अपनी बात

“संभल के पोस्ट कीजिये न जाने कब हुजूर ए आला कुरान बांटने का फरमान सुना दें। @ ऋचा भारती।”

आज ऋचा पटेल को मिली जमानत से संबंधित समाचार विभिन्न समाचारों में प्रकाशित हो जाने के बाद हिन्दू समाज, विभिन्न हिन्दू संगठनों, धर्मनिरपेक्ष चरित्र के व्यक्तियों के बीच एवं सोशल साइट्स पर बवाल मचा है। बवाल इस बात को लेकर है कि जमानत देने के क्रम में ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मनीष कुमार ने ऋचा पटेल को पन्द्रह दिनों के अंदर कुरान की पांच प्रतियां दान करने का निर्देश क्यों दिया?

क्या ऐसा ही निर्देश कोई न्यायालय का न्यायाधीश किसी मुस्लिम व्यक्ति को जमानत देने के क्रम में पांच हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा दान देने का निर्देश देगा, जैसे हाल ही में दिल्ली की एक प्राचीन मंदिर में कुछ मुस्लिम उपद्रवियों ने हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमा को खंडित करने का काम किया, या कोई अदालत जमानत देने के क्रम में किसी मुस्लिम को ये आदेश देगा कि वह हिन्दू ग्रंथों जैसे गीता की ही पांच प्रतियां किसी हिन्दू संगठन को दान करें?

क्या भारतीय कानून की किताब में जमानत देने में ये सारी बातें भी लिखी गई है कि कोई व्यक्ति को जमानत तभी मिलेगा, जब कुरान दान करेगा, नहीं तो भारत जैसे धर्मनिरपेक्ष देश में, जिसकी संविधान के प्रस्तावना में ही “धर्मनिरपेक्ष” शब्द लिखा है, उसकी धज्जियां क्यों उड़ाई जा रही है?

आज रांची से प्रकाशित सभी समाचार पत्रों में यह बात प्रमुखता से छापी गई है कि ऋचा पटेल को सात-सात हजार के दो निजी मुचलके भरने का निर्देश कोर्ट की ओर से दिया गया, इसके अलावा उसे कुरान की पांच प्रतियां दान करने का भी निर्देश जज ने दिया, पांच में से एक प्रति शिकायतकर्ता और बाकी चार प्रति स्कूल-कॉलेज या विश्वविद्यालय में दान करने को कहा गया है, ऋचा को यह भी कहा गया कि यह काम उसे पन्द्रह दिनों के अंदर कर देना है।

ज्ञातव्य है कि ऋचा पटेल के खिलाफ शिकायतकर्ता मंसूर खलीफा, सदर अंजमुन कमेटी, पिठोरिया ने 12 जुलाई को थाने में कांड संख्या 58/2019 दर्ज कराया था और स्थानीय पुलिस ने दो ही घंटे में ऋचा को गिरफ्तार कर लिया और उसे शीघ्र जेल भी भेज दिया, जबकि इससे बड़े-बड़े गुनाहकर, बड़े-बड़े गुनहगार आराम से रांची की सड़कों पर मस्ती काट रहे हैं, हाल ही में पांच जुलाई को रांची में जो दंगे भड़के, जिसके शिकार कई हिन्दू युवक आज भी अस्पताल में इलाज कराने को विवश है, महिलाएं भय से सड़कों पर नहीं निकल रही, वैसी हरकत करनेवालों के खिलाफ पुलिस की हिम्मत नहीं कि उन्हें गिरफ्तार कर लें।

आज भी विभिन्न सोशल साइट्स पर हिन्दू समाज के देवी-देवताओं के खिलाफ गालियां भरी पड़ी है, पर आज तक रांची पुलिस उन लोगों को गिरफ्तार नहीं कर सकी, हालांकि वो यह भी कह सकती है कि उनके खिलाफ कोई शिकायत नहीं, पर क्या शिकायत होने के बाद ही पुलिस कार्रवाई करेगी, या उसका भी समाज में शांति स्थापित करने का दायित्व बनता है, और ऐसे लोगों को जेल के सलाखों के बीच डालने का अधिकार है।

ये वहीं रांची है, जहां की एसडीओ, राज्य के नगर विकास मंत्री सीपी सिंह से झूठ बोलती है कि रांची के मेन रोड में कोई जुलूस नहीं निकला, जिसके बारे में सीपी सिंह खुलकर विद्रोही24.कॉम को बताते हैं, जहां का पूरा जिला प्रशासन, यहां के असामाजिक तत्वों से खौफ खाता है, वो एक सामान्य बालिका ऋचा पटेल पर इतना जूल्म ढा दिया, जिसकी जितनी निन्दा की जाय कम है।

और इधर देखिये जो हिन्दूत्व की बात करते हैं, जो सड़कों पर हनुमान चालीसा गत रविवार को पढ़ रहे थे, इधर वे हनुमान चालीसा गाते रहे और उधर जज ने कुरान दान करने का निर्देश दे दिया, ये पिठोरिया थाना प्रभारी को निलंबित करने की मांग कर रहे थे, पर पिठोरिया थाना प्रभारी निलंबित क्या होगा, ऋचा पटेल की ही ऐसी गत बना दी गई कि हिन्दू संगठन औकात में आ गये, ये हैं हिन्दूत्व की सरकार, भाजपा की सरकार, जो केन्द्र, राज्य और नगर निकायों तक में कब्जा स्थापित की हुई है।

इधर सोशल साइट्स पर एस के आजाद लिखते है कि “संविधान की प्रति के बदले कुरान की प्रति बांटने का आदेश देनेवाला न्यायाधीश नहीं, जिहाद का समर्थक ही हो सकता?”

एस के आजाद फेसबुक पर यह भी लिखते है “ऋचा को जेएम मनीष कुमार ने कुरान बांटने का आदेश देकर भारतीय संविधान प्रदत्त शक्तियों का दुरुपयोग किया है, निंदनीय आदेश।”

एस के आजाद यह भी लिखते है “ऐसा फैसला तो कुख्यात शरिया अदालते ही देती है? क्या रांची की संवैधानिक अदालते शरिया कोर्ट में बदल रही? एक हिन्दू होने के नाते मैं कुरान क्यों बांटू? ऐसे संविधान विरोधी कुकृत्य करनेवाले जज भारत के संविधान की धज्जी उड़ा रहे। शर्मनाक और हमारे मौलिक अधिकारों का हनन करनेवाला तुगलकी फैसला।”

एस के आजाद ये भी कहते है कि “जिस कुरान की कुछ आयते विश्व शांति के लिए घातक है उसे न्यायालय के आदेश से बंटवाना भारत के धर्मनिरपेक्ष छवि को कलंकित करना है”।

जर्नलिस्ट चंदन कहते है “संभल के पोस्ट कीजिये न जाने कब हुजूर ए आला कुरान बांटने का फरमान सुना दें। @ ऋचा भारती।”

इधर दैनिक भास्कर ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव का बयान छापा है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ऋचा भारती को जमानत देने के मामले में कोर्ट का फैसला स्तब्ध करनेवाला है। उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि उन्होंने फैसला नहीं देखा है, पर मीडिया में जो खबरें आ रही है, उसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि अदालत का फैसला पहले कभी न देखा और न ही सुना है।