अपनी बात

झारखण्ड में भाषाई आंदोलन चलाने से कोविड नहीं फैलता, पर रुपेश को लेकर होनेवाले विरोध मार्च से कोविड फैलता है, वाह री सरकार और वाह रे उसके प्रशासनिक अधिकारी

भोजपुरी-मगही भाषा के खिलाफ आप हजारों-लाखों की तादाद में बोकारो व धनबाद में आंदोलन कर सकते हैं, मानव शृंखला बना सकते हैं। आपके इस आंदोलन को प्रमोट भी किया जायेगा, आपके आगे प्रशासन ही नहीं, सरकार भी झूकेगी, आपकी बातों को माना जायेगा, पर सावधान हजारीबाग के रुपेश की मौत को लेकर कोई आंदोलन करेगा तो उसे छठी रात की दूध याद दिला दिया जायेगा, क्योंकि यहां हेमन्त सोरेन की सरकार है।

ये मैं नहीं कह रहा, सरकार के नुमांइदे ही ऐसी हरकतें, सरकार के इशारे पर कर रहे हैं, कि लगता है कि यहां सरकार नाम की कोई चीज नहीं, ये खुद के द्वारा बनाये गये आदेशों को अपने हिसाब से फिट और अनफिट करते रहते हैं। अब जरा देखिये न, श्रीश्री महावीर मंडल निवारणपुर की ओर से आज ही सायं चार बजे विरोध मार्च निकाला जाना था। यह मार्च रांची के तपोवन मंदिर के समीप स्थित मैदान से निकलकर राजेन्द्र चौक तक जाना था।

संगठन के अध्यक्ष सुशील कुमार दूबे का कहना था कि यह विरोध मार्च राज्य में हो रही हत्या और हमलों के विरोध व रुपेश पांडेय के हत्यारों को फांसी दिलाने की मांग को लेकर थी, पर इस विरोध मार्च को यह कहकर रांची प्रशासन ने रोक लगा दी और आयोजकों को हड़काया कि चूंकि राज्य के मुख्य सचिव का कोविड 19 को लेकर लिखित आदेश है कि राज्य में सभी रैलियों और जुलूस पर प्रतिबंध हैं, साथ ही खूले स्थान पर 200 से अधिक व्यक्तियों के जमा होने को प्रतिबंधित किया गया है, अतएव वर्जित कार्यक्रम के लिए आप एवं सम्मिलित होनेवाले व्यक्ति जिम्मेवार होंगे। अनुमंडल पदाधिकारी कार्यालय के गोपणीय शाखा द्वारा जारी पत्र आप स्वयं देखें।

रांची के अनुमंडलाधिकारी कार्यालय द्वारा जारी पत्र की छाया प्रति, जो चीख-चीख कर यहां के प्रशासनिक अधिकारियों की हरकतों को बयां कर रहा है

अब सवाल उठता है कि रांची के अनुमंडलाधिकारी को मुख्य सचिव के आदेश पत्र की जानकारी हैं, उसमें लिखे हर वाक्य को आधार बनाकर, रांची में आज निकलनेवाली विरोध मार्च को उन्होंने स्थगित करा दिया, पर कुछ दिन पहले तक बोकारो व धनबाद में जो भाषाई आंदोलन चल रहा था, जिसमें हजारों-लाखों की तादाद में लोग जूट रहे थे, मानव शृंखलाएं बनाई जा रही थी, यहां तक की इस आंदोलन के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व सांसद रवीन्द्र राय पर आंदोलनकारियों के द्वारा जानलेवा हमला हो गया, उस वक्त मुख्य सचिव के आदेश को जमीन पर उतारने का प्रयास बोकारो व धनबाद के अनुमंडलाधिकारियों ने क्यों नहीं किया? कहीं ऐसा तो नहीं कि बोकारो व धनबाद में अनुमंडलाधिकारी का पद ही नहीं हैं।

बोकारो-धनबाद में पिछले दिनों चलाये जा रहे भाषाई आंदोलन की एक झलक, जहां की भीड़ बता रही है कि वहां का दृश्य कैसा है? यहां मुख्य सचिव का आदेश प्रशासनिक अधिकारियों को याद ही नहीं आया

कमाल है भाई, कपिल मिश्रा को एयरपोर्ट से ही लौटा दिया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश को रुपेश के परिवार से मिलने ही नहीं दिया और जब रुपेश को न्याय दिलाने के लिए कोई संगठन आक्रोश मार्च निकाल रहा हैं तो उसे आप मुख्य सचिव के आदेश पत्र का हवाला देकर, उसके आंदोलन की हवा निकाल दे रहे हैं।

क्या बोकारो व धनबाद में भाषा के नाम पर आंदोलन करनेवाले पूरे बदन में सेनेटाइजर का प्रयोग कर आंदोलन में भाग ले रहे थे? क्या उनके आंदोलन से वहां कोविड 19 का खतरा नहीं था या इस राज्य में सिर्फ भाजपाइयों और उनके संगठनों के कारण ही कोविड 19 का खतरा उपस्थित हो रहा है, अगर राज्य सरकार ये सोचती है कि वो रुपेश के मामले को इस प्रकार से ठंडा कर देगी, पुनः जनता का विश्वास हासिल करेगी, तो ये ठीक मुंगेरी लाल के हंसी सपने देखने जैसे हैं, जनता की नजरों से तो आप कब के उतर चुके हैं और उतरेंगे वे भी जो गलत कार्यों को हवा दे रहे हैं, चाहे वे प्रशासन से जुड़े वरीय प्रशासनिक अधिकारी हो या कोई सत्ता का स्वाद चख रहा नेता।