ए यार, मुझे ये बता कि मैं कहां जाकर रोऊं, फरियाद करुं, अपना दुखड़ा सुनाऊं
तुमने तो हर जगह पर कब्जा जमा लिया। हमने तो ये समझा कि नई सरकार आयेगी, तो हमारे जख्मों को भरेगी, पर ये क्या अब तो नये जख्म देने की तैयारी होने लगी। अधिकारियों और कुछ खास लोगों को हमारी दर्द भरी आवाजें भी अच्छी नहीं लग रही। वे स्थान ढूंढ रहे है कि उन्हें हमारा रुदन कहां और किस स्थान से सुनना ज्यादा पसन्द आयेगा। अरे वाह री सरकार और वाह री सरकार के लिए काम करनेवालों कारिन्दों, क्या समझते हो कि उपरवाले ने तुम्हें ही ज्यादा दिमाग दिया है?
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