बाल कोना

भूलिये मत, आज ऐतिहासिक दिन है, आज ही के दिन 1941 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भारत में अंतिम बार देखा गया था

भूलिये मत। आज ऐतिहासिक दिन है। आज ही के दिन 1941 यानी 18 जनवरी 1941 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने निष्क्रमण किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज ही के दिन गोमो जंक्शन से ट्रेन पकड़े थे और फिर उसके बाद दुबारा कोई उन्हें देख नहीं सका। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के इस निष्क्रमण की याद को गोमोवासी आज भी संजो कर रखे हैं। गोमो जंक्शन के प्लेटफार्म नं. एक-दो पर आज भी उनकी एक प्रतिमा लगाई गई है, जो आज की घटना की याद दिलाती है।

पहले इस स्टेशन का नाम सिर्फ गोमो जंक्शन था। लेकिन यहां के नागरिकों के बार-बार आंदोलन करने तथा रेल मंत्रालय से बार-बार पत्राचार करने के बाद इस स्टेशन का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नाम पर कर दिया गया। आज इस स्टेशन का पूरा नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जंक्शन गोमोह है। हालांकि नाम लंबा-चौड़ा होने के कारण आज भी लोग इस स्टेशन को गोमो के नाम से ही जानते हैं। ऐतिहासिक घटना के कारण व नेताजी से जुड़ाव के कारण इस स्टेशन का नाम इतिहास में दर्ज है।

23 जनवरी को जब नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई जाती है। तो यहां चहल-पहल कुछ बढ़ जाती है। लोग इन्हें याद करते हुए यहां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। लेकिन 18 जनवरी को लोग भूल जाते हैं कि आज ही के दिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस इस स्टेशन से अंतिम बार ट्रेन पकड़े थे और उसके बाद उन्हें कोई देख नहीं पाया। जब मैं ईटीवी धनबाद में कार्यरत था तो इस याद को समेटे हुए था और जब भी 18 जनवरी आती तो इस पर न्यूज जरुर बनाता। वो न्यूज चलती भी।

आप भी जब कभी इस स्टेशन से गुजरिये और आपकी ट्रेन यहां रुकती है तो उस स्थल तक जरुर जाइये। आम तौर पर जितनी भी प्रमुख ट्रेनें पश्चिम से आती है वो इस प्लेटफार्म पर रुकती है। चूंकि यह स्टेशन भाया धनबाद हावड़ा व रांची-पुरी जाने के लिए प्रमुख स्टेशन है तो यहां सभी प्रमुख ट्रेनों का पांच से दस मिनट का स्टोपेज हैं। इतने समय में आप वो स्थान जरुर जा सकते हैं, जहां नेताजी की प्रतिमा स्थापित है। जानकारी के लिए बता दे कि प्लेटफार्म एक-दो के पूर्व साइड में यह प्रतिमा स्थित है। आश्चर्य इस बात की है कि आज के दिन का महत्व नेताजी से जुड़नेवालों के लिए प्रमुख हैं लेकिन बहुत कम ही लोग आज के दिन वहां जाकर उनकी गोमो से जुड़ी इस महत्वपूर्ण घटना को याद करते हैं, नमन करते हैं।