आखिर कांग्रेस के नेताओं को अक्ल व बोलने की तमीज कब आयेगी? क्या पूरी पार्टी को तबाह कर देंगे तब ये संभलेंगे?
आखिर कांग्रेस के नेताओं को अक्ल व बोलने की तमीज कब आयेगी? कभी सोनिया गांधी ने नरेन्द्र मोदी को मौत का सौदागर तो कभी राहुल गांधी ने चोर, कभी मणि शंकर अय्यर ने उन्हें नीच कहकर संबोधित किया तो कभी मधुसूदन मिस्त्री ने पीएम मोदी की औकात पर टिप्पणी कर दी और इस बार तो मध्यप्रदेश का एक कांग्रेसी नेता राजा पटेरिया ने तो सारी सीमाएं ही लांघ दी।
राजा पटेरिया का बयान है, जो सोशल मीडिया पर बड़ी तेजी से वायरल हो रहा है। वो खूलेआम अपने कांग्रेसियों को भड़का रहा है, कह रहा है – ‘अगर लोकतंत्र को बचाना है तो मोदी की हत्या को तत्पर रहो।’ मतलब साफ है कि कांग्रेस आठ वर्ष सत्ता से बाहर क्या रही, वो अपने आप में नहीं हैं, लगता है कि उसे इतना बड़ा मानसिक आघात लगा है कि इससे वो उबड़ ही नहीं पा रही हैं, तभी तो सत्ता पाने के लिए अब हिंसा करने/कराने पर उतारु है। नहीं तो किसी भी सभ्य समाज में इस प्रकार के बयान को कोई कैसे स्वीकार कर सकता है?
ये अलग बात है कि इसकी तीखी प्रतिक्रिया भाजपा या उनसे जुड़े संगठनों के नहीं आये हैं, पर जो कांग्रेसियों ने अपने चेहरे दिखाये हैं, वो बताने के लिए काफी है कि उनके इरादे नेक नहीं हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सुरक्षा पर देश को ध्यान देना ही पड़ेगा। हालांकि राजा पटेरिया के खिलाफ मध्यप्रदेश की सरकार ने प्राथमिकी दर्ज करा दी है। आज उसे गिरफ्तार भी कर लिया गया है। जो बताने के लिए काफी है कि इस मुद्दे पर भाजपा सरकार भी इन कांग्रेसियों को छोड़ने नहीं जा रही।
पर कांग्रेसी ही बताएं कि इस प्रकार के उनके नेताओं के बयान क्या संकेत दे रहे हैं? इसके पहले भी ऐसे कई कांग्रेसी चेहरे रहे हैं, जो नरेन्द्र मोदी के खिलाफ अनर्गल बयान दे चुके हैं, जो आज भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं, क्या ये बताने के लिए काफी नहीं कि उनके पास शब्दों का बहुत बड़ा अभाव हो चुका हैं, वे चाहते ही नहीं कि देश में राजनीतिक समरसता का प्रसार हो।
राजनीतिक पंडितों की मानें, तो इस प्रकार के बयान बताते हैं कि आनेवाले समय में राजनीतिक कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पे होंगी, इन हिंसक झड़पों में बड़े नेताओं का तो कुछ नहीं बिगड़ेगा, क्योंकि उन्हें उनके सुरक्षाकर्मी सुरक्षा घेरे में लेकर उन्हें बचा लेंगे, पर झेलना तो राजनीतिक कार्यकर्ताओं को हैं, उन राजनीतिक कार्यकर्ताओं को ले-देकर नुकसान ही उठाना पड़ेगा, क्योंकि हिंसा से आज तक किसी को लाभ नहीं पहुंचा है। राजा पटेरिया के इस बयान को मध्यप्रदेश शासन द्वारा हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए, इस पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए ताकि आनेवाले समय में किसी भी दल का नेता अपनी मर्यादा से बाहर आने के पूर्व दस बार सोंचे कि उसे इसका क्या खामियाजा भुगतना पड़ेगा?