धर्म

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माया को प्रभावहीन बनाने की एकमात्र मारक औषधि योग है, हं-सः व ओम् तकनीक के रास्ते योग को अपनाकर ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है – स्मरणानन्द गिरि

हं-सः एवं ओम् तकनीक के द्वारा ही सकारात्मक व अच्छी सोच हमारे शरीर के अंदर छुपे मन और आत्मा को

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ईश्वरानन्द गिरि ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को ध्यान में रखते हुए योग में रुचि रखनेवाले लोगों के बीच से श्वास प्रविधियों, मानस-दर्शन व प्रतिज्ञापन के रहस्यों से उठाया पर्दा

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को देखते हुए रांची के योगदा सत्संग मठ में योगदा सत्संग सोसाइटी ऑफ इंडिया की ओर से

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बिना लक्ष्य निर्धारित किये, जीवन जीना व्यर्थ है, लक्ष्य ईश्वर को पाना हो तो इससे ज्यादा सुंदर दूसरा कोई लक्ष्य हो ही नहीं सकता – ब्रह्मचारी निर्मलानन्द

याद रखिये, जीवन में बिना लक्ष्य निर्धारित किये, जीवन जीना व्यर्थ है। हमें हमेशा अपना एक लक्ष्य निर्धारित कर लेना

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परमहंस योगानन्दजी के गुरु स्वामी युक्तेश्वर गिरि दया में फूलों से भी कोमल और सिद्धांतों में वज्र से भी कठोर थे – स्वामी सदानन्द

ज्ञानावतार स्वामी युक्तेश्वर गिरि जी जहां दया की आवश्यकता होती थी, वहां वे फूलों से भी कोमल हो जाया करते

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स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरि के 168 वें आविर्भाव दिवस पर विशेष –  जीवन कोई पहेली नहीं अपितु आत्मा की निरंतर यात्रा

“सत्य का मूल तत्त्व, सर्वव्यापक भौतिक स्वरूप में विद्यमान होते हुए भी, उनसे आत्मा के सौरभ की तरह निसृत होता

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निरन्तर ध्यान, सत्कर्म, आलोचना से बचने की कला, योगदा सत्संग सोसाइटी की पुस्तकों का अभ्यास आध्यात्मिक जीवन में बेहतरीन भूमिका निभाती है – श्रेयानन्द

निरन्तर ध्यान, सत्कर्म, अच्छा स्वास्थ्य, किसी की आलोचना नहीं करना और योगदा सत्संग सोसाइटी से जुड़ी पुस्तकों का निरन्तर अध्ययन

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परमहंस योगानन्द जी को मत भूलिये, हमेशा उनका स्मरण करिये, क्योंकि बिना गुरु के आप माया पर विजय नहीं प्राप्त कर सकतेः स्वामी अमरानन्द

आपके पास समय कम है। इसलिए सिर्फ ध्यान करिये। क्रिया योग में मन लगाइये। हं-सः व ओम तकनीक के माध्यम

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दैनिक भास्कर के चक्कर में रहियेगा तो महापर्व छठ का बंटाधार सुनिश्चित है, जैसे उसने आज के दिन का सत्यानाश कर दिया

जिन-जिन छठव्रतियों अथवा छठव्रतियों के परिवार के लोगों ने दैनिक भास्कर पढ़कर आज अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया

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जब भी आपके साथ कुछ बढ़िया हो, आप आनन्द में हो, आप बिना देर किये ईश्वर को इसके लिए धन्यवाद ज्ञापित करें – स्वामी शुद्धानन्द

जब भी आपके साथ कुछ बढ़िया होता है, आप आनन्द महसूस करते हैं, आप बिना देर किये ईश्वर को इसके

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सिर्फ और सिर्फ ईश्वर को पाना और उनसे प्रेम करना ही जीवन का प्रमुख उद्देश्य होना चाहिए – ब्रह्मचारी निर्मलानन्द

रांची स्थित योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी निर्मलानन्द ने सभी योगदा सत्संगियों को

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