Author: Krishna Bihari Mishra

अपनी बात

AISMJWA के समन्वयक प्रीतम सिंह ने झारखण्ड के CM को लिखा पत्र, पत्रकारों की समस्याओं की ओर कराया ध्यान आकृष्ट

AISMJWA के बिहार-बंगाल-झारखण्ड समन्वयक प्रीतम सिंह भाटिया ने झारखण्ड के सीएम हेमन्त सोरेन को पत्र लिखकर, पत्रकारों की समस्याओं की ओर अपना ध्यान आकृष्ट कराया है। यह पत्र उन्होंने सीएम हेमन्त सोरेन को इ-मेल के जरिये संप्रेषित किया है। उन्होंने अपने पत्र में कोरोना से मृत पत्रकारों के लिए आर्थिक सहयोग देने की विशेष अपील की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता के लिए उनकी एसोसिएशन पिछले सात सालों से लगातार प्रयासरत है।

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अपनी बात

“सरकार के भरोसे रहकर हम अपने व्यक्तिगत सामाजिक उत्तरदायित्वों से पीछे नहीं भाग सकते” मतलब साथी हाथ बढ़ाना

इस देश में ऐसे युवाओं की कमी नहीं, जो अपने सपने को पूरा करने और कुछ अलग करने के लिए बंधी-बंधाई नौकरी तक छोड़ देते हैं। लेकिन क्या सोचा है कि इस कोविड काल में ऐसे युवा किन परेशानियों से दो चार हो रहे हैं। आइये, हम आपको जमशेदपुर के साकची में फ़ूड स्टॉल संचालिका पूनम सिंह के हालात से रूबरु कराते हैं जो आज अपने बच्चे के स्कूल की फीस भी नहीं भर पा रही हैं।

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अपनी बात

नहीं रहे अपने भावों से सभी के हृदय को गुदगुदा कर आध्यात्मिक रसपान करानेवाले स्वामी हितेषानन्द

आज सबेरे-सबेरे हृदय को वेध देनेवाली समाचार का सामना हुआ, जब हमको चाहनेवाले बिन्दु झा जी का फोन आया और उन्होंने सबेरे-सबेरे यह समाचार दिया कि स्वामी हितेषानन्द जी नहीं रहे। योगदा सत्संग मठ में उन्होंने बीती रात अंतिम सांस ली। यह समाचार सुनते ही मैं अवाक् रह गया। अवाक् इसलिए कि अब कभी भी स्वामी हितेषानन्द जी के वे भाव देखने को नहीं मिलेंगे और न ही वो आध्यात्मिक सुख प्राप्त होगा, जो उनके मुख से निकलनेवाले शब्दों-वाक्यों से सभी को प्राप्त होते थे।

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अपनी बात

डूब मरो “दैनिक जागरण” वालों एवं “धनबाद प्रेस क्लब” से जुड़े पत्रकारों

डूब मरो “दैनिक जागरण” वालों एवं “धनबाद प्रेस क्लब” से जुड़े पत्रकारों, तुम्हारे सामने तुम्हारा साथी पत्रकार मर गया और तुम उसके शोकाकुल परिवार के साथ खड़े भी नहीं हो सकें, उसकी मदद भी नहीं कर सकें। “दैनिक जागरण” ने तो वहीं किया जो वह करता आया है, उसने विजय रजक की मृत्यु की खबर तो छापी, पर ये नहीं लिखा कि वह काम कहां करता था? किसके लिए करता था?

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अपनी बात

पिता अस्पताल में, फिर भी दुसरे की सहायता करने में सबसे आगे हैं कुणाल, जनता का विश्वास जीतने में कुणाल के आगे रघुवर व सरयू भी फेल

मैं कभी भी भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी से व्यक्तिगत रूप से नहीं मिला हूं, और न ही मिलने की चाहत है, पर कुणाल षाड़ंगी जैसे लोग मानवीय मूल्यों को लेकर जीते हैं, तो हमें बेहद खुशी होती है, क्योंकि ऐसे ही लोग इतिहास गढ़ते हैं, समाज को नई दिशा देते हैं। जरा देखिये न, जमशेदपुर में तो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास भी रहते हैं, रहने को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को धूल चटानेवाले सरयू राय भी रहते हैं,

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अपनी बात

नेताओं याद रखो, यह समय टिव्टरबाजी का नहीं, पत्रकारों को मदद करने का हैं, मीडिया संस्थानों पर दबाब डलवाओ और उन्हें उनका हक दिलवाओ

इधर पत्रकारों का कोरोना संक्रमण से मरना जारी है। संख्या 20 को पार कर गई है, लेकिन क्या मजाल कि कोई भी राज्य का नेता या पत्रकार से नेता बना, नेता पत्रकारों के लिए कुछ कर जाये, सभी घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। कोई पत्रकारों के मरने के बाद, उसके बारे में झूठी श्रद्धाजंलि देकर अपना पिंड छुड़ा ले रहा हैं, तो कोई दो मिनट का मौन धारण कर, स्वयं को इस प्रकार जनता के समक्ष पेश आ रहा हैं, जैसे लगता है कि उसने गजब कर डाला है।

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अपनी बात

कोरोना पीड़ितों की सेवा में लगा धनबाद का अंकित अपने जन्मदिन पर 50वीं बार रक्तदान कर दिया संदेश, युवा कोरोना काल में मानवता के लिए आगे आएं

आज अंकित राजगढ़िया का जन्मदिन है। उस अंकित का जो कोरोना काल में कोरोना से पीड़ित लोगों व उनके परिवारों की बेहतरी के लिए हर प्रकार की सहायता करने में लगा है। वह तब से लगा है, जब से कोरोना की बीमारी का आगाज धनबाद में हुआ। उस वक्त से जब कोरोना के लिए वैक्सीनेशन की टेस्टिंग चल रही थी, उस वक्त भी वह टेस्टिंग में सबसे आगे था, और झारखण्ड से स्वयं को टेस्टिंग के लिए प्रस्तुत कर दिया।

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अपनी बात

AISMJWA द्वारा पत्रकारों के हितों के लिए किया जा रहा संघर्ष रंग लाया, चारों ओर पत्रकारों के हितों की ही चर्चा

कोरोना काल में जहां पत्रकारों के हितों का दंभ भरनेवाले कुकुरमुत्ते की तरह उगे पत्रकारों के एसोसिएशन अपने-अपने घरों में बैठ कर कोरोना से खुद को मुक्त करने के प्रयास में लगे हैं, वही आल इंडिया शार्ट एवं मीडियम जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन AISMJWA ने अपने प्रयासों से सत्तापक्ष और विपक्ष ही नहीं, बल्कि सामाजिक संगठनों/पत्रकार संगठनों की नींद तक उड़ा दी है।

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अपनी बात

जमशेदपुर के आजाद नगर में मुस्लिम संगठनों द्वारा निर्मित आइसोलेशन सेंटर को नहीं मिल रही थी प्रशासनिक स्वीकृति, BJP नेता कुणाल ने लगाया जोर, मिली सफलता

दर्जनों मुस्लिम संगठन इस बात को लेकर लगे थे कि जमशेदपुर के आजाद नगर में दस बेडवाली आइसोलेशन सेंटर की प्रशासनिक स्वीकृति मिले, ताकि कोविड-19 से लड़ रहे लोगों को राहत मिल सकें। इन मुस्लिम संगठनों ने इसकी तैयारी तो कर ली, पर प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिल रही थी, फिर क्या था? मामला भाजपा नेता कुणाल षाड़ंगी के पास पहुंचा, कुणाल षाड़ंगी ने इस मामले को प्रशासन तक लेकर पहुंचे और इस पर स्वास्थ्य मंत्री समेत कई प्रशासनिक अधिकारियों को इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया।

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अपनी बात

मृत पत्रकारों की जिम्मेवारी पहले मीडिया संस्थान लें, CM मीडिया हाउसों को मिलनेवाले सरकारी विज्ञापनों पर पत्रकारों के कल्याण के लिए दस प्रतिशत सेस लगाये, जो सिर्फ लाचार पत्रकारों पर खर्च हो।

इसमें कोई दो मत नहीं, कि आप में वो जज्बा है, कि आप बहुत कुछ कर सकते हैं, करना चाहते हैं, पर सच्चाई यह भी है कि जब भी आप कुछ बेहतर करना चाहते हैं, कोरोना नामक बिमारी उन बेहतर कार्यों पर ब्रेक लगा दे रही हैं। कोरोना की पहली लहर बीत जाने के बाद लगा था कि अब झारखण्ड तेजी से विकास के पथ पर आगे बढ़ेगा, लेकिन कोरोना की दुसरी लहर ने फिर से विकास की गति पर ब्रेक लगा दी और फिर आप कोरोना को रोकने में ही सारी ऊर्जा लगा दी।

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