घोर आश्चर्य, कभी नरसिम्हा राव की सरकार बचानेवाली, केडी सिंह तो कभी नथवानी को राज्यसभा पहुंचानेवाली झामुमो को डर, कही हाथ से सरकार न निकल जाये

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में जो बाते कही, वो अभुतपूर्व है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता, कभी विधानसभाध्यक्ष व मंत्री पद तक सुशोभित कर चुके सीपी सिंह के उस बयान को संवाददाताओं के समक्ष रख कड़ी टिप्पणी कर दी, जो आज चर्चा का विषय है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सीपी सिंह ने कही ये बात कही है कि “जब हमलोग विधायकों को खरीदनें को आयेंगे तो पकड़े थोड़े ही जायेंगे, कोई हमें पकड़ थोड़े ही पायेगा।”

सुप्रियो ने कहा कि ये बयान बताता है कि भाजपा के लोग इन सभी कार्यों में कितने पारंगत और किस प्रकार से ट्रेनिंग ले चुके हैं? उन्होंने कहा कि भाजपा का ये काम तो बहुत पहले से चल रहा है। यही तो कर्नाटक और मध्यप्रदेश मॉडल है, जिसे ये राजस्थान में भी चलाना चाहते थे, पर वे वहां सफल नहीं हुए, तो ये झारखण्ड में चलाना चाहते थे, जिसका सबूत है भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का वो बयान, जिसमें उन्होंने कहा था कि दुमका चुनाव के बाद जल्द ही झारखण्ड में भाजपा की सरकार होगी, जिसको लेकर वहां के कांग्रेस जिलाध्यक्ष ने दुमका नगर थाने में दीपक प्रकाश के खिलाफ एक प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी।

सुप्रियो भट्टाचार्या ने कहा कि सीपी सिंह की ये नई-नई स्वीकारोक्ति खुद नया गुल खिलाने की बात कह रही है। फिलहाल इनकी ये प्रारंभिक वार्ता पर पुलिसिया जांच चल रही है, पुलिस ही बेहतर बतायेगी कि सच्चाई क्या है? जो लोग इस बयान के बाद गिरफ्त में आये हैं, वे बतायेंगे कि उनका मंशा क्या था? मंशा कुछ भी रहे, वे जान ले कि न तो झारखण्ड की जनता बिकाउ है और न ही लोकतांत्रिक ढंग से चुने गये यूपीए के विधायक।

यहां फिलहाल पांच साल की टिकाउ सरकार चल रही है। जो स्थिर सरकार को अस्थित करने का षडयंत्र कर रहे हैं, वे सफल नहीं होंगे। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदेशा पहले से था कि यहां विधायकों के मन में भ्रम फैलाने की बात चल रही है। गोड्डा के सांसद निशिकांत दूबे के उस बयान से भी इस बात को गति मिली थी कि बाबू लाल मरांडी जल्द मुख्यमंत्री बनेंगे, जब मधुपुर में विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाषण के दौरान अपनी बाते कही थी।

सुप्रियो ने कहा कि इन लोगों को पता ही नहीं कि झारखण्ड संघर्ष की भूमि है, संघर्ष का कीमत लगा पाना इनके बूते के बाहर की चीज है। केन्द्र सरकार का यह रुप केवल अलोकतांत्रिक ही नहीं, बल्कि भयावह भी है। केन्द्र और भाजपा ने स्पष्ट कर दिया कि कोई भी उनके समक्ष नीतिगत बातें करेगा, तो वे उन्हें प्रताड़ित करेंगे, चाहे वो पत्रकार हो, उद्योगपति हो, नौकरशाह हो या भाजपा का अदना सा कोई मंत्री ही क्यों न हो?

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जब पुलिस  का छापा पड़ा तो उन लोगों को सामान छोड़कर भागने की जरुरत क्या थी? अगर वे सत्य पर थे तो फिर इस प्रकार की हरकतें करने की क्या जरुरत थी, ये सारी घटनाएं संदेह को जन्म देता है, इनके पीछे कौन लोग है? अगर मैं होटल में ठहरा हूं, मंशा साफ है तो हम क्यों भागेंगे, उनका भागना ही सारी घटनाओं की आशंकाओं को जन्म देता है।

ये साधारण घटना नहीं हैं, राज्य सरकार इस घटनाओं को गंभीरता से देख रही है, हम प्रतिवाद करने को तैयार है। लोकतांत्रिक ढंग से चुनी हुई सरकार को अपदस्थ करने की तैयारी केन्द्र को और भाजपाइयों को महंगा पड़ेगा, पूरे मामले की पुलिस जांच चल रही है और आप (पत्रकार) भी इस मामले पर नजर बनाएं रखे, तफ्तीश करें, ताकि लोगों को उनकी हरकतों का पता चलें।

इधर हमने जब इस संबंध में सीपी सिंह से बात करनी चाही, उन्होंने फोन नहीं उठाया। हालांकि सुप्रियो भट्टाचार्य ने झामुमो विधायकों/सांसदों/नेताओं द्वारा न बिकने को लेकर अपनी खुब पीठ थपथपाई, संघर्ष की उपज और पता नहीं क्या-क्या उनके लिए विशेषण तक की व्यवस्था कर दी, पर सुप्रियो भट्टाचार्य को पता होना चाहिए कि यहां के नेताओं/सांसदों के बारे में जनता को खुब पता है कि कैसे नरसिम्हा राव की सरकार को यहां के सांसदों ने बचाया और वे सांसद कौन तथा किस पार्टी के थे?

के डी सिंह और परिमल नथवानी जैसे लोग राज्यसभा वो भी झारखण्ड से कैसे चले जाते हैं? कोबरा पोस्ट ने कैसे राज्यसभा की वोटिंग के दौरान यहां के नेताओं को अपने वोट बेचते नंगा किया था, इसलिए ये कहना कि ये संघर्ष की भूमि हैं, यहां के नेता महान है, कुछ पचा नहीं, झूठ उतना ही, जितना पच जाये। रही बात सीपी सिंह के बयान की, तो उसकी जांच सही ढंग से हो जाये, गलत हैं तो कार्रवाई हो।

फिर भी हमें नहीं लगता कि उन पर कार्रवाई होगी, क्योंकि दो साल तो निकलनेवाले हैं, जो वर्तमान सरकार की हरकतें हैं, साफ है इनका पुनरागमन नहीं होना है, सरकार बदलेगी, फिर पुलिस भी बदल जायेगी, हो सकता है कि केस सही होने के बावजूद भी सरकार केस वापस ले लें, सारा मामला टायं-टायं फिस्स या इसी दौरान झामुमो का हृदय परिवर्तन हो जाये।

केन्द्र थोड़ा प्यार से अपने तोतों को भिड़ाना शुरु कर दें और अंत में झामुमो कांग्रेस का डाल छोड़कर भाजपा के डाल पर राम-राम कहने लगे तब? क्योंकि भाजपा की कृपा से कभी शिबू सोरेन राज्यसभा भी जा चुके हैं, झामुमो सरकार भी चला चुकी है, इसलिए ये सब गीदड़भभकी हैं या शुरुआती प्रेम, कहना मुश्किल है, क्योंकि पहले तकरार और फिर प्यार, झामुमो का शगल भी रहा है।