वन स्टॉप सेंटर को सुविधायुक्त बनाने व जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ रांची में युवा, क्रिया और WGG का विचार मंथन, विभिन्न विभागों में आपसी तालमेल बेहतर करने पर हुई चर्चा
2012 में हुए जघन्य निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। घटना के बाद देश भर के विभिन्न जिलों में हिंसा की शिकार महिलाओं के लिए अस्थाई आश्रय गृह वन स्टॉप सेंटरों/सखी सेंटरों की शुरुआत हुई। धीरे धीरे झारखंड के 24 जिलों में भी वन स्टॉप सेंटरों को खोला गया, जो आज भी कार्यरत हैं। लेकिन सही मायनो में प्रत्येक पीड़ित महिला व विकलांगजनों तक इसकी सक्रियता और पहुंच बढाने के लिए कई कठिन चुनौतियां हैं जिनकी तरफ सरकार का ध्यान आकृष्ट करने के लिए संस्था ‘युवा’, क्रिया और डब्ल्यूजीजी की ओर से रांची के बीएनआर चाणक्या होटल में गुरुवार को एक वृहद परिचर्चा का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में वन स्टॉप सेंटर को बेहतर बनाने के साथ ही युवा लड़कियों और विकलांग महिलाओं के लिए जेंडर आधारित हिंसा के खिलाफ संस्थागत सुरक्षा उपायों व हिंसा रोकने के लिए अंतर विभागीय समन्वय व संभावना पर पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें बतौर पैनलिस्ट निम्नलिखित लोग शामिल हुए – आनंद प्रियदर्शी, उप निदेशक, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, सुजाता कुमारी, प्रतिनिधि, महिला एवं बाल विकास विभाग सह स्टेट नोडल अफसर, सत्य प्रकाश–डिप्टी डायरेक्टर, बीडीएस, प्रतिनिधि, स्वास्थ्य विभाग, राजश्री वर्मा, जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, बबीता, प्रोग्राम मैनेजर, क्रिया, रोहित,प्रतिनिधि, झालसा, अन्नी अमृता, प्रतिनिधि, मीडिया, नुपुर, प्रतिनिधि, JSLPS।
कार्यक्रम की शुरुआत में युवा की सचिव वर्णाली चक्रवर्ती और संस्था की अंजना देवगम ने जेंडर आधारित हिंसा को रोकने के लिए युवा द्वारा पूर्वी सिंहभूम जिले के पोटका क्षेत्र में चलाए जा रहे जागरुकता कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि युवा ने 110 विकलांग लड़कियों को युवा के जागरुकता कार्यक्रमों से जोड़ा है। उसके अलावा पंचायत स्तर लगातार शिविरों के माध्यम से वैसी लड़कियों को जागरुकता कार्यक्रम से जोड़ा गया जो परिदृश्य से बाहर हैं, कहीं नजर नहीं आतीं, पर पीड़ित हैं।
पैनल डिस्कशन में स्वास्थ्य विभाग के प्रतिनिधि के तौर पर आए सत्य प्रकाश ने विभाग की तरफ से किए जा रहे जागरुकता कार्यक्रमों की जानकारी दी और कहा कि विभाग बेहतर रोल की हर संभव कोशिश कर रहा है। जनसंपर्क विभाग से आए आनंद प्रियदर्शी ने कहा कि आजकल कम पढ़े लिखे लोग भी कैमरा माइक लेकर घूम रहे हैं, पर वे जेंडर आधारित हिंसा के प्रति जागरुक और संवेदनशील नहीं हैं। जनसंपर्क विभाग न सिर्फ सरकार के कार्यक्रमों की जानकारी देता है बल्कि यह जनता और सरकार के बीच एक सेतु का भी कार्य करता है। कोशिश यही रहती है कि जनता से मिले फीडबैक के आधार पर आगे सुधार हो।
महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रतिनिधि सुजाता कुमारी ने बताया कि कोशिश हो रही है कि आनेवाले दिनों में वन स्टॉप सेंटरों में 10 दिन रहने की सीमा को बढाकर 20 दिन किया जाए। झालसा के प्रतिनिधि रोहित ने कहा कि विक्टिम कॉम्पनसेशन की जानकारी देने के साथ साथ पीड़ित महिलाओं को विधिक सहायता दी जाती है। जेवियर इंस्टीट्यूट से आईं पैनलिस्ट राजश्री ने बताया कि संस्थान में जेंडर आधारित हिंसा के प्रति छात्र छात्राओं को जागरुक किया जाता है।
क्रिया की प्रतिनिधि बबीता ने बिहार, यूपी, झारखंड और बंगाल के वन स्टॉप सेंटरों के अपने सर्वे की रिपोर्ट पेश करते हुए बताया कि कैसे सभी जगहों पर आदर्श स्थिति नहीं है। मूलभूत सुविधाओं और संस्थागत सुविधाओं को लेकर जद्दोजहद है। हालांकि प्रोटोकॉल की वजह से पीड़ित महिलाओं से बात नहीं हो पाई। जमशेदपुर के वन स्टॉप सेंटर के संबंध में बताया कि यह रेड क्रॉस में तीसरे तल्ले पर है, जहां विकलांगजनों के लिए जाना मुश्किल है।
मीडिया की प्रतिनिधि के तौर पर बतौर पैनलिस्ट मौजूद वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने कहा कि जेंडर आधारित हिंसा को रोकने में मीडिया शक्तिशाली भूमिका निभा सकता है। मीडिया पीड़ित महिलाओं की आवाज बनता है, जिससे अन्य महिलाएं भी आवाज उठाने को प्रेरित होती हैं। मीडिया पीड़ित महिलाओं और विकलांगजनों की स्टोरी हाइलाइट कर सरकार और न्यायालय तक बात पहुंचा देता है, जिससे न्याय का मार्ग प्रशस्त होता है। दिक्कत यही है कि लैंगिक हिंसा इसलिए नहीं रुक रही है क्योंकि देश में किसी घटना को लेकर कोई जवाबदेही तय नहीं है जो दुखद है।
अन्नी ने आगे कहा कि इसी माहौल में हरसंभव बेहतर रोल करना है। उन्होंने बताया कि बतौर पत्रकार वन स्टॉप सेंटर के जमशेदपुर में खुलने को लेकर उन्होंने जोरदार आवाज लगातार उठाई थी और आगे चलकर शहर में सेंटर खुला। उसके बाद सेंटर की व्यवस्था और खामियों को लेकर लगातार आवाज उठाई जिसमें समय समय पर सुधार होता रहा। बीच में सेंटर की व्यवस्था काफी खराब हो गई जिसके बाद वर्णाली चक्रवर्ती के नेतृत्व में महिलाओं का एक दल लेकर वे उपायुक्त से मिलीं जिसके बाद उपायुक्त की पहल पर न सिर्फ 24 घंटे वाहन की व्यवस्था हुई बल्कि उपायुक्त के निर्देश पर एसडीओ ने लगातार वन स्टॉप सेंटर का निरीक्षण किया, जिससे व्यवस्था में काफी सुधार हुआ।
JSLPS की प्रतिनिधि नुपुर ने बताया कि राज्य के 24 जिलों में ब्लॉक स्तर पर GRC (Gender resource centre) चलाया जा रहा है। कोशिश हो रही है कि विभाग से बातचीत करके वन स्टॉप सेंटर से इसे कनेक्ट किया जाए। कार्यक्रम में झारखंड के विभिन्न जिलों से आई महिलाओं ने वन स्टॉप सेंटरों के बारे में अपने अनुभव साझा करते हुए खामियों की जानकारी दी। किसी ने 24 घंटा संचालित न होने की बात कही तो किसी ने पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था न होने की शिकायत की। कई महिलाओं ने उदाहरण के साथ बताया कि कैसे हिंसा की शिकार महिलाओं को पुलिस थाने में अपेक्षित सहयोग नहीं मिलता।
कार्यक्रम में बतौर विशिष्ट अतिथि पहुंची रांची महिला थाना प्रभारी रेणुका टुडू ने उपस्थित महिलाओं और विकलांगजनों को महिला थाना के कार्य और चुनौतियों की जानकारी दी और आश्वस्त किया कि उपलब्ध जो भी संसाधन हैं उनके अंतर्गत पीड़ित महिलाओं को मदद की जाएगी।
कार्यक्रम का संचालन अंजना देवगम और वर्णाली चक्रवर्ती ने किया। वहीं पैनल का संचालन नसरीन जमाल ने किया। कार्यक्रम में सीडब्ल्यूसी, जमशेदपुर की पूर्व चेयरपर्सन प्रभा जायसवाल और महिला कोषांग से निर्मला शुक्ला खास तौर पर शामिल हुईं। कार्यक्रम में सोनू शर्मा, सुकुमारी, कुंती कुमारी, रेणु महतो, अभिषेक और अन्य कई लोगों ने भाग लिया।