हेमन्त का तीन तेरह करने में लगे BJP के रघुवर ने झूठ की सारी सीमाएं लांघी, BJP को सलाह रघुवर से करे तौबा, नहीं तो पार्टी कही की नहीं रहेगी

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आज रघुवर दास ने प्रेस कांफ्रेस रखी थी। जिसमें भेड़िया-धसान पत्रकारों की भीड़ भी जमा थी। जो उनके 37 मिनटों के प्रवचन सुनने के बाद, उन प्रवचनों को और प्रगाढ़ बनाने के लिए झक-झूमर गाने जैसी सवाल दाग रही थी। रघुवर भी इस झक-झूमर वाले सवालों को सुनकर गद-गद थे और जवाब दिये जा रहे थे।

अपने 37 मिनट के प्रवचन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झूठ का पुलिंदा खोलकर रख दिया और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर झूठे प्रश्नों की बारिश कर, स्वयं को महान योद्धा, महान वक्ता, महान राजनीतिज्ञ एवं अहं ब्रह्मअस्मि का मंत्र सभी पत्रकारों के कानों में फूंकने की कोशिश कर दी, तभी तो किसी पत्रकार ने उनके प्रवचनों से जुड़े झूठ की पोल खोलने की कोशिश ही नहीं की।

जैसे झूठ नंबर एक… रघुवर ने कहा कि वे अपने शासनकाल में अपनी आलोचनाओं को भी सुनते थे, पर किसी अखबार का विज्ञापन बंद नहीं किया करते थे, जबकि सच्चाई यह है कि इन्हीं के शासनकाल में जब दैनिक भास्कर के संपादक अमर कांत थे, तब उनके अखबार का तीन बार विज्ञापन रोक दिया गया, अमर कांत बताते है कि वे दावे के साथ कह सकते है कि कुल मिलाकर चार बार दैनिक भास्कर, और जब बाद में वे खबर मंत्र में आये तो उसमें भी एक बार विज्ञापन रोकी गई।

कई अखबारों के संपादक तो नाम नहीं छापने की शर्त पर बताते है कि उनके अखबारों को भी विज्ञापन देने से रोक दिया गया था। जहां तक एक अखबार का तो मैं भी उदाहरण हूं कि जब उक्त अखबार ने मेरा एक आलेख छाप दिया, तो उसे इसलिए विज्ञापन देने पर रोक लगा दिया गया कि उसने कृष्ण बिहारी मिश्र का आलेख क्यों छापा? ऐसी घटिया सोच रखनेवाले हेमन्त पर अंगूलियां उठा रहे थे, है न घोर आश्चर्य? अब सवाल उठता है कि रघुवर दास को अपनी गलती नहीं दिखती, लेकिन हेमन्त सोरेन की गलती बड़ी जल्दी दीख जा रही है, क्यों भाई ऐसा क्यों? तुम गलती करो तो तपस्वी और दूसरा गलती नहीं भी करें तो अपराधी।

सदा के लिए सत्ता खो चुके रघुवर बता रहे थे कि उनकी आलोचना करनेवालों को, उन्होंने कुछ नहीं कहा, पर सच्चाई यह है कि उनकी आलोचना तो दूर, उन्हें राह दिखानेवाले को इन्होंने बेइज्जती करने में भी शर्म महसूस नहीं की, उसका सबसे सुन्दर उदाहरण उन्हीं के द्वारा बनाये गये उनके प्रधान सचिव संजय कुमार है और दूसरे कई ऐसे उदाहरण है कि उनके कनफूंकवों ने कई थानों में कई लोगों के खिलाफ मुकदमें कर दिये हैं, जिसमें वो व्यक्ति फंस कर अपना सुख-चैन खो बैठा है, हालांकि ऐसे कनफूंकवों को ईश्वर ने ऐसी सजा दी है कि वह भी बार-बार आनन्द की खोज में व्याकुल है, पर उसके कटोरे से आनन्द ही गायब है, क्योंकि जो करोगे, वहीं भरोगे न।

क्या रघुवर दास को नहीं मालूम कि उन्होंने कौन-कौन से पाप किये हैं? या उनकी पापों का सजा काट रहे पत्रकारों को नहीं मालूम कि उन्होंने कौन-कौन से पाप किये है? क्या ये सही नहीं है कि तेरह-तेरह महीने की रट लगानेवाले रघुवर ने आज से ठीक तेरह महीने पहले सारे अखबारों से एक तरह से हेमन्त को ही आउट करा दिया था, नेता प्रतिपक्ष होने के बावजूद हेमन्त सोरेन को कोई अखबार जगह नहीं देता था, उस वक्त तो कई चैनल तो भजन गाया करते थे – “मेरे तो रघुवर जी दास, दूसरो न कोई।” पहले रघुवर दास को अपना दीदा देखना चाहिए, तब हेमन्त पर अंगूली उठाना चाहिए।

आज रघुवर लोहरदगा की दंगा और रांची के हिन्दपीढ़ी की चर्चा कर रहे थे, वहां किसी पुलिस अधिकारी के वर्दी पर थूकने की बात कर रहे थे, पर वे भूल गये कि रांची के ही मेन रोड पर उनके ही लोग हिन्दू संगठन से जुड़े एक धार्मिक जुलूस निकाल रहे थे, तभी रांची के मेन रोड पर क्या हुआ था? एक पुलिस पदाधिकारी को कैसे मारा गया?  ऐसा नहीं कि हेमन्त सोरेन के शासनकाल में ही दंगे हुए, दंगों के छींटें इससे कही ज्यादा और मॉब लीचिंग के नाम पर सबसे ज्यादा बदनाम यह राज्य इन्हीं के शासनकाल में हुआ, बात संयुक्त राष्ट्र तक चली गई थी, लेकिन इन्हें शर्म नहीं।

ये बहु-बेटियों की इज्जत की दुहाई दे रहे थे पर एक बेटी के बाप के साथ धुर्वा में कैसा इन्होंने व्यवहार किया, ये सारी दुनिया जानती है, यू-ट्यूब तो आज भी रघुवर के इस करतूत को संभाल कर रखा है। अरे हाई कोर्ट को कहना पड़ा कि धनबाद पुलिस ढुलू के खिलाफ यौन शोषण का केस दर्ज करें, तब भी धनबाद पुलिस को भाजपा विधायक ढुलू महतो के खिलाफ यौन-शोषण का केस दर्ज करने में महीनों लग गये।

रघुवर दास को चार्टड प्लेन से हेमन्त का दिल्ली जाना याद है, पर स्वयं के द्वारा हाथी उड़वाना, मोमेन्ट्स झारखण्ड के नाम पर झारखण्ड को बहुत पीछे ले जाना, मोमेन्ट्स झारखण्ड के नाम पर उड़नखटोला उड़ाना, रांची में शंघाई टावर बनाने का सपना देखना, झारखण्ड को नीचे पायदान पर लाकर खड़ा कर देना याद नहीं हैं।

रघुवर दास आज डीजीपी एम वी राव पर भी गरम दीखे, वे उन्हें प्रभारी डीजीपी बताने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे ये भूल गये कि ये वहीं एमवी राव हैं, जिन्होंने बकोरिया कांड में रघुवर दास के कानून-व्यवस्था और रघुवर के खासमखास स्वजाति के वरीय अधिकारियों के कार्यों की पोल खोलकर रख दी थी। ये वही रघुवर दास है, जो एम वी राव को फूटी आंखों देखना पसन्द नहीं करते थे, पर जनता उन्हें बहुत चाहती थी। उसका सुंदर नमूना है कि भाजपा द्वारा ओरमांझी कांड पर राज्य में आग लगाने की कोशिश, धरी की  धरी रह गई और पुलिस ने मात्र नौ दिनों में ही उसका उद्भेदन कर दिया, जिससे भाजपा की सारी योजना पर पानी फिर गया।

कमाल की बात है, ओरमांझी कांड को लेकर जनता के आक्रोश का बहाना बनाकर सीएम हेमन्त के काफिले पर हुए हमले को ये सही ठहरा रहे है, कह रहे है कि अगर जनता ने काफिला रोका था, तो उन्हें जाना चाहिए था, बात करनी चाहिए थी, तो फिर लगे हाथों रघुवर दास भी बता दें कि जब जनता आपके निरसा जाने के क्रम में काला झंडा दिखा रही थी तो आपने उनसे बात क्यों नहीं की, आपने उन सब पर थाने में केस क्यों करवा दिया? यानी आप किसी का जीवन से खेल जाओ तो आप सही और दूसरा कोई यही करें तो गलत, पता नहीं आपके कनफूंकवें कहां से आपको सलाह दे देते हैं?

आप कह रहे थे कि आपके राज में किसानों के लिए आपने मुख्यमंत्री किसान आशीर्वाद योजना चलाया, तो आप यह भी बताइये कि आपके राज में किसानों ने आत्महत्या क्यों की? जिस हेमन्त को आप अक्षम व कमजोर सरकार बता रहे हैं, कम से कम वो केन्द्र के इशारे पर नहीं चल रहा, वो आपसे कही बेहतर है, उस हेमन्त को कोई कनफूंकवा गाइड नहीं कर रहा, वो स्वतंत्र है, स्वतंत्र निर्णय ले रहा है, रही बात वादों की तो यही सवाल केन्द्र से भी पूछे जा सकते है कि कोविड काल 2020 में उन्होंने क्या किया?

कम से कम हेमन्त ने सभी को सम्मान के साथ, वह भी तब जब भाजपा शासित राज्य से लोग बाहर निकाले जा रहे थे, उन्होंने जनता को बुलवाया, भोजन तो कराया, आप रहते तो आपके कनफूकवें क्या करते, भगवान ही मालिक है, क्योंकि आप तो अपना चेहरा चमकाने के लिए पता नहीं कहां-कहां से आदमी उठाकर ले आते थे और उसे सूचना भवन तथा मुख्यमंत्री आवासीय कार्यालय में बिठाकर अजब-गजब के बैनरों-पोस्टरों, विज्ञापनों, एलइडी पर करोड़ों फूंक दिया करते थे, पर हेमन्त ने आज तक ऐसा नहीं किया, जनता को और क्या चाहिए?

अंत में रघुवर दास प्रवचन दिये जा रहे थे, और नीचे-नीचे धड़ाधड़ कमेन्ट्स आ रहे थे, ये वे लोग के कमेन्ट्स थे, जिसे भाजपा के आइटी सेल वाले रखा करते हैं, लेकिन इसी में एक ने गजब का कमेन्ट्स किया, अगर वो आपकी पार्टी वाले समझ लें तो बुद्धि आ जायेगी, उसने कहा है कि आप की पार्टी के लोग जितना जल्दी आपको साइलेंट करा दें, उतना ही अच्छा है, नहीं तो बना-बनाया माहौल भी खराब हो जायेगा।