अपनी बात

घटियास्तर की स्वार्थपूर्ति के लिए पर्व-त्यौहार के समय में कुड़मी नेताओं ने भूख-प्यास से बिलबिला रहे रेलयात्रियों के सपनों पर किया कुठाराघात, केन्द्र व राज्य सरकार किंकर्तव्यविमूढ़, मूर्ख यूट्यूबरों के लिए आंदोलन बना उत्सव

पूरे देश में पितृपक्ष चल रहा है। कल यानी रविवार को महालया है। सोमवार को मातृपक्ष प्रारम्भ हो जायेगा। यानी नवरात्र प्रारंभ हो जायेगा। पूरे देश के श्रद्धालु कोई गया जाकर अपने पितरों को मुक्ति के लिए पिंडदान करने के लिए ट्रेन पर सवार हैं, तो कोई नवरात्र अपने घर पर मनाने के लिए अपने कर्तव्य स्थल से घर के लिए रवाना हुआ है। ट्रेनों में कई परिवार के बच्चे भूख और प्यास से बिलबिला रहे हैं।

कई ट्रेन जहां-तहां रुकी हुई हैं। कई ट्रेनें रद्द कर दी गई है। लेकिन कुड़मियों को आदिवासी बनने की चिन्ता सताये जा रही है। उन्होंने आदिवासी बनने के लिए रेल रोकने का आज से अभियान शुरु कर दिया है। इनके अभियान को सफल बनाने के लिए सत्ता का स्वाद चखनेवाली आजसू भी कूद पड़ी है।

उनके नेता पीताम्बर धारण कर अपनी नेतागिरी दिखा रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि अगर उन्होंने इस कुर्मीगिरी में भाग नहीं लिया तो उनकी सारी नेतागिरी मिट्टी में मिल जायेगी, क्योंकि कुर्मियों के एकमात्र तथाकथित मठाधीश यही है। कई ऐसे भी नेता नये-नये जन्म लिये हैं इस समुदाय में। जो देख रहे हैं कि जब कल का जयराम गलाफाड़-फाड़कर विधानसभा में घुस सकता है तो वे क्यों नहीं?

मतलब कोई नेता बनने के लिए बेताब हैं तो कोई अपनी नेतागिरी सुरक्षित करने के लिए। सभी को पता है कि वे किसी जिंदगी में आदिवासी नहीं बन सकते और न ही वे आदिवासियों को प्राप्त होनेवाले सुविधाओं को प्राप्त कर सकते हैं। फिर भी कुड़मी को आदिवासी बनाने के लिए किसी को बर्बाद करना हैं या देश को आग में झोंक देना हैं, तो इससे उनका क्या जाता है?

कम से कम ऐसा करने से उनकी नेतागिरी तो चमक जायेगी। कोई न कोई पार्टी वाला या खुद ही पार्टी बनाकर कही न कही से लड़ जायेंगे और मूर्ख जनता कही न कही से विधायक या सांसद बना ही देगी और फिर शुरु होगा अपनी पत्नी और अपने पूरे खानदान को सत्तासुख दिलाने का अभियान। इधर इनकी गुंडागर्दी के आगे पूरी केन्द्र सरकार, रेल मंत्रालय, रेलवे विभाग, राज्य सरकारों का समूह नतमस्तक हो गया है। ये सारे के सारे लोग किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रेलयात्रा कर रहे लोगों को इन आंदोलनकारियों की गुंडागर्दी के हवाले समर्पित कर दिया है।

जरा देखिये न। पूरे झारखण्ड, बंगाल और ओडिशा के इलाकों में इन कुड़मी नेताओं ने किया क्या है? रेलयात्रियों को दिक्कतें आ रही हैं, उससे उनको कोई मतलब नहीं। पूरा देश इनके हरकतों से तबाह हो गया, कोई इनको चिन्ता नहीं। लेकिन इनके नेता पटरियों पर बैठकर मुस्करा रहे हैं। कुड़मी-कुड़मी चिल्ला रहे हैं। पटरी पर बैठकर भोजन कर रहे हैं अर्थात् वनभोज का आनन्द ले रहे हैं और इनकी आंदोलन की आग में घी देने का काम वे लोग कर रहे हैं, जिनकी पत्रकारिता देश के लिए खतरा बन चुकी है।

यू-ट्यूबरों का समूह, कुछ कुड़मी नेताओं के पैसों पर पलनेवाले इंफ्लूएंसरों ने रेलयात्रियों के कष्टों को नजरंदाज कर, इन कुर्मी नेताओं के आंदोलनों को हवा देने में लगे हैं। इन यू-ट्यूबरों-इंफ्लूएंसरों के लिए इन कुड़मियों का आंदोलन उत्सव का रूप ले चुका है। ये इन नेताओं के बेकार के भाषणों और बाइटों को दिखा रहे हैं और पता नहीं, इस देश के लोगों को क्या हो गया है कि इनके नापाक इरादों और इनके इन कुकर्मों को देखने के लिए वे भी व्याकुल है और इन यू-टयूबरों जिनको बोलने की तमीज तक नहीं, इनको देखने व सुनने के लिए लालायित है।

मतलब गजब का देश बन गया है। कोई उनकी नहीं सुन रहा। जो लंबी यात्रा पर हैं। जो अपने घरों पर इस त्योहार के मौसम में समय पर पहुंचना चाहते हैं। उनकी यात्राओं पर, उनके सपनों पर, उनके पूजा-अर्चनाओं पर बाधा उत्पन्न करनेवाले इन आंदोलनकारियों के आंदोलन को कोई आंदोलन कैसे कह सकता है। क्या ये आंदोलन का समय है? ये सोचने व विचारने का समय है। अगर कोई कहता है कि इन आंदोलनकारियों का आंदोलन सफल है, तो यह विद्रोही उसे आलादर्जे का मूर्ख ही कहेगा, क्योंकि जनता को कष्ट देकर, आप अपने आंदोलन को सफल कैसे कर सकते हैं।

ऐसे भी जिस प्रकार की हरकतें ये लोग कर रहे हैं, इससे साफ पता चलता है कि यह झारखण्ड, मणिपुर की तर्ज पर घटनाओं को अंजाम देने की ओर बढ़ रहा हैं। क्योंकि जिस प्रकार से कुड़मियों ने आंदोलन छेड़ा हैं, अगर आदिवासी भी इसी प्रकार सड़कों या रेलवे ट्रैक पर आ गये तो समझ लीजिये। झारखण्ड का क्या हाल होगा?

जो राजनीतिबाज (हम ऐसे लोगों को राजनीतिज्ञ कह ही नहीं सकते, जो इस प्रकार का आंदोलन कर अपने घटियास्तर के सपनों को पूरा करने का ख्वाहिश रखते हैं।) इस प्रकार के आंदोलन को हवा दे रहे हैं, वे भूले नहीं कि वे आग से खेल रहे हैं, इसका परिणाम झारखण्ड ही नहीं, उनके लिए भी घातक होगा, इस आग में उनकी भी ख्वाहिशें धूल-धूसरित ही नहीं, बल्कि आग में जलकर खाक हो जायेंगी।

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