बाबूलाल मरांडी ने 500 आदिवासी लड़कियों को दिखाई ‘द केरल स्टोरी’, लड़कियों ने फिल्म की जमकर प्रशंसा करते हुए कहा इसे सभी गांवों-स्कूलों में मुफ्त दिखाई जाए

भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को इस बात के लिए जमकर तारीफ होनी चाहिए, क्योंकि इन्होंने राज्य के दो प्रमुख शहरों रांची व दुमका में आदिवासी बच्चियों को मुफ्त में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म दिखाई। बताया जा रहा है कि दुमका में करीब 100 और रांची में करीब 400 आदिवासी बच्चियों को यह फिल्म दिखाकर उन्होंने जागरुक करने का प्रयास किया।

दुमका में यह फिल्म अमर चित्र मंदिर में, जबकि रांची के प्लाजा में इस फिल्म को आदिवासी लड़कियों ने देखा। द केरल स्टोरी फिल्म देखने के बाद सभी आदिवासी लड़कियों और अन्य महिलाओं ने इस फिल्म की मुक्त कंठ से प्रशंसा की, साथ ही इस फिल्म को झारखण्ड के सभी गांवों व स्कूलों में मुफ्त दिखाने की भी मांग कर डाली।

उनका कहना था कि राज्य में खासकर संथाल परगना इलाके में स्थिति और भी भयावह हैं। वहां आदिवासी लड़कियों के साथ प्यार का नाटक रचाकर उनका धर्म परिवर्तन कराने का काम जोरों से चल रहा हैं। यहीं नहीं धर्म-परिवर्तन नहीं करने पर उनके साथ क्या हो रहा हैं, वो अखबारों की सुर्खियां भी बन रही हैं, अगर ये फिल्म हर गांव व हर स्कूल-कॉलेजों में दिखाई जायेगी तो इसका अच्छा प्रभाव पड़ेगा।

आदिवासी महिलाओं व लड़कियों द्वारा इस फिल्म की मुक्त कंठ से प्रशंसा करने पर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चूंकि संथाल परगना वो इलाका हैं, जो बांगलादेशी घुसपैठियों के प्रभाव में हैं। वहां की स्थिति ऐसी है कि अब वहां आदिवासी ही संकट में हैं। इसलिए अगर द केरल स्टोरी देखकर वो लड़कियां इस प्रकार का डिमांड कर रही हैं तो कोई गलत नहीं कर रही।

रही बात झारखण्ड के सटे बंगाल में फिल्म को बैन कर दिया जाना, वो भी बता रहा है कि बंगाल में क्या स्थिति है? दरअसल बंगाल की मुख्यमंत्री को पता है कि इस फिल्म के चलने से जहां गैर-मुस्लिमों को सत्य का पता चल जायेगा, वहीं तृणमूल कांग्रेस का शत प्रतिशत मुस्लिम वोट छिटक जायेगा। इसलिए वहां जो इस फिल्म को बैन किया गया हैं, वो पूर्णतः राजनीतिक है।

हालांकि बंगाल में ममता बनर्जी कुछ भी कर लें। इस फिल्म के बैन लगाने से वहां इस फिल्म को देखने के लिए लोग और भी दिमाग लगायेंगे तथा किसी न किसी तरह इस फिल्म को देखने का प्रयास करेंगे ही। हां, बंगाल में इस फिल्म को बैन कर दिये जाने से पूरे देश में ममता बनर्जी की छवि को धक्का जरुर लगा हैं, अब वो इसे स्वीकार करें या न करें।

इधर झारखण्ड में भी एक कांग्रेसी विधायक ने इस फिल्म को बैन करने के लिए काफी उछल-कूद मचाई है, जिसका प्रभाव यह पड़ा कि इस फिल्म को देखने के लिए विभिन्न सिनेमा हॉलों में भीड़ और उमड़ पड़ी हैं, सभी इस फिल्म की प्रशंसा कर रहे हैं और लोगों से इस फिल्म को देखने की अपील भी कर रहे हैं, साथ ही सबक लेने को भी कह रहे हैं। मतलब फिल्म निर्माता-निर्देशक को कोई प्रचार-प्रसार करने के लिए दिमाग नहीं लगाना पड़ रहा हैं, स्वयं जनता ही इसका प्रचार कर रही हैं और लोगों से देखने के साथ-साथ अपनी बच्चियों पर ध्यान देने को भी कह रही हैं। यही इस फिल्म की सबसे बड़ी उपलब्धि है।