हैं?