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व्हाट्सएप मैसेज के दो टुकड़े ने एक राष्ट्रीय स्तर के अखबार और आज की पत्रकारिता को किया नंगा, खुब हो रहा वायरल, लोग ले रहे चुस्कियां

बिहार विधानसभा चुनाव के समय कुछ व्हाट्सएप मैसेज की तस्वीरों ने एक राष्ट्रीय अखबार के स्थानीय सम्पादक की नींद उड़ा दी है। यह व्हाट्सएप मैसेज की तस्वीरें एक साल पहले की हैं। जब झारखण्ड में विधानसभा का चुनाव चल रहा था। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ये व्हाट्सएप मैसेज की तस्वीरें बहुत कुछ कह दे रही हैं। अगर झारखण्ड में वो संपादक इस प्रकार के कमाल दिखा सकता है, तो बिहार विधानसभा चुनाव के समय वो क्या करता होगा?

ये व्हाट्सएप मैसेज सही है या गलत। इसका दावा विद्रोही24 नहीं करता। लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कही भी धुआं ऊपर में दिखाई पड़ता है। इसका मतलब है कि नीचे कही न कही आग जरूर जल रही है। इस व्हाट्सएप मैसेज की चर्चा हर अखबार में हो रही है और सभी इसका आनन्द ले रहे हैं। आनन्द वे ज्यादा ले रहे हैं।  जिस अखबार से ये मामला जुड़ा है।

इस व्हाट्सएप मैसेज ने अखबारी जगत और राजनीतिक नेताओं के चुनाव के समय की कुकर्मों को बहुत सुंदर ढंग से रेखांकित कर रही है। ये व्हाट्सएप मैसेज राजनीतिक व पत्रकारिता क्षेत्र में आ रही गिरावटों को प्रदर्शित कर रही हैं। साथ ही यह भी कह रही हैं कि अगर यूटयूबर 500 रुपये में बिकने को तैयार है, तो राष्ट्रीय स्तर के अखबारों में काम करनेवाले संपादक लाखों में बिकने को तैयार हैं, बशर्ते खरीदनेवाला माल लेकर तैयार रहे।

इस व्हाट्सएप मैसेज को आप देखेंगे तो आप का मन घृणा से भर उठेगा। इस व्हाट्सएप मैसेज में संपादक बड़े ही गर्व से कहता है कि उसके अखबार ने उसकी पार्टी (एक राजनीतिक दल से जुड़ा व्यक्ति) को सर्वाधिक स्थान दिया है। वो संपादक ये भी कहता है कि उसके इलाके में सब ठीक है ना। वो संपादक यह भी दावा करता है कि इस बार उसकी ही सरकार बनेगी। लेकिन हो जाता है, उलटा सरकार अन्य दल की बन जाती है।

वो संपादक व्हाट्सएप मैसेज में यह भी कहता है कि आधा माल कैश रख देना, वो एजेंसी द्वारा देना है। राजनीतिक दल का कार्यकर्ता संपादक से कहता है कि आपके लिए बॉस पांच अलग से देने को बोले हैं। संपादक गुस्साता है, तेरे को दस कहा था। ….. को भी देना है। इसी बीच इस व्हाट्सएप मैसेज को एक पत्रकार ने भी सोशल साइट फेसबुक पर जारी कर दिया है। जिस पर कमेन्ट्सों की बौछार है।

जिसमें कई लोग संपादक के पक्ष में तो कई उक्त पत्रकार जिसने इन व्हाट्सएप मैसेज को डालकर इस गंदगी को उजागर किया है, उस पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उस पत्रकार ने सभी की चुनौतियां स्वीकार की है और सीधे कहा है कि उक्त संपादक में दम हैं तो वो उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज क्यों नहीं करवाता। लेकिन कमाल है। सभी चुप हैं। शायद जानते हैं कि अगर प्राथमिकी हुई तो बात बहुत दूर तक जायेंगी। फिर अखबार और ज्यादा नंगा हो जायेगा।

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