परमहंस योगानन्दजी के शब्दों में “जो व्यक्ति खुद ही खुश नहीं है और खुद से लड़ रहा है, वो भला दूसरों या खुद को कैसे खुश रख सकता है?” – स्वामी ललितानन्द
परमहंस योगानन्द जी कहा करते थे कि दूसरों के साथ मिलजुलकर रहना एक कला है, जो भी व्यक्ति दूसरों के
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