भाजपा को मिट्टी में मिलाने में लगे दिग्गज, जहां रघुवर, अर्जुन, चम्पाई, दिनेशानन्द, विद्युत, पूर्णिमा का वास, वहां श्यामा प्रसाद मुखर्जी अपने बलिदान दिवस के दिन दो फूल को तरस गये
आज की भाजपा जो पूर्व में भारतीय जनसंघ के नाम से जानी जाती थी। उसके संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का सोमवार को बलिदान दिवस था। उस नेता का, जिसके पूर्व के समर्पित कार्यकर्ता यह नारा लगाते नहीं थकते थे – जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वो कश्मीर हमारा है। अब उस डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस को भी भाजपा के दिग्गज नेताओं का समूह भूलने लगा है।
अरे भूलना तो छोड़िये, इन बेशर्मों ने डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के दिन उनके चित्र पर दो फूल चढ़ाकर श्रद्धांजलि देने की भी जरुरत महसूस नहीं की। हालांकि केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने इनकी इस हरकत पर जमशेदपुर में उपस्थित जो भी दो-चार भाजपा कार्यकर्ता थे, उन्हें जमकर फटकारा, पर बेशर्मों को भी कहीं शर्म होती है।
बताया जाता है कि जमशेदपुर में भाजपा के कुछ नेताओं ने डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर पार्टी कार्यालय में एक कार्यक्रम रखा था। जहां केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह शामिल होनेवाले थे। उस कार्यक्रम में गिरिराज सिंह समय पर तो पहुंचे, पर उस कार्यक्रम में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का चित्र तो था, लेकिन उन पर चढ़ाने के लिए दो फूल भी नहीं थे। कार्यकर्ता भी नहीं थे।
जबकि ये वहीं जमशेदपुर है, जहां पूर्व मुख्यमंत्री, ओडिशा के पूर्व राज्यपाल, भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, पूर्व मुख्यमंत्री चम्पाई सोरेन, जमशेदपुर के सांसद विद्युत वरण महतो, जमशेदपुर पूर्व की विधायक व रघुवर दास की बहू पूर्णिमा साहू, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के चार-चार बार राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके दिनेशानन्द गोस्वामी रहा करते हैं।
लेकिन दुर्भाग्य देखिये कि तीन-तीन मुख्यमंत्रियों को देनेवाला, कई प्रदेश अध्यक्षों को देनेवाला, एबीवीपी को राष्ट्रीय अध्यक्ष तक देनेवाला यह जमशेदपुर शहर और उसके भाजपा नेता अपने ही नेता, वो भी कद्दावर नेता डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर दो फूल चढ़ाने के लिए दो फूल भी नहीं जुटा सकें, कार्यकर्ताओं को नहीं जुटा सकें, खुद नहीं पहुंच सकें, इससे बड़े शर्म की बात और क्या हो सकती हैं।
जमशेदपुर के बुद्धिजीवी बताते हैं कि आश्चर्य तो यह भी है कि केन्द्रीय मंत्री 22 जून की देर रात पटना से वंदे भारत एक्सप्रेस द्वारा टाटानगर स्टेशन पहुंचते हैं। लेकिन उनका स्वागत करनेवालों में पार्टी की ओर से कोई नहीं होता। आश्चर्य यह भी है कि केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह जमशेदपुर में आयोजित कई कार्यक्रमों में भाग लिये, लेकिन उनसे मिलने की किसी भी नेता ने जरुरत महसूस नहीं की। यहीं हाल पार्टी कार्यकर्ताओं का रहा।
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि दरअसल यहां भाजपा कब की खत्म हो चुकी। यहां तो भाजपा का कब का श्राद्ध हो चुका। अब तो यहां भाजपा रघुवर, अर्जुन, चम्पाई, विद्युत वरण महतो की पार्टी हो गई है। सारे भाजपा कार्यकर्ता अब पार्टी का काम कम, नेताओं के इशारों पर काम ज्यादा करने लगे हैं। तो ये तो होना ही था। इसमें आश्चर्य कैसा?
रही बात जमशेदपुर लोकसभा या जमशेदपुर पूर्व विधानसभा से भाजपा के जीतने की तो यहां तो भाजपा के नाम पर किसी को भी खड़ा कर दिया जाये, तो वह जीत जायेगा। लेकिन अब वैसी स्थिति नहीं है, हेमन्त सोरेन के सत्ता में आने के बाद और उनकी कार्यप्रणाली ने भाजपा वोटरों में गजब की सेंधमारी की है। यही कारण है कि अब भाजपा कार्यकर्ता भी भाजपा के खुद को दिग्गज कहलवाने वाले नेताओं से दूरियां बनाने लगे हैं।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि रघुवर दास की जो पूरे प्रदेश में यहां इमेज हैं, वो ब्राह्मण विरोधी और सवर्ण विरोधी की है। अगर इस कारण से वे और उनके लोग केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के कार्यक्रम से खुद को अलग रखा तो कोई आश्चर्य भी नहीं है। रघुवर दास ऐसे भी खुद को भाजपा से उपर मानते हैं। उनका मानना है कि भाजपा को रघुवर की जरुरत है, न कि रघुवर को भाजपा की।
यही हाल सारे नेताओं की हैं। सब ने अपना-अपना अलग-अलग खूंटा गाड़ रखा है और उसी खूंटे के आधार पर राजनीति शुरु कर दी हैं। सभी ने कार्यकर्ताओं को अपना जागीर समझ कर, अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं। जिसका फायदा अब झामुमो उठाने लगी है। स्थिति ऐसी हो गई है कि आनेवाले समय में शायद ही भाजपा जमशेदपुर लोकसभा सीट या जमशेदपुर पूर्व की विधानसभा सीट जीत पायें।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो जो भाजपा के लोग आज प्रखंड कार्यालय में प्रदर्शन कर रहे थे। क्या वे भाजपा के कार्यकर्ता थे या ढोकर लाये गये लोग थे। सच्चाई यह है कि हेमन्त सोरेन ने लगातार जीत दर्ज कर जिस प्रकार से इनसे सत्ता छीनी है। उससे ये लस्त-पस्त हो गये। इन्हें सूझ ही नहीं रहा कि करें तो क्या करें। हालांकि प्रदेश अध्यक्ष बनने के लिए रघुवर दास खूब हाथ-पांव मार रहे हैं।
लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि जिस दिन रघुवर दास ने प्रदेश अध्यक्ष पर कुंडली मारी, उसी दिन यह फिर से सुनिश्चित हो जायेगा कि 2029 में भी फिर से हेमन्त सोरेन ही मुख्यमंत्री बनेंगे, क्योंकि रघुवर दास को आज तक बोलने तक नहीं आया, वे पार्टी क्या खाक संभालेंगे। जिसने पार्टी को सवर्ण और पिछड़ों में बांट दिया। जो अपने ही इलाके में भाजपा कार्यकर्ताओं को सम्मान नहीं दिलवा पाया। जो व्यक्ति श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर दो फूल भी पार्टी कार्यालय में अपनी ओर से नहीं भिजवा सका। वो व्यक्ति पार्टी को कितना लाभ पहुंचायेगा, वो तो विद्रोही24 से अधिक कौन जानता है?