आप भी तो मेरे बेटे जैसे हो
बात उन दिनों की है। जब मैं ईटीवी में कार्यरत था। उसी दौरान सुप्रसिद्ध अभिनेता धर्मेन्द्र जी का आगमन राजनीतिक कारणों से रांची हुआ था। वे डोरंडा के होटल युवराज में ठहरे थे। मैं समाचार संकलन करने के उद्देश्य से होटल युवराज पहुंचा। उस वक्त मुझे कैमरा भी खुद ही करना पड़ता था। जब धर्मेन्द्र जी मेरे सामने आये और समाचार संकलन करने के लिए मैंने जैसे ही उनसे सवाल पूछने शुरु किये।
तब उन्होंने कहा कि आपको तो समाचार संकलन करने में दिक्कतें आयेंगी। आप ऐसा करिये, थोड़ा रुकिये। धर्मेन्द्र जी ने तुरन्त अपनी टीम में से किसी एक को बुलाया। जिसे उन्होंने बुलाया, वो भी कोई साधारण व्यक्ति नहीं था। वो भी एक मुंबई का चरित्र अभिनेता था। धमेन्द्र जी ने उक्त व्यक्ति को कैमरा हैंडल करने को कहा।
उक्त व्यक्ति ने बड़ी ही सुंदर ढंग से कैमरा हैंडल किया और इस प्रकार मुझे समाचार संकलन करने में कोई दिक्कत नहीं आई। बाद में समाचार से इतर कुछ इधर-उधर की बात हुई। मैंने धर्मेन्द्र जी से जाने वक्त कहा कि आपने हमें बड़ा सहयोग किया। आम तौर पर बड़े लोग इस प्रकार से मदद नहीं करते। लेकिन आपने किया।
उनका उत्तर था। अरे भाई आप भी तो मेरे बेटे जैसे हो। भला मैं सहयोग क्यों न करुं। वे यह कहकर मुस्कुराने लगे और मैं होटल से बाहर निकलने लगा। ऐसे थे, धर्मेन्द्र जी। आज धर्मेन्द्र जी, दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी सरलता, सहजता व सहृदयता को मैं कभी नहीं भूल सकता। मैं उन्हें हृदय से प्रणाम करता हूं।
