1000 दिनों में झारखण्ड के CM रघुवर दास ने जनता को उल्लू बनाया, सच्चाई आपके सामने हैं…

पूरे राज्य में मुख्यमंत्री रघुवर दास का बैनर-होर्डिंग्स लगा है। यहीं नहीं राज्य के बाहर भी कई स्थानों पर मुख्यमंत्री का चेहरा बैनर-होर्डिंग्स पर लगा दीख रहा है। वे ताल ठोक रहे हैं, कह रहे हैं कि झारखण्ड का एक ही आस – रघुवर दास, जबकि सच्चाई यह है कि ये जब से राज्य का मुख्यमंत्री पद संभाले हैं, इन्होंने राज्य का बेड़ा गर्क कर दिया है। राज्य की जनता इतनी आक्रोशित है कि वह अपना आक्रोश उनके सोशल साइट्स पर बने प्रोफाइल पर अभिव्यक्त कर रही हैं।

कोई उन्हें एक पल भी मुख्यमंत्री के पद पर देखना पसंद नहीं करता। स्वयं संघ के कई स्वयंसेवक उन्हें फूटी आंखों देखना पसंद नहीं करते, पर सीएम का खूंटा टस से मस नहीं हो रहा। कनफूंकवें मस्त है। धूर्त अधिकारियों का दल भी मस्त है। वह चाहता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास मुख्यमंत्री के रुप में विराजमान रहे, ताकि उन्हें अपनी पत्नी के साथ सिंगापुर, लंदन और अमेरिका की मुफ्त यात्रा करने का मौका बराबर मिलता रहे।

इधर मुख्यमंत्री 1000 दिन पूरा करने का ढिंढोरा पीट रहे हैं। स्थायित्व की बात कर रहे हैं, जबकि सच्चाई यह है कि इन्होंने झारखण्ड विकास मोर्चा के लालची विधायकों को लालच देकर भाजपा में मिलाया। झाविमो को नुकसान पहुंचाया, तब जाकर इन्हें स्थायित्व का स्वाद मिला है, पर ये इसे बताते नहीं। स्थायित्व की अगर बात करें तो जो झारखण्ड की राजनीति का थोड़ा भी ज्ञान रखते है, उन्हें मालूम है कि यहां जो स्थायित्व है, वह केन्द्र की बदौलत है, आज केन्द्र में दूसरी पार्टी की सरकार आ जाये तो रघुवर दास की सारी हेकड़ी निकल जाये। यहां तो सिर्फ अभी एक लोकोक्ति काम कर रही है, वह लोकोक्ति है – अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान अर्थात् केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की सरकार है, तो रघुवर दास जितना उछलना हो, उछल ले, पर आनेवाले समय में जब भी लोकसभा या विधानसभा के चुनाव होंगे तो उसका क्या असर होगा, ये रघुवर दास और उनके कनफूंकवों को अच्छी तरह मालूम है।

ऐसे तो राज्य सरकार खुब ताल ठोंक रही है, कि हमने यह किया, हमने वह किया, पर मैंने क्या देखा, इस सरकार में। वह आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं, शायद आपको पता चले कि इस सरकार ने झारखण्ड की जनता की आंखों में कैसे धूल झोंका हैं और अभी भी धूल झोंकने का काम कर रही हैं, वह भी बेशर्मों की तरह –

  1. मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 100 गांवों को आदर्श ग्राम बनाना था – नहीं बना।
  2. खेल विश्वविद्यालय बनाने की बात कहीं थी – नहीं बना।
  3. तकनीकी विश्वविद्यालय बनाने की बात कहीं थी – नहीं बना।
  4. कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी कौंसिल के गठन की बात – कोई काम नहीं हो सका।
  5. राज्य के सभी विश्वविद्यालय और कॉलेजों में दो पालियों में पढ़ाई की बात – नहीं हो सका।
  6. मोबाइल गवर्नैंस की बात – पूरा काम अधर में।
  7. पूरे राज्य में ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज कराने की बात – कहीं भी ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज नहीं होती।
  8. 6 नये रेल प्रोजेक्टों पर कार्य प्रारंभ करने की बात, दो साल में पूरे प्रोजेक्ट बनकर तैयार हो जाने की बात की – तीन साल बीतने को आये, काम नहीं हो सका।
  9. झारखण्ड के आंदोलनकारियों को सम्मान – नहीं मिला।
  10. झारखण्ड में बेहतर बिजली प्रबंधन की बात – स्वयं राजधानी के लोग बिजली नहीं मिलने से त्रस्त है, गांवों की तो बात छोड़ दीजिये।
  11. अटल ग्रामीण ज्योति योजना के अतंर्गत 50 गांवों में एपीएल परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्शन – नहीं हो सका।
  12. हजारीबाग के बरही में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की नींव पड़ गई – पर काम शुरु नहीं।
  13. राज्य में गोहत्या पर रोक की घोषणा – गोहत्या आज भी बड़े पैमाने पर जारी।
  14. बीपीएल परिवारों को चिकित्सा सहायता अनुदान की घोषणा – आज तक जारी नहीं।
  15. ई-विद्यावाहिनी योजना का प्रारंभ – ई-विद्यावाहिनी योजना कहीं दिखाई नहीं पड़ती।
  16. कुख्यात उग्रवादियों को मिला सम्मान – राज्य सरकार ने कुख्यात उग्रवादी कुंदन पाहन को दिया सम्मान, जिसने कई पुलिसकर्मियों को मौत के घाट उतार दिये थे।
  17. दारु बेचो योजना प्रारंभ – राज्य सरकार ने राज्य में दारु बेचने का काम, स्वयं अपने हाथों में लिया, जहरीली शराब पीने से राजधानी रांची में 18 की मौत।
  18.  विश्वविद्यालय में पढ़ाई ठप – राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में सेशन लेट, वाह री सरकार।
  19. झारखण्ड लोक सेवा आयोग पर उठे सवाल – झारखण्ड लोक सेवा आयोग एवं कर्मचारी चयन आयोग पर दाग ही दाग, उसके द्वारा निकाले गये प्रतियोगी परीक्षाओं पर उठे सवाल।
  20. पथ निर्माण विभाग में घोटाला – राज्य के विभिन्न ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में एक तरफ सड़क बन रही तो दूसरी ओर सड़क उखड़ रही,  कोई देखनेवाला नहीं, कोई बोलनेवाला नहीं। अभियंताओं, ठेकेदारों और नेताओं की मिलीभगत से पूरे राज्य की सड़कों का हाल खस्ता।
  21. तेजस्विनी योजना – टायं टायं फिस्स।
  22. सीएनटी-एसपीटी में संशोधन – टायं टायं फिस्स।
  23. जन-वन योजना – टायं टायं फिस्स।
  24. कृषि सिंगल विंडो सिस्टम – टायं टायं फिस्स।
  25. मोमेंटम झारखण्ड – टायं टायं फिस्स।
  26. सभी स्कूलों में बिजली की सुविधा पर कार्य – टायं टायं फिस्स।
  27. कमल कल्ब का गठन – टायं टायं फिस्स।
  28. बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए फल एवं अंडे देने की बात – टायं टायं फिस्स।
  29. राज्य के सभी स्कूलों में बेंच-डेस्क देने की बात – टायं टायं फिस्स।
  30. राज्य की विधवाओं को बाबा साहेब अम्बेडकर आवास देने की बात – टायं टायं फिस्स।
  31. रांची झील का सौंदर्यीकरण – टायं टायं फिस्स।
  32. हरमू नदी का सौंदर्यीकरण – टायं टायं फिस्स।
  33. पारसनाथ पहाड़ी के सौंदर्यीकरण की बात – टायं टायं फिस्स।
  34. रांची को मेडिकल हब बनाने की बात – टायं टायं फिस्स।
  35. रांची में मोनो रेल चलाने की बात – टायं टायं फिस्स।
  36. रांची में पांच जगहों पर ओवरब्रिज बनाने की बात – टांय टांय फिस्स।
  37. डायन प्रताड़ना पर रोक लगाने के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट की स्थापना करने की बात – टायं टायं फिस्स।
  38. पहाड़ी मंदिर पर विश्व का सबसे लंबा एवं बड़ा तिरंगा लहराने की बात – टायं टायं फिस्स।
  39. उदयोग लगाने के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की शुरुआत – टायं टायं फिस्स।
  40. मोबाइल किचन – टायं टायं फिस्स।
  41. ज्योति मिशन – टायं टायं फिस्स।
  42. योजना बनाओ अभियान – टायं टायं फिस्स।
  43. जल संचयन के लिए डोभा निर्माण – टायं टायं फिस्स।
  44. कौशल विकास के नाम पर 42 कंपनियों को राज्य में बुलाने की बात – टायं टायं फिस्स।
  45. स्टार्ट अप नीति की घोषणा – टायं टायं फिस्स।
  46. साहेबगंज में बंदरगाह बनाने की बात – टायं टायं फिस्स।
  47. कैशलेश झारखण्ड बनाने की योजना – टायं टायं फिस्स।
  48. ऑनलाइन कृषि बाजार योजना – टायं टायं फिस्स।
  49. मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र – जनता को उल्लू बनाने का सबसे बड़ा केन्द्र जो मुख्यमंत्री ने स्वयं चला रखा है, और इसके माध्यम से पूरे राज्य की जनता को उल्लू बनाया जा रहा है।
  50. राज्य में विधि व्यवस्था पूरी तरह ठप – पूरे राज्य में बलात्कारियों एवं अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ हैं। हाल ही में दुमका में एक आदिवासी युवती का सामूहिक दुष्कर्म,  पिछले दिनों रांची के बुटी मोड़ में एक युवती के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी नृशंस हत्या कर दी गई, पर पुलिस आज तक उन अपराधियों तक नहीं पहुंच सकी।
  51. अस्पतालों में एंबुलेंस और दवा उपलब्ध नहीं – गुमला में एक बच्चा इसलिए दम तोड़ दिया कि उसे एक रुपये की दवा तक नहीं मिल सकी, और हद तो तब हो गई कि उस छोटे से बच्चे के शव को श्मशान तक ले जाने के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं हो पाई, उस बच्चे के शव को उसके पिता ने अपने कंधे पर लेकर ढोया। इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती है।
  52. राज्य में भीड़ तंत्र का शासन – किसी को भी कोई भी इल्जाम लगा दीजिये और भीड़ से कहकर उसकी ठुकाई कर दीजिये, वह भी तब तक, जब तक ठुकनेवाला आदमी दम न तोड़ दे। इस भीड़ तंत्र के हमले से अब तक दर्जनों लोगों की मौत रांची, जमशेदपुर, सरायकेला-खरसावां में हो गई।
  53. कौशल विकास के नाम पर लूट – मंत्री और अधिकारियों का दल सिंगापुर जाकर मस्ती की और राज्य की जनता के पैसों का दुरुपयोग किया।
  54. किसानों द्वारा आत्महत्या करना – राज्य के कई किसानों ने आत्महत्या कर डाली और राज्य सरकार गलथेथरई करती रही।
  55. हाथी उड़ाया – बाहर की अयोग्य कंपनियों को बुलाकर हाथी उड़वा दिया, मोमेंटम झारखण्ड के दौरान ऐसा विज्ञापन निकाला कि इन्हीं का एक मंत्री अमर बाउरी को पुलिंग से स्त्रीलिंग और झारखण्ड के मानचित्र को बंगाल की खाड़ी तक पहुंचा दिया, यहीं नहीं राष्ट्रपति और राज्यपाल का नाम गलत लिखा वो अलग।
  56. जातिवाद को प्रश्रय –  जातिवाद का बीज बोने और स्वजाति सम्मेलन में भाग लेने के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बिहार, महाराष्ट्र और छतीसगढ़ का दौड़ लगाया। वह भी पं. दीनदयाल उपाध्याय की जन्मशताब्दी वर्ष में और बात कर रहे हैं सामाजिक समरसता का, सामाजिक सद्भाव का।
  57. पूरा सिस्टम फेल –  पूरे राज्य में सिस्टम फेल हो गया, न जाति प्रमाण पत्र बन रहे हैं, न स्थानीय प्रमाण पत्र। अब जनाब को स्वयं इन प्रमाण पत्रों को बनवाने के लिए सरकार आपके द्वार कार्यक्रम चलाना पड़ रहा है। जिस दिन जनाब, जिस इलाके में दिखाई पड़ते है, उस इलाके में एक – दो का प्रमाण पत्र बन जाता है और फिर इनके जाते ही, उस इलाके की हालत पुर्नमुषिको भव वाली हो जा रही हैं।
  58. श्रीरामचरितमानस की चौपाई से खेल – कभी मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा था रघुकुल रीति सदा चलि आई, आज सीएनटी-एसपीटी मुद्दे पर इस श्रीरामचरितमानस चौपाई की गरिमा को भी राज्य के मुख्यमंत्री ने प्रभावित कर दिया।
  59. बच्चों की मौत – एमजीएम जमशेदपुर में चार माह में 164, रिम्स रांची में 29 दिन में 140 बच्चे मर गये, पर सरकार को कोई मतलब नहीं, क्योंकि इन मरे हुए बच्चों में कोई नेता या कोई आईएएस या आईपीएस का बच्चा नहीं था, क्योंकि गरीबों के बच्चे तो मरने के लिए ही पैदा होते हैं।
  60. सड़क पर बच्चों का जन्म – स्वास्थ्य सेवा का यह हाल है कि यहां महिलाएं सड़क पर ही बच्चों को जन्म दे, दे रही हैं, पर बेशर्म रघुवर सरकार को शर्म नहीं आती और न शर्म आती है, इनके मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी को।
  61. मंत्रियों को लोकाचार तक नहीं मालूम – इसी राज्य की मानव संसाधन मंत्री नीरा यादव ने पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को दिवगंत होने के पूर्व ही, उनके चित्र पर माल्यार्पण कर दिवंगत बना दिया था, यानी जिन्हें लोकाचार पता नहीं, वे राज्य की मानव संसाधन मंत्री बनी हुई हैं।
  62. बिच्छू का मंत्र आता नहीं और चले सांप के बिल में हाथ घुसाने – राज्य सरकार को नाली बनाने नहीं आता और स्मार्ट सिटी बनाने की बात कर रहे हैं। पूछिये इस मुख्यमंत्री से कि जब वे स्वयं बाबू लाल मरांडी मंत्रिमंडल में श्रम मंत्री थे, तब उसी समय ग्रेटर रांची के लिए सुकरहुट्टु में केन्द्रीय गृह मंत्री लाल कृष्ण आडवाणी ने शिलान्यास किया था, वह शिलाखण्ड कहां है।
  63. सीएम को बात करने की तमीज नहीं – पूरे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में इस बात को लेकर चर्चा है कि इस राज्य के मुख्यमंत्री को बात करने की तमीज ही नहीं, वह दुख से पीड़ित एक पुत्री के पिता को सरेआम बेईज्जत करता है।
  64. गांधी को भी नहीं छोड़ा – अपनी घटियास्तर की मनोवृत्ति को, दूसरे धर्म के लोगों को चिढ़ाने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी नहीं छोड़ा, महात्मा गांधी को केन्द्र में रखकर धर्मांतरण पर विज्ञापन बना डाला, जिसकी सर्वत्र आलोचना हुई।
  65. मंत्रियों की गुंडागर्दी – रघुवर मंत्रिमंडल में शामिल मंत्रियों का दल गुंडागर्दी करने से बाज नहीं आता। हाल ही में एक अखबार के जन्मोत्सव पर रघुवर सरकार द्वारा प्रायोजित कार्यक्रम में कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज को सबके सामने बेईज्जत किया और ज्यां द्रेज को अपनी बात रखने नहीं दी।
  66. मुद्रा योजना के नाम पर चीन को फायदा पहुंचाया – मुद्रा योजना बनी थी, राज्य की जनता को आर्थिक सशक्तिकरण के लिए, पर इस सरकार में शामिल मंत्रियों और अधिकारियों के दल ने चीन में बनी सामानों को राज्य की जनता तक पहुंचाया, जिससे राज्य की जनता को दोहरी मार सहनी पड़ी और चीन आर्थिक रुप से और सशक्त हो गया।
  67. इवेंट-टेंट कमीशन योजना प्रारंभ – राज्य की जनता के आगे अपना चेहरा चमकाने के लिए इवेंट-टेंट का कार्यक्रम खुब चलाया जा रहा है, जिससे इवेंट टेंट कारोबार में लगे भाजपा के बड़े-बड़े व्यापारियों का समूह तथा अधिकारियों का समूह जमकर मलाई काट रहा है।
  68. कनफूंकवों का शासन – मूर्खों एवं आला दर्जे के बेवकूफों का समूह सदैव मुख्यमंत्री को घेरे रहता है और यह समूह बार-बार मुख्यमंत्री की झूठी स्तुति गाता रहता है, इससे सीएम बहुत प्रसन्न रहते हैं और इन आला दर्जे के बेवकूफों और कनफूंकवों की मदद से राज्य को दिशा-निर्देश दे रहे है, जिससे राज्य रसातल में जा रहा हैं।
  69. किसी को नसीहत तो किसी को लूट की छूट – भाजपा कार्यकर्ताओं को नसीहत और कनफूंकवों को कमीशन का लाभ – भाजपा कार्यकर्ताओं को राज्य की जनता की सेवा करने का नसीहत दिया जा रहा है, वहीं कनफूंकवों को राज्य को लूटने की खुली छुट हैं।
  70. भारतीय निर्वाचन आयोग की बातों को नहीं दिया प्रश्रय – भारतीय निर्वाचन आयोग ने मुख्यमंत्री के प्रेस सलाहकार अजय कुमार पर कार्रवाई करने की बात कहीं, पर राज्य का मुख्यमंत्री रघुवर दास आज भी अपने साथ उसे चिपकाये हुए है, इससे स्पष्ट है कि राज्य में संवैधानिक दर्जा प्राप्त भारतीय निर्वाचन आयोग की बातों को यहां का मुख्यमंत्री और यहां के अधिकारी हवा में उड़ा देते है।
  71. ईसाइयों ने पीएमओ से की शिकायत – ईसाइयों के सबसे बड़े संगठन कैथोलिक बिशप्स कौंसिल ऑफ इंडिया ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सीएम रघुवर दास की शिकायत कर दी हैं। इनका कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री पूरे राज्य में नफरत का बीज बो रहे हैं, इससे हिंसा फैलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

One thought on “1000 दिनों में झारखण्ड के CM रघुवर दास ने जनता को उल्लू बनाया, सच्चाई आपके सामने हैं…

  • September 16, 2017 at 7:07 am
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    दुःखद स्थिति है,राज्य की ये 72 बिंदु,न पत्रकारों को लेना देना है न बिपक्ष को..

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