प्रदेश भाजपा में लोकतंत्र पूरी तरह समाप्त, बिदकने लगे भाजपा कार्यकर्ता, अब तक कार्यसमिति का गठन तक नहीं

भारतीय जनता पार्टी में एक तरह से देखा जाय, तो लोकतंत्र पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। यह पार्टी पूरी तरह से कांग्रेसी विचारधारा को अपनाकर, स्वयं को जीवित रखने का प्रयास कर रही है। जिसका परिणाम यह देखने को मिल रहा है कि जिस भाजपा में कार्यकर्ताओं की फौज हुआ करती थी, अब उस भाजपा से कार्यकर्ता खुद को अलग करने लगे हैं।

कमाल है, भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष  कौन होगा?  इसका निर्णय प्रदेश के अधिकारी व कार्यकर्ता नहीं करते, बल्कि दिल्ली में बैठे भाजपा के महंत आपस मे डिसाइड कर लेते हैं कि किसे बनाना है, और फिर वहीं यहां के पार्टी का शंकराचार्य बन जाता है, या यो कहें कि मठाधीश बन जाता है। कमाल है, यह पार्टी खुब लोकतंत्र का रोना रोती है, पर सच्चाई यह है कि ढिबरी लेकर इस पार्टी के कार्यालय में आप घूम जाइये, कहीं भी लोकतंत्र दिखाई नहीं पड़ेगा।

अब जरा देखिये भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष पर दिल्ली में बैठे भाजपा के महंतों ने दीपक प्रकाश का राज्याभिषेक कर दिया, पर आज तक प्रदेश कार्यसमिति का गठन नहीं हुआ। कमाल यह भी है कि मंच व मोर्चा के अध्यक्ष मनोनीत कर दिये गये, पर इन मंच/मोर्चाओं की कमेटियां तक नहीं बनी, ऐसे में समझा जा सकता है कि भाजपा किस प्रकार से अपने कार्यकर्ताओं का खुद मनोबल गिरा रही हैं।

देखने में आ रहा है कि जब से भाजपा का झारखण्ड में सिंहासन हिला है, तब से दिन-प्रतिदिन भाजपा की लोकप्रियता में ह्रास हो रहा है, एक-दो नेताओं को छोड़ दिया जाय, तो यहां कोई भी ऐसा नेता नहीं, जिस पर पार्टी या कार्यकर्ताओं की पकड़ हो। जो अपने आपको संगठन मंत्री कहते हैं, उन्हें संगठन से कोई लेना-देना नहीं, वे अपना फेस चमकाने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, जिसका खामियाजा भाजपा को उठाना ही पड़ेगा।

भाजपा के अंदर आई इस प्रकार की गिरावट, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के लिए च्यवनप्राश का काम कर रही हैं, यह च्यवनप्राश झामुमो के इम्यूनों को बढ़ा रही है, राजनीतिक पंडितों की मानें तो जितने वर्षों तक झामुमो का शासन झारखण्ड में रहेगा/बढ़ेगा। भाजपा उसी तरह अपनी लोकप्रियता गंवाती रहेगी। भाजपा के अंदर फिलहाल घमासान चल रहा है, लोग भले ही कुछ न बोलें, पर सच्चाई तो यह है कि कांग्रेस का कीड़ा पाल चुकी भाजपा, खुद का बहुत बड़ा नुकसान अब तक कर बैठी है।