धर्म

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परमहंस योगानन्दजी के शब्दों में “जो व्यक्ति खुद ही खुश नहीं है और खुद से लड़ रहा है, वो भला दूसरों या खुद को कैसे खुश रख सकता है?” – स्वामी ललितानन्द

परमहंस योगानन्द जी कहा करते थे कि दूसरों के साथ मिलजुलकर रहना एक कला है, जो भी व्यक्ति दूसरों के

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मानव जाति को ईश्वर द्वारा दिया गया आशीर्वाद हैं क्रिया योग, इसके द्वारा कोई भी व्यक्ति ईश्वर के साथ एकाकार हो सकता हैः स्वामी चैतन्यानन्द

11वें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर रांची के योगदा सत्संग आश्रम के श्रवणालय में योग को लेकर आयोजित विशेष

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जो व्यक्ति जीवन के अंतकाल में ईश्वर को स्मरण करते हुए देह त्यागता है, वो उनके ही स्वरूप को प्राप्त होता हैः स्वामी प्रज्ञानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम के श्रवणालय में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी प्रज्ञानन्द ने योगदा भक्तों

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भोजन करने, कोई विशेष कार्य करने तथा ईश्वर के प्रति भक्ति-प्रेम निवेदित करने के समय आप जितना मौन व शांत रहेंगे, उतना ही आनन्द में रहेंगेः स्वामी निर्मलानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम के श्रवणालय में आयोजित रविवारीय सत्संग के दौरान योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए स्वामी

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अगर आपका व्यवहार आध्यात्मिकता से युक्त है, तो आप अकेले रहे या परिवार के साथ, आपका संबंध सर्वश्रेष्ठ संबंध ही कहलायेगाः स्वामी श्रेयानन्द

अगर आपका व्यवहार आध्यात्मिकता से ओत-प्रोत है, तो आप अकेले रहे या आप अपने परिवार या मित्रों के साथ रहे,

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योगदा आश्रम रांची में मना ज्ञानावतार स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी की 170वीं जयंती का स्मरणोत्सव

10 मई को योगदा आश्रम, रांची में हर्षोल्लास से भरे माहौल में स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी के आविर्भाव का स्मरणोत्सव मनाया गया।

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ज्ञानावतार श्रीयुक्तेश्वरजी के 170वें आविर्भाव दिवस पर विशेषः “भविष्य में सब कुछ सुधर जायेगा यदि तुम अभी से आध्यात्मिक प्रयास शुरू कर दो” — स्वामी श्रीयुक्तेश्वरजी

भविष्य में सब कुछ सुधर जायेगा यदि तुम अभी से आध्यात्मिक प्रयास शुरू कर दो। इस प्रकार के अविस्मरणीय शब्दों/वाक्यों

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धनबाद के कोयलानगर में रामकृष्ण विवेकानंद स्वाध्याय सेवा ट्रस्ट द्वारा योगोत्सव का आयोजन

रामकृष्ण विवेकानंद स्वाध्याय सेवा ट्रस्ट, धनबाद द्वारा रामकृष्ण मिशन आश्रम, रांची के निर्देशानुसार मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, आयुष मंत्रालय

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अपने दैनिक जीवन की पूर्ति के लिए श्रम करता एक मजदूर, वो उस योगी से कही ज्यादा बेहतर है, जो अध्यात्म का दंभ रखकर कर्म से भागने की कोशिश करता हैः स्वामी गोकुलानन्द

आध्यात्मिकता की सर्वोच्च शिखर को प्राप्त करने की कोशिश नहीं करना, ये सोचना की हम कुछ भी कर लें, उस

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