अपनी बात

प्रणब मुखर्जी के संघ मुख्यालय में दिये भाषण को लेकर कांग्रेसियों का एक बहुत बड़ा वर्ग कन्फ्यूज्ड

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मुख्यालय में जाने और वहां स्वयंसेवकों को संबोधित करने के मामले में कांग्रेस का स्टैंड क्लियर नहीं दीख रहा। कुछ कांग्रेसी नेता प्रणब मुखर्जी के भाषण की प्रशंसा करते हुए यह कह रहे हैं, कि प्रणब मुखर्जी ने संघ को सच का आईना दिखा दिया, वहीं कई कांग्रेसी नेता अभी भी प्रणब मुखर्जी पर सवालों के गोले दागे जा रहे हैं, जिससे आम जनता भी कन्फ्यूज्ड है कि आखिर कांग्रेसी नेता जनता को बताना क्या चाह रहे हैं?

इधर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की संघ मुख्यालय यात्रा समाप्त हो चुकी है, पर हमें लगता है कि इस पर विवाद अभी कुछ दिन तक चलेगा, कांग्रेस जितना इस विवाद को लम्बा खीचेंगी, भाजपा और संघ के लोग उतना ही इसे अपने पक्ष में प्रचारित प्रसारित करेंगे, ऐसे भी संघ ने पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को नागपुर बुलाकर कांग्रेस को ही कटघरे में खड़ा कर दिया, क्योंकि प्रणब मुखर्जी का जीवन पिछले पांच दशकों तक कांग्रेस को ही समर्पित रहा है, जिसकी झलक कल संघ मुख्यालय के भाषण में भी दिखी, प्रणब मुखर्जी का भाषण पूरी तरह से कांग्रेस के नेताओं के भाषण जैसा ही था।

संघ ने जिस प्रकार पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को निमंत्रण दिया और जिस प्रकार से प्रणब मुखर्जी ने निमंत्रण स्वीकारा, उसी दिन यह तय हो गया था कि प्रणब मुखर्जी के नागपुर यात्रा पर बवाल होना तय हैं, पर जिस प्रकार से इस बवंडर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने अपने भाषण से विराम लगाया, उसकी सभी को प्रशंसा करनी ही होगी, ये अलग बात है कि कांग्रेस के नेता इसका फायदा कम और नुकसान उठाने पर ज्यादा जोर लगा रहे हैं।

संघ को सिर्फ यहीं फायदा हुआ कि नागपुर आकर, प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. केशव बलिराम हेडगेवार को भारत माता का सच्चा सपूत कह दिया और संघ के कार्यक्रम में आकर उन्होंने इतना जरुर सब को बता दिया कि संघ अछूत नहीं है, संघ भी उन्हीं तमाम संगठनों जैसा है, जो देश को शिखर पर ले जाने के लिए प्रयास कर रहे हैं, साथ ही संघ को एक अच्छी सीख भी दी, जिसका लोग अपने-अपने ढंग से आकलन कर रहे हैं, पर कांग्रेस के नेता आज भी कन्फ्यूज्ड है।

जरा देखिये एक ओर कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते है कि प्रणब मुखर्जी ने संघ को सच का आइना दिखाया और नरेन्द्र मोदी को राजधर्म की याद दिलाई, उन्होंने यहां तक कह दिया कि क्या संघ प्रणब मुखर्जी की बातों पर अमल करने को तैयार है, पर दूसरी ओर कांग्रेस नेता आनन्द शर्मा ने टवीट किया की पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस नेता प्रणब मुखर्जी को आरएसएस मुख्यालय में तस्वीरों से कांग्रेस के लाखों कार्यकर्ता और भारतीय गणराज्य के बहुलवाद, विविधता एवं बुनियादी मूल्यों में विश्वास करनेवाले लोग दुखी हैं। अहमद पटेल ने कहा कि मैंने प्रणब दा से यह उम्मीद नहीं की थी। मणीष तिवारी तो प्रणब मुखर्जी पर सवालों की बौछार कर पूछ रहे है कि कल तक संघ को सवालों के कटघरे में खड़े करनेवाले लोग अब संघ के कार्यक्रमों में भाग ले रहे हैं।

जो कांग्रेस के नेता सवाल उठा रहे हैं, उन्हें पता नहीं कि कल के कांग्रेस और आज के कांग्रेस में आकाश जमीन का अंतर है, जिस बंगाल में कांग्रेस कभी एक नंबर पार्टी हुआ करती थी,  जो बाद में दो नंबर में पहुंची, आज के डेट में वह किस नंबर पर हैं, उसे पता ही नहीं। जो वामपंथी पार्टियां आज से दस साल पहले सत्ता में रहा करती थी, आज स्वयं तीसरे स्थान पर पहुंच गई, जबकि भाजपा दूसरे नंबर पर और सत्ता की प्रबल दावेदार हो चली है, इसलिए वर्तमान में कांग्रेस के सहारे शिखर पर चढ़ना चाहेगा?

प्रणब मुखर्जी समय और राजनीति को खुब समझते हैं, वे जानते है कि देश की क्या स्थिति है? और जहां से वे आते हैं, वहां कौन सी पार्टी किस स्थिति में हैं? इसलिए अभी जो फिलहाल प्रणब मुखर्जी पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें नहीं पता कि वे आज भी प्रणब मुखर्जी राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी हैं, और उन्हें सभी को जवाब देना आता है, जैसा कि जवाब उन्होंने कल संघ मुख्यालय में दिया। प्रणब मुखर्जी के भाषण से हमें नहीं लगता कि संघ के लोग भी खुश होंगे, पर जिस प्रकार से कांग्रेसी नेता नाराज दीख रहे हैं, हमें लगता है कि यहीं संघ के लोगों के लिए खुशी का बहुत बड़ा कारण बनेगा।