ये कैसी रोटियां हैं, जिसे अब कुत्ते भी खाना पसन्द नहीं करते …
मैं जब भी अपने घर से सुबह टहलने अथवा दूध लाने के लिए निकलता हूं, तो देखता हूं कि सड़कों के दोनों किनारे बने बड़े अट्टालिकाओं के झरोखों या द्वारों से फेंकी गई रोटियां जो आम तौर पर कुत्तों के लिए ही फेंकी जाती हैं। उन फेंकी गई रोटियों को अब कुत्ते भी खाना पसन्द नहीं करते। ये रोटियां देखते ही देखते धूप में पड़कर पापड़ की तरह सुख जाती है, लेकिन इसे कुत्ते क्या, अन्य जानवर भी पसन्द नहीं करते।
अब सवाल उठता है कि क्या इन रोटियों को कुत्ते इसलिए नहीं खाते कि उनका पेट भरा होता है। उत्तर होगा – नहीं। अगर उनका पेट भरा होता तो वे भोजन की तलाश में इधर से उधर नहीं भटकते और न ही हार थककर इन रोटियों के बीच में ही सो जाते। आप जहां रहते हैं, आप इधर-उधर नजर दौड़ाइये। आपको स्वयं इसका भान हो जायेगा कि अब भूख से पीड़ित होने के बावजूद इन रोटियों को कुत्ते खाने तो दूर, सूंघने का भी प्रयास नहीं करते।
लेकिन ये भी आश्चर्य है कि जिन रोटियों को अब कुत्ते खाना पसन्द नहीं करते। उन रोटियों को इन अट्टालिकाओं में रहनेवाले लोग बड़े ही शौक से खाते हैं। इन रोटियों को खाने के क्रम में वे अखबारों के पन्ने पलटते, मोबाइल पर अपने लोगों से बात करते तथा अन्य काम संपन्न कर रहे होते हैं।
आश्चर्य यह भी है कि इन कुत्तों को रोटी छोड़कर अन्य खाने-पीने की चीजें दी जाये, तो वे आराम से खा ले रहे हैं। लेकिन रोटियां खाना वो पसन्द नहीं कर रहे। पशु चिकित्सकों का कहना है कि एक वजह यह भी हो सकता है कि आजकल कुछ पशु प्रेमी इन कुत्तों के लिए विशेष खाद्यान्न उपलब्ध कराते हैं, जो उनके लिए खाने में टेस्टी और पोषण युक्त होता है, जिस कारण वे रोटियों को पसन्द नहीं करते हो या यह भी होता है कि कुत्ते संवेदनशील होते हैं, जहां से रोटियां नहीं मिल रही थी और वहां से अचानक रोटियां मिल रही होती हैं तो वे कई आशंकाओं को देखते हुए उस ओर जाना भी नहीं चाहते हो।
लेकिन यह पूछे जाने पर कि रोटी के अलावा अन्य खाने-पीने की चीजें देने पर वे क्यों खा रहे हैं, तब इस प्रश्न का उत्तर पशु चिकित्सकों के पास नहीं होता है। आश्चर्य यह भी है कि जो पशु बंधे होते हैं, वे इन रोटियों को खा जाते हैं। शायद उनकी मजबूरियां होती हो कि अगर वे नहीं खाये, तो उनके पास विकल्प क्या है? मजबूरी में तो आदमी भी बहुत कुछ खा लेता हैं, जिसे वो पसन्द भी नहीं करता।
स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से देखा जाये तो आजकल जो भी व्यक्ति भोजन कर रहा हैं। उसकी शुद्धता या वो भोजन कितना खाने लायक है या उसमें कितना मिलावट हैं। वो उस व्यक्ति को भी नहीं पता, जिसका वो उपभोग कर रहा होता है। लेकिन इन्हीं खाद्य पदार्थों के इस्तेमाल के बाद जब वो किसी रोग का शिकार होता हैं, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है और वो उस अवस्था में पहुंच चुका होता है, जहां उसका मौत इंतजार कर रहा होता है।
होना तो यह चाहिये कि इस बात का पता लगाना चाहिए कि क्या वजह है, कि आजकल इन रोटियों को कुत्ते खाना पसन्द नहीं कर रहे। खासकर वे कुत्ते जो स्वतंत्र रूप से विचरण कर रहे होते हैं, जो आपके आस-पास में आपके टूकड़ों पर ही पल रहे होते हैं। कहीं, ऐसा तो नहीं कि वे उन खाद्य-पदार्थों को खाकर अपना पेट भर ले रहे हैं, जो कालांतराल में आपके लिए ही खतरनाक सिद्ध हो जाये। क्योंकि आखिर में ये तो आपके आस-पास ही रहते हैं और जब अचानक ये खतरनाक हो जायेंगे तो फिर आपके लिए या आपके बच्चों के लिए ही दिक्कते पैदा करेंगे। खासकर नगर-निगम के अधिकारियों को तो इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
