अपनी बात

हेमन्त सरकार के इस बड़े फैसले को सभी ने सराहा, एक रुपये में महिलाओं के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री बंद, हो रहा था राज्य को भारी आर्थिक नुकसान

पूरे राज्य में खुशी की लहर है। खुशी की लहर इसलिए कि राज्य की हेमन्त सरकार ने एक बहुत बड़ा फैसला लिया है। तत्काल प्रभाव से एक रुपये में जो महिलाओं के नाम पर धड़ल्ले से जमीन की रजिस्ट्री हो रही थी, उसे विराम लगा दिया है। हेमन्त सरकार के इस फैसले की मुक्त कंठ से प्रशंसा हो रही है, क्योंकि पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के इस बेवकूफी भरे फैसले से राज्य को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा था।

जिसके कारण बड़ी संख्या में राज्य के आइएएस/आइपीएस व धन्ना सेठों का समूह अपनी-अपनी बीवियों के नाम करोड़ों की जमीन वह भी मात्र एक रुपये में करवा ले रहा था, इससे राज्य के आइएएस/आइपीएस और धन्ना सेठों का समूह तो मालामाल हो गया, पर राज्य का आर्थिक नुकसान हुआ सो अलग। बड़े पैमाने पर झारखण्ड में जमीन की लूट हुई। अगर सही मायनों में हेमन्त सरकार जांच करवा दें, तो साफ पता लग जायेगा कि इसका असली फायदा झारखण्ड के आदिवासियों/मूलवासियों को मिला या रघुवर के आगे-पीछे करनेवाले महानभक्तों को।

राजनीतिक पंडितों को मानना है कि जो कहते है कि इससे महिलाओं का सशक्तिकरण हो रहा था, तो वे जनता को बेवकूफ बना रहे हैं, दरअसल इस पूरे प्रकरण से ऐसे लोगों को सशक्तिकरण हो रहा था, जो अपने घर की महिलाओं को आगे कर, अपनी आर्थिक स्थिति व भविष्य सुरक्षित करने में लगे थे, और इस शृंखला में कौन-कौन लोग थे? ये रघुवर दास एंड कंपनी से बेहतर और कौन जान सकता है? क्योंकि ये सब निर्णय लेनेवाले और इसका फायदा उठानेवाले जो लोग थे, वो तो जगजाहिर है।

राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि जिस व्यक्ति ने महिलाओं का कभी सम्मान ही नहीं किया, जिस व्यक्ति ने एक महिला के साथ हुए यौन शोषण मामले में प्राथमिकी तक दर्ज नहीं होने दी, बजाप्ता अपने संरक्षण में बाघमारा के दबंग भाजपा विधायक ढुलू महतो को रखा, वह व्यक्ति अगर ये कहे कि हमने महिलाओं की आर्थिक सशक्तिकरण के लिए यह फैसला लिया था, तो वह झूठ बोल रहा है।

राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि राज्य के गरीब आदिवासियों/मूलवासियों के पास इतना पैसा कहां हैं कि वे पचास लाख रुपये तक की जमीन अपनी पत्नी या घर के किसी महिला सदस्य के नाम पर लिखवा दें, यहां तो जिनके पास पैसे थे, उनलोगों ने जमकर लूट मचाई और इसका फायदा उठाया, जबकि उनके घरों में महिला सशक्तिकरण की बात ही बेमानी है।

हालांकि इधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने हेमन्त सरकार के इस निर्णय पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। रघुवर दास का कहना है कि यह सरकार महिला सशक्तिकरण विरोधी है। उनकी सरकार ने एक रुपये में रजिस्ट्री कराने का निर्णय लिया था, जिसे इस सरकार ने बंद कर दिया, जो निन्दनीय है। महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रुप से सशक्त करने के लिए पचास लाख रुपये तक की संपत्ति के निबंधन पर एक रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया था। वर्तमान सरकार ने इसे बंद कराकर अपना असली चरित्र उजागर कर दिया है।

रघुवर दास के इस बयान का धनबाद के वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा कड़ी आलोचना करते हैं। वे कहते है कि जिस रघुवर दास नामक व्यक्ति ने महिला उत्पीड़न करनेवालों को राजनीतिक संरक्षण प्रदान किया, मुकदमा वापसी, पार्टी टिकट, चुनाव प्रचार में आने, उसके छोटे-बड़े कार्यक्रम में शामिल होने का कुत्सित प्रयास किया, वह अगर हेमन्त सरकार को महिला विरोधी कहें, तो उन्हें आश्चर्य होता है। विजय झा तो आगे यह भी कहते है कि रघुवर दास जी सुधर जाइये, नहीं तो बची-खुची जो साख हैं, वह भी चली जायेगी, फिर रोते रहियेगा, उस वक्त जनता आपके साथ क्या सलूक करेगी? इसका अंदाजा भी आपको नहीं है।

रांची की समाजसेविका आलोका कुजूर तो साफ कहती है कि हेमन्त सरकार का यह फैसला, झारखण्ड हित में हैं। इसे क्रांतिकारी फैसला कहा जा सकता है, क्योंकि इससे पूरे राज्य में जमीन लूट को बल मिल रहा था। रही बात जो लोग कह रहे है कि इससे महिलाएं सशक्त हो रही थी, तो वे खुद बताएं कि वे महिलाओं को कितना सम्मान देते हैं, क्या लोग भूल गये कि रघुवर राज में महिलाओं पर कितने अत्याचार हुए और किसने-किसने करोड़ों की जमीन अपनी बीवी के नाम पर करा लिये, वह भी झूठ बोलकर। आलोका कुजूर कहती है कि मैं तो दिल से हेमन्त सोरेन के इस फैसले के साथ हूं क्योंकि झारखण्ड की जमीन लूटने से इन्होंने बचा लिया।