50 साल पूर्व लगे आपातकाल से ज्यादा खतरनाक मोदी के 11 साल का अघोषित आपातकाल, झामुमो भाजपा के पाखण्ड को बर्दाश्त नहीं करेगाः सुप्रियो
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने रांची के झामुमो कार्यालय में आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा था। उसके बाद से लेकर भारत की कई प्रमुख नदियों में कितने ही पानी बह गये। लेकिन 2014 के बाद से भारत में एक नई धारा की शुरूआत हुई जो अघोषित आपातकाल से कम नहीं हैं। जिसे आज पूरा देश झेल रहा है।
सुप्रियो ने कहा कि 8 नवम्बर 2016 को इस देश पर मोदी सरकार ने आर्थिक आपातकाल थोपा था। जिससे प्रभावित होकर लोग दर-दर भटके थे। बैंकों के सामने लंबी-लंबी लाइने लगा करती थीं। कई की इसमें जानें भी चली गई। रोजगार तक छीन लिये गये। जिन उद्देश्यों को लेकर आर्थिक आपातकाल लागू किया गया। वो उद्देश्य भी पूरे नहीं हुए। आज भी देश में काला धन, आतंकवाद, भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा। बोला गया कि एक हजार के नोट से बहुत गलत होता है, उसके जगह पर दो हजार के नोट ला दिये गये। लेकिन सच्चाई क्या है, सभी को पता है।
सुप्रियो ने कहा कि इसके ठीक तीन वर्ष बाद किसानों के खिलाफ बिना राज्यसभा में बहस कराये तीन कृषि कानून थोप दिये गये। किसानों ने जमकर आंदोलन किया। सात सौ से ज्यादा किसान मारे गये। बाद में इन्होंने कृषि कानून को वापस भी लिया, ठीक उसी प्रकार जैसे 1977 में आपातकाल को वापस लिया गया। सुप्रियो ने कहा कि लोगों को भूलना नहीं चाहिए कि इन्होंने 2023 में संसद में आपातकाल लगा दिया। जब सारे विपक्ष के लोग जिनकी संख्या 95 थी, उन्हें संसद से निलम्बित कर दिया गया। ये क्या आपातकाल से कम था।
सुप्रियो ने कहा कि आज देश में केन्द्रीय गृह विभाग ने सर्कुलर जारी किया है कि देश को बताया जाय कि आपातकाल भारत के संविधान के खिलाफ था। इसमें बड़े-बड़े विचित्र बात भी कहे गये है। अथर्ववेद और ऋग्वेद की दुहाई दी गई है। कहा गया है कि देश में सभा, समिति, संसद की संरचना हमेशा से की गई है। जिस पर 25 जून 1975 को कुठाराघात किया गया। इसको लेकर तीन चरणों में जैसे 25 जून 2025, 21 मार्च 2026 और 25 जून 2026 को कार्यक्रम भी किये जायेंगे।
सुप्रियो ने कहा कि देश में अमृतकाल चल रहा है। पहलगाम में इतना बड़ा संकट आया। वहां आतंकवादी आज भी घूम रहे हैं। देश में अजीब स्थिति है। विदेशों में हमारी संसदीय टीम भेजी गई। जिन्होंने 33 देशों की यात्रा की। लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे पर संसद बुलाने की मांग की तो संसद का विशेष सत्र नहीं बुलाया गया और ये अथर्ववेद की बात कर रहे हैं।
सुप्रियो ने कहा देश में कोरोना काल चल रहा था और एक झटके में आपातकाल लग गया। लॉक डाउन हुआ। लोग पैदल चलते-चलते शहीद हो गये और ये आपातकाल की बात करते हैं। जब हमारे झारखण्ड ने अपना हक मांगा, तो यहां ईडी, सीबीआई, आईटी और कई जांच एजेंसियों को पीछे लगा दिया गया। बिना विवेचना के किसी को भी अंदर किया जाने लगा। फादर स्टेन स्वामी की जेल में मौत उसका सटीक उदाहरण है। इनका मतलब था कि लोगों की आवाज बंद की जाय और केवल इंवेट करवाई जाये।
सुप्रियो ने कहा कि आज देश में आपातकाल पर छः मशाल निकाले जा रहे हैं। जिसे ई-टार्च का नाम दिया गया है। ये आपातकाल के बारे में संदेश देंगे और ये संदेश कोई और नहीं, सरकारी पदाधिकारी देंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ये भी बताये कि आनेवाले 8 नवम्बर को कौन सा दिवस मनाया जायेगा?
सुप्रियो ने कहा कि पूरे विश्व में भारत की प्रतिष्ठा धूमिल हो रही है। हम अपनी बात ठीक से नहीं रख पा रहे हैं। जबकि 1970-80 में ऐसी स्थिति नहीं थी। हम नया आयाम देते थे। हमारी बात सुनी जाती थी। आज विदेश का राष्ट्रपति कह रहा है कि सीजफायर हमने कराई। हमारे लोग विदेशों से हाथ में हथकड़ी लगवाकर डिपोट हो रहे हैं। प्रेस की आजादी तक छीन ली गई है। पत्रकार जेल जा रहे हैं। सोशल एक्टिविस्ट पर पहरा है। अखबारों के पन्नों को खरीद लिया गया है।
सुप्रियो ने कहा कि आज से 11 साल पहले अखबार छपते थे, तब बिकते थे। आज पहले बिकते हैं, तब छपते है। चैनल चलता था तब सबक्राइब होता था और आज स्पोन्सर पहले होते हैं, चलते बाद में हैं। आज देश की पत्रकारिता विश्व की सूची में निचले पायदान यानी 142वें स्थान पर है। देश में कई पत्रकार ऐसे रहे, जो प्रधानमंत्री तक बने हैं। आज उस पत्रकारिता की स्थिति दयनीय है।
सुप्रियो ने कहा कि ये लोग विपक्ष को निर्देश दे रहे हैं कि आप आपातकाल की पचासवीं वर्षगांठ पर भारत सरकार के कार्यक्रमों में हिस्सा लीजिये। झामुमो बता देना चाहता है कि यहां तुगलकी फरमान नहीं चलेगा। यह देश लोकतंत्र और संविधान के आधार पर चलेगा। ये देश गांधी-सुभाष, कबीर-नानक के बताये मार्गों पर चलेगा। पाखण्ड पर नहीं चलेगा।