बाघमारा का दबंग भाजपा विधायक ढुलू और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश का दिव्य ज्ञान

बाघमारा में एकछत्र राज करनेवाला, रघुवर दास के शासनकाल में सारे पुलिस तंत्र तथा सारे प्रशासन को अपनी मुट्ठी में करनेवाला, अपनी ही पार्टी के जिला मंत्री(अब कांग्रेसी नेता) का यौन शोषण का आरोपी, व्यापारियों को नाक में दम कर देनेवाला, अच्छे-अच्छे लोगों को झूठे मुकदमों में फंसाकर उसकी नींद उड़ा देनेवाला, खुद धनबाद के एसएसपी के अनुसार वर्ष 1997 से फरवरी 2020 तक जिस व्यक्ति के खिलाफ तीन दर्जन केस है।

ऐसे व्यक्ति के लिए दिल में दर्द रखनेवाला व्यक्ति भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ही हो सकता है, राज्यसभा का भाजपा की ओर से दिया गया प्रत्याशी ही हो सकता है, दूसरा कोई नहीं। वह भी इसलिए, क्योंकि उसे लग रहा है कि कही एक वोट से हार हो गई, तो फिर वह कही का नहीं रहेगा, क्योंकि राजनीति में कब उपर का आदमी नीचे चला जाता है, पता ही नहीं चलता।

एक समय था, जब पूर्व सीएम रघुवर दास का अतिप्रिय भाजपा का यह दबंग विधायक की तूती बोलती थी, पर जैसे ही रघुवर दास का शासन समाप्त हुआ, हेमन्त सोरेन सत्ता में आये, बेचारे की बोलती बंद हो गई, जो पुलिस प्रशासन उसके आगे कत्थक किया करती थी, वह भी उसे पकड़कर सजा दिलाने में दिलचस्पी लेने लगी, यह वही ढुलू है, जिसके इशारे पर इसके लोग पुलिस अधिकारी की वर्दी भी फाड़ चुके हैं।

समझ लीजिये, यह कैसा आदमी है, फिर भी अभी देखिये, तो दीपक प्रकाश के मुंह से उसके लिए रसगुल्ले के रस ही टपक रहे है। जाहिर है, राज्य सभा का चुनाव है, उन्हें वोट चाहिए, अगर राज्य सरकार और पुलिस पदाधिकारी ने कमाल दिखा दिया तो भाजपा को एक वोट का नुकसान हो सकता है, इसलिए उन्होंने अपने दिव्य ज्ञान का पिटारा खोला, और कह दिया कि “ढुलू महतो को परेशान किया जा रहा, यही नहीं जनाब ने आगे और भी कहा लोकतंत्र में सरकार आती है, जाती है, लेकिन राजनीतिक मर्यादा खत्म नहीं होनी चाहिए।” 

कमाल है, जिस पार्टी ने राज्य में सारे राजनीतिक मर्यादाओं का सत्यानाश कर दिया, कई लोगों की जिंदगियां तबाह कर दी, उसे झूठे मुकदमे में फंसाकर बर्बाद करने का रिकार्ड बनाया, खुद पर्दे के पीछे रहे और अपने छुटभैये कार्यकर्ताओं के सहारे अच्छे-अच्छे लोगों का जीना दूभर करवा दिया, उस पार्टी के लोग ज्ञान बांट रहे हैं।

क्या दीपक प्रकाश की हिम्मत है कि वो उस महिला के सामने आंख से आंख मिलाकर बात कर सकें, जिसकी प्राथमिकी इन्हीं के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ढुलू महतो के खिलाफ दर्ज नहीं होने दी, यहां तक की हाईकोर्ट को इसमें दखल देना पड़ा। अरे भाई, आपलोग इतना ज्ञान कहां से लाते हैं? क्या किसी पुलिस पदाधिकारी का वर्दी फाड़ना लोकतंत्र का शुभ संकेत है? क्या ऐसे लोग जिसके खिलाफ तीन दर्जन से अधिक अपराधिक मुकदमें हैं, उस व्यक्ति पर से सारे मुकदमें उठा लेने की मुहिम सही है?

तब तो आपको इस महान सोच के लिए पद्मश्री दे देना चाहिए, और चिन्ता मत करिये, भाजपा में हैं तो पद्मश्री क्या? इससे भी अधिक मिल जायेगा। इसमें कौन सी बड़ी बात है, लेकिन याद रखिये, आप कितने भी बुद्धिमान बन जाइये, ईश्वर को आप चुनौती नहीं दे सकते। दिल्ली में भी बैठियेगा, राज्यसभा में भी बैठियेगा तो उससे आप बच नहीं सकते, वो आपके द्वारा किये जा रहे हर शुभाशुभ फल आप तक पहुंचा ही देगा, ऐसे भी जो लोग भाजपा को पहले की नजरों से देखा करते थे, वो नहीं देखते, क्योंकि वो जानते है कि भाजपा कांग्रेस का प्रतिरुप है, सिर्फ नाम बदल गया है।