बिना अंतर्मुखी हुए व बाल सुलभ भाव को जगाए, आप ईश्वर को नहीं पा सकतेः ब्रह्मचारी भास्करानन्द
रांची स्थित योगदा सत्संग आश्रम में योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए ब्रह्मचारी भास्करानन्द ने कहा कि बिना अंतर्मुखी हुए आप ईश्वर को न तो पा सकते हैं और न ही सांसारिक कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। ईश्वर को पाने के लिए व सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाने का एक ही रास्ता है कि आप अपने अंदर बाल सुलभ भाव को पनपने दीजिये। बाल सुलभ भाव एकमात्र रास्ता है ईश्वर के पास शीघ्र पहुंचने का, उनसे वार्तालाप करने का तथा उन्हीं में एकाकार हो जाने का।
ब्रह्मचारी भास्करानन्द ने कहा कि जब भी परमहंस योगानन्द जी कहीं भी व्याख्यान देने को जाते थे, तो वे सर्वप्रथम वहां उपस्थित जनसमुदाय से दो सवाल अवश्य किया करते थे। पहला सवाल होता था कि आप सब अभी कैसा महसूस कर रहे हैं? और दूसरा सवाल होता कि आप सब कैसे हैं? इसका सही उत्तर वो सभी से यही सुनना चाहते कि जो व्याख्यान सुनने आये हैं। वे जागृत हैं और तैयार हैं।
ब्रह्मचारी भास्करानन्द ने कहा कि हर व्यक्ति को चाहिए कि वो मन को बार-बार ये याद दिलाएं कि वो हर दम जागृत और तैयार है। उन्होंने कहा कि हमेशा याद रखिये कि जब तक किसान खेत तैयार नहीं कर लेता, वो बीज नहीं बोता और न ही उसकी अच्छी फसल तैयार होती है। ठीक उसी प्रकार आध्यात्मिक पथ पर चलकर अध्यात्म की उच्च कोटि की अवस्था तक पहुंचनेवाला आध्यात्मिक व्यक्ति जब तक हर दम जागृत व तैयार नहीं रहेगा। वो अध्यात्म के उच्च कोटि की अवस्था को प्राप्त नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि दो दिन पहले हमलोगों ने स्वतंत्रता दिवस मनाया। क्या इस श्रवणालय में उपस्थित योगदा भक्त बता सकते हैं कि स्वतंत्रता क्या है? दरअसल हम बाह्यरूप से स्वयं को स्वतंत्र मानते हैं। लेकिन क्या सही मायनों में हम आंतरिक रूप से स्वतंत्र हैं। क्या ये सही नहीं कि हम आज भी अपनी आदतों के दास बने हुए हैं और अपनी आदतों का दास बनकर जीवन व्यतीत करना, ये तो स्वतंत्रता नहीं।
उन्होंने कहा कि हम सभी को जानना चाहिए कि हमारी आत्मा ईश्वर के स्वरूप में बनी है। आत्मा का मूल स्वरूप सच्चिदानन्द है। जब हमें इसका ज्ञान हो जाता है। तभी ईश्वर हमारे पास गुरु भेज देते हैं और फिर हम उस गुरु के माध्यम से ईश्वर को प्राप्त कर लेते हैं। उन्होंने कहा कि कल ही शनिवार को हम सभी ने जन्माष्टमी मनाई। लेकिन सही मायनों में कल के दिन का सर्वाधिक लाभ किसने उठाया?
भास्करानन्द ने कहा कि दरअसल किसी भी महापुरुष का जन्मदिन, विशेष दिन, विशेष स्पन्दन लेकर आता है। उस दिन हमारे पास समय होता है कि हम ईश्वर के साथ एकाकार हो सकें। ध्यान करते हुए उनसे वार्ता कर सकते हैं। अगर आपने ऐसा नहीं किया तो आपके लिए वो दिन सामान्य दिनों की तरह बीता। लेकिन जिसने इस विशेष दिन का लाभ विशेष तरीके से मनाया। उसने जन्माष्टमी के विशेष स्पन्दन का लाभ भी उठाया।
उन्होंने कहा कि कभी ज्ञान माता ने कहा था कि आध्यात्मिक पथ पर गुरु भी आपके लिए सब कुछ नहीं कर सकतें। जब तक आप दृढ़संकल्पित होकर, आप उस पथ पर चलने का प्रयास न करें। उन्होंने कहा कि परेशानी सभी की एक ही हैं। लेकिन उसका स्वरूप बदल जाता है। आप चाहेंगे कि परेशानी से आप मुक्त हो जाये, तो ये संभव भी नहीं है। जब तक जिंदगी रहेगी। ये विभिन्न रूपों में आपके पास आता रहेगा। आप इससे जितना भागेंगे। वो आपका पीछा नहीं छोड़ेगा। लेकिन जैसे ही उसका मुकाबला करेंगे। वो धराशायी होगा।
उन्होंने कहा कि जैसे आप सामान्य वस्तुओं के लिए प्रयास करते हैं और उसे जब तक पा नहीं लेते। आप चैन की सांस नहीं लेते। उसी प्रकार ईश्वर को प्राप्त करने के लिए आप प्रयास करें। आपके जीवन का मूल लक्ष्य भी यही होना चाहिए। बिना इसके आपका कल्याण भी संभव नहीं। जब आप ईश्वर को प्राप्त करने का मन से प्रयास करेंगे। तो उसे भी प्राप्त कर लेंगे।
उन्होंने कहा कि बहुत लोगों को लगता है कि वे दुनिया को बदल देंगे। लेकिन उन्हें ये नहीं पता कि बदलना किसे हैं? आप जैसे ही ये जान लेते है कि बदलना किसे हैं? आप की सारी समस्याएं ही दूर हो जाती है। क्योंकि अंततः बदलना किसी दूसरे को नहीं, बल्कि आपको हैं। उन्होंने कहा कि ईश्वर आपकी इच्छाशक्ति के पीछे छूपे हैं। जब आप मान लेते हैं कि ईश्वर कभी नहीं मिलेंगे। तो वे आपको कभी नहीं मिलेंगे। लेकिन जैसे ही आप मान लेते हैं कि ईश्वर आपको मिलेंगे। तो उसी समय यह भी तय हो जाता है कि आपको ईश्वर मिलेंगे। लेकिन उसके लिए आपके मन में बाल सुलभ भाव का होना बहुत ही जरुरी है।
उन्होंने कहा कि योग द्वारा मन और आत्मा एक हो जाती है। इस योग द्वारा आप बाल सुलभ भाव को अपने मन में जगा सकते हैं। गुरु जी ने भी अनेक प्रविधियां हमें दी हैं। उन प्रविधियों को अपनाकर हम ईश्वर को प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन उसके लिए प्रयास और ध्यान आपको ही करना होगा। गुरु जी मार्ग दिखला सकते हैं। पर उसके लिए ध्यान तो आपको ही करना होगा।