अखबारों-चैनलों की चुप्पी के बावजूद CM हेमन्त के मगही-भोजपुरी भाषियों के खिलाफ दिये गये बयान से भड़का जनाक्रोश, भोजपुरी/मगही भाषियों ने कहा – हेमन्त मांगे माफी, साथ में आंदोलन की भी दी धमकी

एक लोकोक्ति है – खाया-पीया कुछ नहीं, गिलास तोड़ा आठ आना, ठीक यही लोकोक्ति राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर फिट बैठती है, उन्हें मिला था राज्य को बेहतर दिशा में ले जाने को, पर वे कर क्या रहे हैं, तो ऐसी-ऐसी बातें और हरकतें कर और करवा रहे हैं, जिससे झारखण्ड को गर्त में जाने से कोई रोक नहीं सकता।

दस दिन पहले झारखण्ड विधानसभा में नमाज कक्ष बनाने की बात और अब दिल खोलकर भोजपुरी और मगही भाषियों को उनके द्वारा दी गई चुनौती, साफ कह रहा है कि राज्य में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। जिस वर्ष को नियुक्ति वर्ष घोषित किया गया था, वो वर्ष विघटन-बिखराव वर्ष होने जा रहा है।

क्योंकि राज्य सरकार ने नियुक्ति के लिए तो कुछ नहीं किया, उलटे समाज में विघटन के बीज अवश्य बो दिये, जब राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने एचटी इंटरव्यू में कुमकुम चड्ढा को दिये बयाने में भोजपुरी व मगही भाषियों के लिए आपत्तिजनक शब्द का प्रयोग कर दिया और ये बातें अखबारों-चैनलों की चुप्पी के बावजूद भी जंगल की आग की तरह धीरे-धीरे पूरे झारखण्ड में फैल गई।

भोजपुरी एकता विकास परिषद् के कैलाश यादव ने उनसे तुरन्त माफी मांगने की मांग कर डाली। कई लोगों को भय है कि कही डोमिसाइल वाली आग पुनः न फैल जाये, जिससे राज्य की सुख शांति न भंग हो जाये। राजनीतिक पंडित तो इसके लिए सीधे मुख्यमंत्री के आगे-पीछे करनेवाले, उनका दिमाग खराब करनेवाले कनफूंकवों को दोषी ठहरा रहे हैं।

राजनीतिक पंडित तो साफ कह रहे है कि यही स्थिति रही, तो हेमन्त सोरेन की भी हाल बाबू लाल मरांडी वाली हो जायेगी, जो सालों दर-बदर भटकते रहे, फिर जाकर भाजपा में अपनी राजनीति तलाश कर रहे हैं। राजनीतिज्ञों को समझ लेना चाहिए कि विखराव व वैमनस्यता की राजनीति ज्यादा दिनों तक नहीं चलती, उलटे ऐसा करनेवालों की राजनीति पर ही सदा के लिए विराम लगा देती है। फिलहाल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के इस बयान से भोजपुरी और मगही भाषियों में काफी आक्रोश है।

भोजपुरी एकता विकास परिषद् के संयोजक कैलाश यादव ने भोजपुरी भाषा व भोजपुरिया समग्र समाज के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए माफी मांगने की मांग की है।

इधर श्री यादव ने कहा है कि सीएम हेमन्त सोरेन के द्वारा राज्य के ढाई करोड़ भोजपुरी, मगही, अंगिका, मैथिली, हिन्दी बोलनेवाले बहुसंख्य समाज के प्रति घृणा का भाव पेश किया गया है। राज्य में एक संवैधानिक पद पर विराजमान मुख्यमंत्री की ऐसी ओछी और समाज विरोधी बयान की कल्पना कोई नहीं कर सकता, निश्चित रुप से अत्यंत ही संवेदनहीनता और निन्दनीय एवं चिन्तनीय बयान है।

श्री यादव ने कहा कि महागठबंधन सरकार में शामिल जेएमएम, कांग्रेस और राजद के गैरस्थानीय भाषा बोलनेवाले लोग सामाजिक अस्मिता के लिए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की टिप्पणी पर विरोध करें व सरकार से समर्थन वापस लेने की घोषणा करें। भोजपुरी एकता विकास मंच मांग करता है कि मुख्यमंत्री समाज विरोधी बयान वापस लें, अन्यथा राज्य भर में आंदोलन होगा। यादव ने कहा कि इस संदर्भ में 15 सितम्बर को भोजपुरी एकता मंच का एक महत्वपूर्ण बैठक टंकी साइड में 12 बजे बुलाई गई है, जिसमें समाज के लोग उपस्थित रहेंगे।

इधर राज्य के सभी प्रमुख अखबारों व चैनलों ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है। मतलब मुख्यमंत्री के द्वारा दिये गये बयान को छापने से भी उन्हें परहेज हो रहा है, शायद उन्हें लग रहा है कि सत्य-सत्य छापने के बाद, कही उसका उलटा प्रतिक्रिया हेमन्त सोरेन को हुआ तो उनका विज्ञापन न बंद हो जाये, मतलब राज्य के अखबारों की स्थिति सांप-छुछूंदरों जैसी हो गई। सत्य लिखने में भी इन्हें लग रहा है कि पंगा हो जायेगा, इसलिए इनके प्रधान सम्पादक, कार्यकारी सम्पादक, स्थानीय संपादक, ब्यूरो प्रमुख, सभी मिलकर हेमन्ताय नमः, हेमन्ताय नमः का सप्ताक्षर मंत्र जप रहे हैं।