अपनी बात

चिन्ता मत करिये, भारतीय नक्षत्र बता रहे हैं कि इस बार वे जमकर बरसेंगे, खूब कमाल दिखायेंगे, धरती को तृप्त करेंगे

मानसून केरल तक पहुंच गया। इस बार कुछ दिन विलम्ब से मानसून केरल तट से टकराया है। बिहार-झारखण्ड में जून के महीने में भीषण गर्मी ने लोगों के दिमाग खराब कर दिये हैं। झारखण्ड में जहां अब तक प्री-मानसून के बारिश शुरू हो जाते थे। अब तक प्री-मानसून के बारिश शुरु नहीं हुए हैं। लगता है कि सीधे मानसून ही अपना धमक दिखायेगा, फिर भी लोग मानसून को लेकर अंधेर-बून में हैं।

भारतीय मौसम वैज्ञानिकों का दल हालांकि अपनी ओर से मानसून का आकलन कर आम लोगों तक अपनी बातें पहुंचा रहा हैं। लेकिन भारतीय नक्षत्र इस बार बारिश को लेकर क्या संदेश दे रहे हैं? इसे भी जानना जरुरी है, क्योंकि भारतीय नक्षत्रों को नजरंदाज करना किसी भी प्रकार से ठीक नहीं। पूर्व में भारतीय किसान, नक्षत्रों के आकलन के द्वारा ही बारिश का अनुमान कर लेते थे और खेती-बाड़ी में लग जाते थे। ये नक्षत्रों का आकलन करीब-करीब सही ही होता था।

इस बार भारतीय नक्षत्र बारिश को लेकर बेहतर संदेश दे रहे हैं। करीब- करीब सारे बारिश के नक्षत्र इस बार झमाझम बरसेंगे।  खासकर पुष्य, आश्लेषा, पूर्वा फाल्गुनी और हस्त यानी हथिया नक्षत्र तो बता रहे है कि इस बार ऐसा झमाझम बरसेंगे, कि धरती को तृप्त कर देंगे, क्योंकि इन सारे नक्षत्रों में भारी बारिश के योग है और अब लीजिये आप स्वयं देखिये कि बारिश के कौन से भारतीय नक्षत्र कब और किसी तिथि को प्रवेश कर रहे हैं और बारिश को लेकर क्या योग बना रहे हैं?

क. आर्द्रा – 22 जून को रात्रि 1.48 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

ख. पुनर्वसु – 6 जुलाई को रात्रि 3.22 से प्रारंभ – सामान्य वृष्टि योग।

ग. पुष्य – 20 जूलाई को रात्रि 4.49 से प्रारंभ – अति वृष्टि योग।

घ. आश्लेषा – 3 अगस्त को रात्रि 5.09 से प्रारंभ – अति वृष्टि योग।

ड. मघा – 17 अगस्त को रात्रि 3.57 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

च. पूर्वा फाल्गुन – 31 अगस्त को रात्रि 12.39 से प्रारंभ – उत्तम वृष्टि योग।

छ. उत्तरा फाल्गुन – 14 सितम्बर को रात्रि 6.49 से प्रारंभ – वायु वृष्टि योग।

ज. हस्त – 28 सितम्बर को दिन 10.12 से प्रारंभ – अति वृष्टि योग।

झ. चित्रा – 11 अक्टूबर को रात्रि 10.41 से प्रांरभ – सामान्य वायु वृष्टि योग।