माफ करें मोदी जी, जरा आप बताइयेगा कि किस देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति हास्पिटल में जाकर भाषण देता हैं?

माफ करे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी, ये जो हर जगह आपको भाषण देने की जो आदत पड़ गई हैं न, उस पर थोड़ा विराम लगाइये। ठीक है, आपने भारत-चीन सीमा पर जाकर, वहां सीमा पर तैनात जवानों से बातचीत की, उनके हौसले बढ़ाये, पर कल जो आपने हास्पिटल में इलाज करा रहे, स्वास्थ्य लाभ ले रहे जवानों को जो आपने भाषण की घूंटी पिला दी, वो किसी भी तरह से सराहनीय नहीं हैं।

हमें लगता हैं, हो सकता हैं कि मैं गलत भी हूं, पर इतना जरुर जानता हूं कि शायद विश्व के कई देशों में आप पहले किसी देश के प्रमुख शासक है, जिसने हॉस्पिटल जाकर, वह भी बन-ठन कर, हाथ में माइक लेकर स्वास्थ्य लाभ ले रहे जवानों को भाषण की घूंटी पिला दी। कभी आपने सोचा कि आपके इन चार मिनटों के भाषण को सुनने के लिए उन जवानों को कितने देर से बैठाया गया होगा?

कभी आपने सोचा कि आपके भाषण को सुन रहे उन जवानों को किन-किन पीड़ा से उस वक्त गुजरना पड़ा होगा? अरे जो सेना में बड़े अधिकारी होते हैं, वे अपने जवानों के साथ कैसे पेश आते हैं, ये कौन नहीं जानता? जब उन अधिकारियों को पता चलता है कि आप जैसे लोग पहुंच रहे हैं, तो उसकी तैयारी में किस प्रकार से नीचे पायदान में रह रहे जवानों को अपनी झूठी शान बढ़ाने के लिए, जवानों को घंटों परेशान कर देते है, अरे देश की आन-बान-शान तो ये जवान ही रखे हुए हैं, ये कौन नहीं जानता?

आप वहां भी जाकर जवानों को चैन से बैठने व आराम करने नहीं दिये, जबकि हर हॉस्पिटल की पहली प्राथमिकता वहां शांति स्थापित करने की होती हैं, पर आपने तो वहां भारत माता की जय का नारा भी लगवा दिया, क्या ये नारे लगवाने के बाद ही पता चलेगा कि ये जवान देशभक्त हैं, क्या उनकी देश पर मरृ-मिटने की कला, ये बताने को काफी नहीं कि इन्हें देश से कितना प्यार हैं?

आप अपने भाषण में कह रहे हैं कि आप उनकी माताओं को प्रणाम कर रहे हैं, अरे इतना ही इनकी मां के प्रति भक्ति हैं तो जाकर उन सैन्य अधिकारियों और जो व्यक्ति उस मंत्रणालय को चला रहा है, उससे पूछिये कि क्या एक जवान को वह हर चीज मिल रही हैं, जिसका वो हकदार है? अरे आप अपने आप से पूछिये कि सांसदों-विधायकों, प्रधानमंत्रियों-मंत्रियों के लिए तो पुरानी पेंशन स्कीम बरकरार हैं, पर भारत-चीन सीमा पर तैनात जवानों को वो नेताओं को मिल रही सुविधा क्यों नहीं?

यानी मरे जवान, देश की रक्षा करे जवान और तरमाल खाये नेता, जवानों के हिस्से आये उनकी माताओं को क्रंदन और कहेंगे कि देश की माताओं को हम प्रणाम करते हैं। क्या ये देश नहीं जानता कि सीमाओं पर तैनात इन जवानों को उनके घर जाने के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, छुट्टी के लिए कितने अधिकारियों के पांव दबाने पड़ते हैं? चलिए, आप भाषण देते रहिये, और क्या करियेगा?

शायद यहां की जनता को भी यहीं पसंद है, भाषण। तभी तो आपने हॉस्पिटल में भी भाषण दे डाला। बेचारे इलाज करा रहे जवानों को क्या? उन्हें हिदायत दे दी गई होगी, कि सावधान की मुद्रा में बेड पर बैठ जाना हैं और वे बैठ गये, पर जरा अपने दिल से पूछियेगा कि किस देश का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति अपने देश के इलाजरत जवानों से मिलने जाता हैं तो भाषण देने लगता है।