धर्म

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ओम् तकनीक व ध्यान की गहराइयों के द्वारा कोई भी व्यक्ति चाहे उसका कर्मफल कितना भी बुरा क्यों न हो, वो ‘डाकू रत्नाकर’ से ‘महर्षि वाल्मीकि’  बन ही सकता हैः स्वामी अमरानन्द गिरि

कर्मफल के सिद्धांत से कोई बच ही नहीं सकता। कितना भी कोई तेज बनने की कोशिश करें। कर्मफल उसे अपने

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याद रखिये ध्यान ही एकमात्र ऐसी कुंजी व दिव्यशक्ति है, जिसकी सहायता से आप आध्यात्मिकता की सर्वोच्च शिखर पर पहुंच, अपने जीवन को धन्य कर सकते हैंः स्वामी पवित्रानन्द

याद रखिये, ध्यान ही एकमात्र ऐसा कुंजी है, ऐसी दिव्य शक्ति है, जिसकी सहायता से आप आध्यात्मिकता की सर्वोच्च शिखर

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जब भी आप चैंटिंग करते हैं, ओम् चैंटिंग करते हैं तो जान लीजिये कि आप अपने शरीर के अंदर रहनेवाले विभिन्न चक्रों को एक्टिवेट कर रहे होते हैंः स्वामी अमरानन्द गिरि

जब भी आप चैंटिंग करते हैं। ओम् चैटिंग करते हैं तो जान लीजिये कि आप अपने शरीर के अंदर रहनेवाले

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जैसे लोहे के टेढ़े-मेढ़े कीलों को भी चुम्बक अपनी ओर आकर्षित कर लेता है, ठीक उसी प्रकार सद्गुरु और ईश्वर भी अपने परमभक्तों को स्वयं में समेट लेता हैं, इसे भूले नहीः प्रह्लादानन्द

हमेशा याद रखें कि जैसे जमीन पर पड़े टेढ़े-मेढ़े लोहे के कीलों को भी चुम्बक अपनी ओर आकर्षित कर लेता

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स्वामी युक्तेश्वर गिरि आविर्भाव दिवस पर विशेषः जिन्होंने परमहंस योगानन्द जी पर सर्वस्व लूटा दिया और धन्य योगानन्द जी जिन्होंने गुरु को दिये वचन को जमीं पर उतार दिया

मैं जब भी रांची में रहता हूं। रविवार के दिन योगदा सत्संग मठ में होनेवाले रविवारीय सत्संग को छोड़ना नहीं

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सनातनियों का संघर्ष रंग लाया, रांची जंक्शन के पास ‘बगलाशिव संकटमोचन महावीर मंदिर’ बनकर तैयार, भक्तों का लगा तांता, लगे मां बगलामुखी, भोलेनाथ व वीर बजरंगी के जयकारे

रांची जं. के समीप एक भव्य मंदिर अब पूरी तरह से भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया है।

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बिना एकान्त के हम ईश्वर की अनुभूतियों को नहीं महसूस कर सकते, इसलिए जीवन में प्रतिदिन एकान्त के क्षण को लाने की आवश्यकता हैः स्वामी गोकुलानन्द

एकान्त वो मूल्य है, जिसे हम स्वयं को प्रदान कर ईश्वर की अनुभूतियों को महसूस करते हैं। इसके द्वारा हम

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असली जीवन का आनन्द वहीं लेता है, जिसका जीवन आध्यात्मिकता से प्रेरित है, जो ध्यान को अपने जीवन में प्रमुख स्थान देता है, जिसने अपने जीवन को आंतरिक आनन्द में डूबो दिया है – स्वामी श्रद्धानन्द

योगदा सत्संग मठ में चल रहे चार दिवसीय साधना संगम के समापन अवसर पर योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए

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योगदा सत्संग सोसाइटी मना रहा अपना वर्षगांठ, आज बड़ी संख्या में योगदा सत्संग मठ में जुटे योगदा भक्त, ध्यान-भजन व पुष्पांजलि के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति ज्ञापित की कृतज्ञता

आज योगदा भक्तों के लिए कोई सामान्य दिन नहीं, बल्कि असाधारण व अविस्मरणीय दिवस है। आज ही के दिन परमहंस

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चार दिवसीय साधना संगम का समापनः अगर हम ईश्वर को पाने के लिए आधे-अधूरे मन से प्रयास करेंगे तो वे भी आधे-अधूरे मन से ही हमें प्राप्त होंगेः स्वामी आद्यानन्द

अगर हम ईश्वर को पाने के लिए आधे-अधूरे मन से प्रयास करेंगे, तो ईश्वर भी आधे-अधूरे मन से ही हमें

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